Dev Diwali 2024: जानिए कार्तिक पूर्णिमा पर ही क्यों मनाई जाती है देव दिवाली?

Dev Diwali 2024: जानिए कार्तिक पूर्णिमा पर ही क्यों मनाई जाती है देव दिवाली?
Last Updated: 08 नवंबर 2024

धार्मिक मान्यता के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसी कारण इस विशेष तिथि पर देवी-देवता प्रसन्न होकर दीप जलाते हैं। इस दिन को 'देव दीपावली' के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन केवल दीप जलाने का नहीं, बल्कि भगवान शिव की महिमा का भी प्रतीक है। इस अवसर पर लोग अपने घरों में दीप जलाकर और पूजा-पाठ करके भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।

देव दिवाली 2024: देव दिवाली का पर्व हर साल दिवाली के 15 दिन बाद मनाया जाता है। जहां दिवाली का उत्सव कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है, वहीं देव दिवाली कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। इसे देवताओं की दीपावली भी कहा जाता है। इस वर्ष, दिवाली का त्योहार 31 अक्टूबर 2024 को मनाया गया। इसके बाद, 15 नवंबर 2024 को कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली का उत्सव होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देव दिवाली क्यों मनाई जाती है और इसका महत्व क्या है? आइए जानते हैं देव दिवाली से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।

देव दिवाली 2024 तिथि और समय

देव दिवाली तिथि 15 नवंबर 2024 (शुक्रवार)

कार्तिक पूर्णिमा आरंभ 15 नवंबर 2024, सुबह 06:19 बजे से

कार्तिक पूर्णिमा समाप्त 16 नवंबर 2024, देर रात 02:58 बजे तक

पूजा का शुभ मुहूर्त

प्रदोष काल पूजा मुहूर्त: 15 नवंबर 2024, शाम 5:10 बजे से रात 07:47 बजे तक

पूजा की कुल अवधि: 2 घंटे 37 मिनट

कार्तिक पूर्णिमा को क्यों मनाते हैं देव दिवाली

कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली मनाने का मुख्य कारण यह है कि इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था। इस विजय की खुशी में देवताओं ने स्वर्ग में दीप जलाकर दिवाली का उत्सव मनाया। धार्मिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार, त्रिपुरासुर नामक राक्षस ने अपनी शक्ति के बल पर तीनों लोकों पर राज कर लिया था और देवताओं पर अत्याचार करना शुरू कर दिया था।त्रिपुरासुर के अत्याचार से परेशान होकर सभी देवता भगवान शिव के पास गए। तब भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन त्रिपुरासुर का वध किया और देवताओं को उसके अत्याचारों से मुक्त किया। इसी घटना के बाद से कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली मनाई जाने लगी।

देव दिवाली का महत्व

देव दिवाली के संबंध में मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवी-देवता धरती पर आते हैं और गंगाघाट पर दिवाली का उत्सव मनाते हैं। इसलिए, इस विशेष दिन पर दीप जलाने की परंपरा महत्वपूर्ण मानी जाती है। लोग इस पवित्र अवसर पर दीपदान भी करते हैं। देव दिवाली पर वाराणसी में एक अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है, जो इसे और भी खास बनाता है।

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