तुर्की में सियासी भूचाल! एर्दोगन के विरोधी इमामोग्लू की डिग्री रद्द, जानिए पूरा मामला

तुर्की में सियासी भूचाल! एर्दोगन के विरोधी इमामोग्लू की डिग्री रद्द, जानिए पूरा मामला
अंतिम अपडेट: 4 घंटा पहले

इस्तांबुल यूनिवर्सिटी ने अनियमितताओं के चलते एर्दोगन के प्रतिद्वंद्वी एकरेम इमामोग्लू की डिग्री रद्द की, जिससे विपक्ष को चुनाव से पहले झटका लगा। इमामोग्लू ने इसे दबाव में लिया फैसला बताया।

Turkey: तुर्की की राजनीति में उथल-पुथल मची हुई है। राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन की सरकार और एजेंसियां विपक्ष के लिए मुश्किलें खड़ी कर रही हैं। इसी कड़ी में इस्तांबुल यूनिवर्सिटी ने एक बड़ा कदम उठाते हुए इस्तांबुल के मेयर और राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के संभावित उम्मीदवार एकरेम इमामोग्लू की 34 साल पुरानी ग्रेजुएशन डिग्री को रद्द कर दिया है। ताजा जानकारी के मुताबिक, तुर्की पुलिस ने अब एकरेम इमामोग्लू को गिरफ्तार भी कर लिया है।

तुर्की में बढ़ती महंगाई और सरकार विरोधी लहर

राष्ट्रपति एर्दोगन को इस समय भारी एंटी-इंकम्बेंसी का सामना करना पड़ रहा है। तुर्की की अर्थव्यवस्था चुनावी मुद्दा बनी हुई है। 2023 में महंगाई दर 85% तक पहुंच गई थी, और तुर्की की राष्ट्रीय मुद्रा लीरा में भारी गिरावट देखी गई थी। 2025 में भी महंगाई दर 39% के आसपास रहने की उम्मीद है। ऐसे माहौल में तुर्की की मुख्य विपक्षी पार्टी रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी (CHP) ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

डिग्री रद्द करने के पीछे का तर्क और विपक्ष की प्रतिक्रिया

इस्तांबुल विश्वविद्यालय ने मंगलवार को कहा कि 1990 में 38 छात्रों ने अनियमित तरीके से मैनेजमेंट फैकल्टी के अंग्रेजी भाषा कार्यक्रम में ट्रांसफर करवाया था। इनमें से 28 छात्रों, जिनमें एकरेम इमामोग्लू भी शामिल थे, की डिग्री को अवैध और अमान्य घोषित किया गया है। इस फैसले से विपक्षी दलों को बड़ा झटका लगा है, क्योंकि बिना विश्वविद्यालय की डिग्री के इमामोग्लू राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल नहीं हो सकते।

इमामोग्लू ने फैसले को बताया राजनीति से प्रेरित

एकरेम इमामोग्लू ने विश्वविद्यालय के इस निर्णय को अवैध बताया और इसे अदालत में चुनौती देने की बात कही। उन्होंने कहा, "हम इस फैसले को कोर्ट में लेकर जाएंगे और इसके खिलाफ लड़ेंगे, लेकिन मुझे न्यायपालिका से निष्पक्ष फैसले की उम्मीद नहीं है।" उन्होंने यह भी कहा कि यह सिर्फ उनकी लड़ाई नहीं, बल्कि पूरे देश और लोकतंत्र की रक्षा की लड़ाई है।

राजनीतिक दबाव और विपक्षी नेताओं पर कार्रवाई

इस्तांबुल यूनिवर्सिटी ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है जब विपक्षी नेताओं, खासकर इमामोग्लू के खिलाफ कानूनी कार्रवाई तेज हो रही है। इस्तांबुल में इसिक यूनिवर्सिटी में अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग की प्रमुख सेडा डेमिरलप ने इस फैसले को तुर्की के लोकतांत्रिक पतन का एक और संकेत बताया।

इमामोग्लू के समर्थन में उठी आवाजें

इमामोग्लू के वकील मेहमत पहलवान ने बताया कि उनके डिप्लोमा में कोई अनियमितता नहीं थी और विश्वविद्यालय के निदेशक मंडल को इसे रद्द करने का अधिकार नहीं था। सोशल मीडिया पर भी विपक्षी समर्थकों ने इस फैसले की कड़ी आलोचना की है।

एर्दोगन के लिए 2028 चुनाव से पहले रास्ता साफ करने की कोशिश?

राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन पिछले दो दशकों से तुर्की की सत्ता में बने हुए हैं। अगर उन्हें 2028 में फिर से चुनाव लड़ना है, तो उन्हें तय समय से पहले चुनाव कराने होंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि इमामोग्लू को चुनावी दौड़ से बाहर करने का यह फैसला इसी रणनीति का हिस्सा हो सकता है।

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