अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में अब केवल 9 दिन बचे हैं और इस बीच प्रवासियों का अवैध प्रवासन एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन गया है। इस विषय पर, डोनाल्ड ट्रंप की स्थिति कैलीफोर्निया की गवर्नर कैमरन हैरिस की तुलना में अधिक सख्त नजर आ रही हैं।
वॉशिंगटन: अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में अब केवल 9 दिन बचे हैं, और इस दौरान डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस ने अपने प्रचार अभियानों में पूरी ताकत झोंक दी है। इस बार आव्रजन एक महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा बन गया है, खासकर भारत और अन्य दक्षिण एशियाई देशों के आप्रवासियों के लिए। इन आप्रवासियों को इस बात की चिंता है कि यदि ट्रंप राष्ट्रपति बनते हैं, तो उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। ट्रंप ने अपने चुनावी भाषणों में वादा किया है कि वे वाशिंगटन की आव्रजन नीतियों को सख्त करेंगे। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा है कि वे अमेरिकी इतिहास में बिना दस्तावेज वाले आप्रवासियों के खिलाफ “सबसे बड़े” घरेलू निर्वासन अभियान की शुरुआत करेंगे और मौजूदा शरणार्थी कार्यक्रमों की समीक्षा करेंगे।
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में अवैध रूप से रहने वाले अप्रवासियों के बच्चों के लिए जन्मसिद्ध नागरिकता के प्रावधान को समाप्त करने का वादा किया है। इससे भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे देशों के आप्रवासियों में चिंता बढ़ गई है, क्योंकि यह कदम उनके बच्चों की नागरिकता को सीधे प्रभावित कर सकता हैं।
आप्रवासन समर्थक समूहों ने ट्रंप की इस बयानबाजी की आलोचना की है, यह कहते हुए कि जन्मसिद्ध नागरिकता को समाप्त करने का संकल्प कानूनी रूप से विवादित है, क्योंकि यह अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन में निहित है। उनका कहना है कि यह अधिकार नागरिकता के लिए एक महत्वपूर्ण स्तंभ है और इसे खत्म करना संविधान के खिलाफ जाएगा।
कमला हैरिस ने अवैध प्रवासियों के लिए व्यक्त की चिंता
कमला हैरिस ने अमेरिकी आव्रजन प्रणाली के प्रति चिंता व्यक्त की है, कहकर कि यह चरमरा गई है और इसे सुधारने के लिए विधायी उपायों की आवश्यकता है। उनका मानना है कि आव्रजन नीतियों को सही दिशा में ले जाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे, जिससे सभी प्रवासियों के अधिकारों की रक्षा की जा सके।
इस बीच, डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक चुनावी रैली में हैरिस पर "आप्रवासी गिरोहों और अवैध विदेशी अपराधियों" को अमेरिका में लाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "आप्रवासी गिरोहों को अमेरिका लाने की उनकी नीति हमारे देश के खिलाफ एक अपराध है।" ट्रंप का यह बयान स्पष्ट रूप से आव्रजन के मुद्दे पर उनकी कड़ी नीति को दर्शाता है, जिससे उन्होंने अपने समर्थकों के बीच एक मजबूत संदेश पहुंचाने का प्रयास किया हैं।
अमेरिका में 88 प्रतिशत लोग है ट्रंप समर्थक
जॉर्जिया में ‘फेडरेशन ऑफ इंडियन-अमेरिकन्स’ के महासचिव वासुदेव पटेल का मानना है कि ट्रंप अमेरिका में "पढ़े-लिखे" और "शांति पसंद" लोगों का स्वागत करना चाहते हैं। इस दृष्टिकोण से, ट्रंप का इरादा ऐसे प्रवासियों को प्राथमिकता देना प्रतीत होता है, जो उनके अनुसार, अमेरिकी समाज में सकारात्मक योगदान दे सकते हैं।
प्यू रिसर्च की एक सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि राष्ट्रपति चुनाव के दोनों उम्मीदवारों के समर्थक सामूहिक निर्वासन के मुद्दे पर विभिन्न राय रखते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 88 प्रतिशत ट्रंप समर्थक अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे आप्रवासियों को बड़े पैमाने पर निर्वासित करने के पक्ष में हैं। इसके विपरीत, केवल 27 प्रतिशत हैरिस समर्थक बड़े पैमाने पर निर्वासन का समर्थन करते हैं, जबकि 72 प्रतिशत इसके खिलाफ हैं।
मिशिगन की छात्रा लातन्या ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय साझा की। उन्होंने कहा कि आव्रजन एक अहम चुनावी मुद्दा है और वह ट्रंप की नीतियों से नाखुश हैं। उनका मानना है, "मुझे लगता है कि हैरिस चुनाव में ट्रंप के मुकाबले कहीं बेहतर विकल्प हैं।"