डोनाल्ड ट्रंप का 100 दिन का एजेंडा डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरी बार अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव जीत लिया है। वे जनवरी महीने में अपने पद का कार्यभार संभालेंगे। उन्होंने अपनी चुनावी रैलियों में 100 दिन की योजना साझा की है। ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों के दौरान अपनी आक्रामक नीतियों को लागू करने का इरादा रखते हैं। इसके साथ ही, वे जो बाइडन प्रशासन द्वारा लिए गए कई निर्णयों को पलटने की तैयारियों में हैं।
डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में विजय प्राप्त की है। वे जनवरी में अपने पद का कार्यभार संभालेंगे। चुनावी रैलियों के दौरान, उन्होंने 100 दिन की योजना साझा की है। ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों में आक्रामक नीतियों को लागू करने की तैयारी कर रहे हैं। वे जो बाइडन प्रशासन के कई निर्णयों को पलटने का इरादा रखते हैं।
अर्थव्यवस्था, विदेश नीति और महंगाई के मुद्दों पर ट्रंप महत्वपूर्ण निर्णय लेने की योजना बना रहे हैं। ट्रंप की योजना में प्रवासियों का बड़े पैमाने पर निर्वासन और विदेशी वस्तुओं पर उच्च टैरिफ लगाना शामिल है। उनके सहयोगी इन दिनों आदेशों को तैयार करने में जुटे हुए हैं, जो ट्रंप के 100 दिन के एजेंडे को पूरा करने में सहायक होंगे।
सामूहिक निर्वासन पर कार्यवाही
डोनाल्ड ट्रंप आव्रजन और ऊर्जा नीति में बदलाव करने के लिए सबसे पहले कदम उठाएंगे। उन्होंने अमेरिका से बड़ी संख्या में अवैध प्रवासियों को निकालने का वादा किया है, और इस पर सबसे पहले काम करने की उम्मीद की जा रही है। ट्रंप ने 2015 से ही आव्रजन के मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया है।
उन्होंने अमेरिका में अवैध रूप से निवास कर रहे 13 मिलियन से अधिक अप्रवासियों को सामूहिक रूप से निर्वासित करने का उल्लेख किया है। सबसे पहले उन व्यक्तियों को डिपोर्ट किया जाएगा जिनके पास अपराधिक रिकॉर्ड है। इसके अलावा, डोनाल्ड ट्रंप मेक्सिको से सटे अमेरिकी सीमा को भी बंद करने का प्रस्ताव रखते हैं।
ऊर्जा कीमतों पर नियंत्रण
ट्रंप ने अपने चुनावी अभियान में ऊर्जा कीमतों को 50 प्रतिशत तक कम करने का वादा किया है। अपने 100 दिन के एजेंडे में, ट्रंप ऊर्जा और जलवायु जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर काम करने की योजना बना रहे हैं। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने “ड्रिल, बेबी, ड्रिल” का नारा दिया, जिसका अर्थ है कि वे तेल उत्पादन को बढ़ाने की कोशिश करेंगे। ट्रंप बाइडन के पर्यावरण नियमों को पलटने की भी योजना बना रहे हैं।
उन्होंने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वे बाइडन की उन नीतियों को वापस लेंगे जो अमेरिकी ऑटोवर्कर्स के लिए हानिकारक हैं। इसके अलावा, वे बाइडन की जलवायु नीति को समाप्त करने का भी इरादा रखते हैं। ट्रंप जलवायु सब्सिडी को खत्म करने के लिए तैयार हैं और साथ ही तेल, गैस और कोयला उत्पादकों को कर में छूट देने की योजना बना रहे हैं ताकि अमेरिकी बाजार में ईंधन की कीमतों में कमी लाई जा सके।
नई विदेश नीति की दिशा
ट्रंप ने अपने 100 दिन के एजेंडे में अमेरिका को सर्वोच्च प्राथमिकता देने वाली विदेश नीति लागू करने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि पदभार ग्रहण करने से पहले ही रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्त कर दिया जाएगा, हालांकि यह भविष्य में ही साफ होगा कि यह कैसे संभव हो पाता है। ट्रंप यूक्रेन को आर्थिक मदद देने के पक्ष में नहीं हैं, जो कि उनकी विदेश नीति में एक प्रमुख बदलाव हो सकता है।
इसके अलावा, ट्रंप नाटो के उन देशों को भी चेतावनी दे चुके हैं, जो संगठन में अपनी तय आर्थिक हिस्सेदारी नहीं देते। उन्होंने कहा है कि अगर कोई देश नाटो को पर्याप्त राशि नहीं देता, तो अमेरिका उस देश की रक्षा नहीं करेगा। यह संकेत है कि ट्रंप इस दिशा में सख्त कदम उठा सकते हैं।
बाइडन के फैसलों को पलटना
ट्रंप के 100 दिन के एजेंडे में बाइडन प्रशासन के कई फैसलों को पलटना भी शामिल है। वह ट्रांसजेंडर युवाओं के लिए किए गए सुरक्षा उपायों को वापस लेने का विचार कर रहे हैं। इसके अलावा, वह अपनी पिछली सरकार की अधूरी योजनाओं को फिर से शुरू करने की योजना बना सकते हैं। ट्रंप ने उन स्कूलों के लिए संघीय निधि में कटौती करने की धमकी भी दी है, जो कोविड-19 वैक्सीनेशन को अनिवार्य बनाने के पक्ष में हैं।
जैक स्मिथ पर कार्रवाई की योजना
ट्रंप ने अपने एजेंडे में विशेष वकील जैक स्मिथ को बर्खास्त करने का ऐलान किया है। जैक स्मिथ ने ट्रंप के खिलाफ दो मामले दायर किए थे। ट्रंप ने इस मामले में शामिल अन्य न्यायाधीशों और अभियोजकों के खिलाफ भी कार्रवाई की धमकी दी है, जो उन्हें नापसंद हैं।
वैश्विक व्यापार पर प्रभाव
ट्रंप ने विदेशी सामानों पर भारी टैरिफ लगाने का भी ऐलान किया है। उनकी योजना के मुताबिक, सभी चीनी वस्तुओं पर 60 प्रतिशत और मेक्सिको से आने वाले सामान पर 25 से 200 प्रतिशत तक टैरिफ बढ़ाया जा सकता है। अगर ऐसा होता है, तो यह वैश्विक व्यापार में एक बड़े विवाद और ट्रेड वार का कारण बन सकता है।