धूम्रपान को लेकर हर एक देश चिंतित हैं लेकिन ऐसे में अमेरिका में लगातार सिगरेट पीने वालों की संख्या कम होती जा रही हैं और यह उनके लिए एक बहुत बड़ी खुशखबरी दी है। पिछले 6 दशकों में यह संख्या घटकर केवल एक चौथाई ही रह गई है। हालांकि इन बीच में ई - सिगरेट का प्रचलन बढ़ गया है। लोग इ - सिगरेट का यूज करते हैं लेकिन यह उतनी ज्यादा हानिकारक नहीं होती हैं जितनी कि तंबाकू वाली सिगरेट होती है। अमेरिका में सिगरेट पीने वालों की संख्या में कमी आ गई है। सर्वे में हर 9 युवकों में एक युवक का जवाब आता हैं कि वह पहले पीता था लेकिन उसने अब सिगरेट पीना छोड़ दिया है। ऐसे में ई-सिगरेट को लेकर जब सर्वेक्षण किया गया तो हर 17 में से एक व्यस्क ने स्वीकार किया कि वह इ - सिगरेट पीता है।
सिगरेट एक जानलेवा चीज है। धूम्रपान करने से फेफड़ों के कैंसर की बीमारी जैसे कई हानिकारक समस्याएं हो सकती है। हर साल विश्व में लाखों लोगों की मृत्यु धूम्रपान के कारण ही जाती है। ऐसे में हर देश नए - नए अभियान चलाता हैं जिसके द्वारा वहां की सरकार यही चाहती हैं कि धीरे-धीरे तंबाकू का उपयोग कम हो और धूम्रपान से लोगों को छुटकारा मिल सके।
ई सिगरेट का बढ़ रहा हैं इस्तेमाल
हालांकि धूम्रपान या सिगरेट को छोड़ने वाले युवकों की संख्या अधिक हैं लेकिन ऐसे में ई-सिगरेट का इस्तेमाल बहुत ज्यादा हो रहा है। 1 साल पहले ई सिगरेट का इस्तेमाल करने वालों की संख्या 4.5% ही थी लेकिन वह अब बढ़कर 6 फ़ीसदी हो गई है। ई - सिगरेट का इस्तेमाल बढ़ने से चिंताएं भी थोड़ी बढ़ी है। हार्ट एसोसिएशन की रिपोर्ट के अनुसार निकोटिन की आदत सेहत पर कई प्रकार के बुरे प्रभाव डालती है। इसके साथ ब्लड प्रेशर के बढ़ने का भी जिम्मेदार निकोटिन है।
अमेरिका में किशोर युवकों में धूम्रपान और ई - सिगरेट का जो अनुपात हैं वह बिल्कुल विपरीत है। यहां धूम्रपान करने वाले वयस्कों में पारंपरिक सिगरेट और ई - सिगरेट का उपयोग दर एकदम विपरीत है। हाई स्कूल में केवल दो फ़ीसदी बच्चे ही पारंपरिक सिगरेट का उपयोग या पारंपरिक प्रकार से धूम्रपान करते हैं जबकि ई सिगरेट का उपयोग करने वाले छात्रों की संख्या 14 फ़ीसदी हैं, जिससे यह साफ पता लगता है कि निकोटिन का इस्तेमाल या फिर बोले तो पारंपरिक सिगरेट का इस्तेमाल धीरे-धीरे ऑस्ट्रेलिया में कम होता जा रहा है जो कि उनके लिए एक बड़ी कामयाबी हैं लेकिन ऐसा नहीं है कि धूम्रपान बिल्कुल ही खत्म हो गया, लोग यहां ई - सिगरेट का बढ़-चढ़कर इस्तेमाल कर रहे हैं और इसे वह एक स्टैंडर्ड के रूप में भी समझते हैं।
वेपिंग को लेकर ऑस्ट्रेलिया ने चलाई खास मुहिम
बीते कुछ सालों से ही जहां पारंपरिक सिगरेट का चलन कम हुआ तो e-cigarette का चलन बढ़ने लग गया। खासतौर पर युवाओं में इसका चलन अधिक देखने को मिला है। इसी बढ़ते चलन को देखते हुए ऑस्ट्रेलिया ने एक खास अभियान की शुरुआत की हैं जिसके परिणामस्वरूप ही कई दशकों से देश में धूम्रपान का उपयोग धीरे-धीरे कम हो रहा है। ऑस्ट्रेलिया ने एक बार इस्तेमाल होने वाले वेप पर पूरी तरीके से रोक लगाने का फैसला किया है। बिना डॉक्टर की पर्ची मिलने मिलने वाले सारे वेप के ऊपर उन्होंने पूरी तरीके से प्रतिबंध लगा दिया है। बिना प्रिसक्रिप्शन के आप वैप का आयात नहीं कर सकते और साथ ही सिगरेट में एक लिमिटेड मात्रा में ही निकोटिन का इस्तेमाल किया जाएगा जो कि आपके स्वास्थ्य के लिए उतना हानिकारक नहीं होगा जितना कि पारंपरिक सिगरेट होती है।
ऑस्ट्रेलिया ने इससे पहले भी धूम्रपान को लेकर कई सख्त कदम उठाए हैं ऐसा ही एक कदम उन्होंने 2012 में उठाया था। जब सिगरेट को सादें पैकेटो में बेचा जाया करता था और ऑस्ट्रेलिया को देखकर ही बाकी देश फ्रांस ब्रिटेन और बहुत से देशों ने यह कानून अपने देश में भी लागू किया। अब लोगों को पूरी तरीके से वेपिंग का इस्तेमाल करने से रोका तो नहीं जा सकता क्योंकि यह एक ऐसी आदत हैं जो आसानी से नहीं छूट सकती लेकिन हां हम इसको कम कर सकते हैं और एक वेप को इस प्रकार से बना सकते हैं कि यह स्वास्थ्य के लिए ज्यादा हानिकारक नहीं होगी ताकि लोग सिगरेट को छोड़कर वेप का यूज कर ले और वह उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी ना हो।