दुनिया के दो बड़े एयरपोर्ट पर तकनीकी खामी की वजह से सैकड़ों यात्री फंस गए हैं। शिकागो एयरपोर्ट पर मंगलवार को टेक्निकल इश्यू की वजह से एयर इंडिया की फ्लाइट उड़ान नहीं भर सकी। यहां दिल्ली आने वाले 300 पैसेंजर 34 घंटे से इंतजार कर रहे हैं।
दूसरा मामला हॉन्गकॉन्ग एयरपोर्ट का है। यहां गुरुवार को कम्प्यूटर सिस्टम में खराबी की वजह से उड़ानों में देरी हो रही है और सैकड़ों यात्री फंस गए हैं।
शिकागो: मंगलवार को फ्लाइट को टेकऑफ करना था
न्यू यॉर्क टाइम्स के मुताबिक अमेरिका के शिकागो एयरपोर्ट पर एअर इंडिया की फ्लाइट टेक्निकल इश्यू की वजह से उड़ान नहीं भर सकी है। फ्लाइट को शिकागो से मंगलवार को दोपहर 1:30 बजे टेकऑफ करना था। 15 मार्च को दोपहर 2:20 बजे दिल्ली में उतरना था, लेकिन अभी भी फ्लाइट ने उड़ान नहीं भरी है।
गोपाल कृष्ण सोलंकी नाम के पैसेंजर ने कहा कि 300 पैसेंजर लगभग 34 घंटे से फ्लाइट का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन फ्लाइट के बारे में कुछ भी पता नहीं है। एयरलाइन से जब इस बारे में पूछा गया तो उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है। दूसरे पैसेंजर ने एक वीडियो जारी किया है। उसने कहा कि हम नहीं जानते कि वास्तव में क्या चल रहा है।
हमें कब फ्लाइट मिलेगी, यह भी नहीं पता है।मामले में एअर इंडिया के एक प्रवक्ता ने कहा कि 14 मार्च को टेक्निकल इश्यू की वजह से उड़ान संख्या AI 126 को कैंसिल करना पड़ा। उन्होंने कहा कि पैसेंजर्स की मदद की जा रही है। उन्हें दूसरी फ्लाइट से दिल्ली भेजने की कोशिश की जा रही है।
हॉन्गकॉन्ग: सबसे अहम एयरलाइन कैथी पैसेफिक सबसे ज्यादा प्रभावित
हॉन्गकॉन्ग इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर गुरुवार को कम्प्यूटर सिस्टम फेल हो गए। इसके चलते फ्लाइट्स में देरी हो रही है। सबसे ज्यादा प्रभावित कैथी पैसेफिक एयरलाइंस है। इसकी 50 फ्लाइट्स के टेकऑफ में देरी हो रही है। इसी तरह का असर दूसरी एयरलाइंस पर भी पड़ा है।
कोविड महामारी से पहले हॉन्गकॉन्ग दुनिया के सबसे व्यस्त एयरपोर्ट्स में से एक था। यहां 2019 में 7.1 करोड़ यात्रियों ने उड़ान भरी थी।
हॉन्गकॉन्ग की एयरपोर्ट अथॉरिटी ने अभी कम्प्यूटर में आई खामी के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी है। स्थानीय मीडिया के मुताबिक, चेक-इन के लिए रजिस्ट्रेशन कराने वालों की लाइन लगी है, लेकिन यह सुविधा अभी बंद है।
अमेरिका में भी लेट हुई थीं 9600 फ्लाइट्स
अमेरिका में जनवरी में NOTAM (नोटिस टु एयर मिशन्स) सिस्टम में आई खराबी के चलते 9600 फ्लाइट्स लेट हुईं थीं। जबकि 1300 डोमेस्टिक और इंटरनेशनल फ्लाइट्स कैंसिल कर दी गईं थीं। 2001 में हुए आतंकी हमले के बाद अमेरिका में ऐसा पहली बार हुआ, जब इतनी फ्लाइट्स को उड़ान भरने में देरी हुई और उन्हें ग्राउंड पर ही रोक लिया गया।
फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) ने 4 घंटे की मशक्कत के बाद फ्लाइट ऑपरेशन्स धीरे-धीरे शुरू कर दिए थे।मामला कितना गंभीर था, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस मामले पर व्हाइट हाउस में इमरजेंसी मीटिंग हुई थी। राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ट्रांसपोर्ट सेक्रेटरी से रिपोर्ट तलब की थी।
फरवरी में जर्मनी में कैंसिल हुई थीं दर्जनों उड़ानें
फरवरी में जर्मनी की लुफ्थांसा एयरलाइंस के कम्प्यूटर सिस्टम में तकनीकी खराबी आई थी। इसके चलते दर्जनों उड़ानें रद्द कर दी गईं थीं। कंपनी ने अपने बयान में कहा था कि ये दिक्कत IT सिस्टम फेल होने की वजह से हुई है। इसके बाद बोर्डिंग के लिए बोर्डिंग के लिए पेन और पेपर की मदद से डीटेल्स दी गई थीं।