US President Election: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में आईटी, बैंकिंग और ऑयल की दिग्गज कंपनियां किसका देगी साथ? किसके पक्ष में है टेक्नोलॉजी? जानें...

US President Election: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में आईटी, बैंकिंग और ऑयल की दिग्गज कंपनियां किसका देगी साथ? किसके पक्ष में है टेक्नोलॉजी? जानें...
Last Updated: 28 सितंबर 2024

अमेरिका में 5 नवंबर 2024 को राष्ट्रपति पद के चुनाव होने हैं, और इस बार भी कॉर्पोरेट जगत खुलकर अपने पसंदीदा उम्मीदवार का समर्थन कर रहा है। आईटी, बैंकिंग, ऑयल और अन्य प्रमुख कंपनियां अपनी-अपनी पसंद के उम्मीदवार को भारी-भरकम वित्तीय मदद दे रही हैं, ताकि उनकी पसंद का उम्मीदवार चुनाव जीत सके।

वॉशिंगटन: जैसे-जैसे 5 नवंबर, 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव नजदीक आ रहे हैं, कॉर्पोरेट जगत के लोगों और कंपनियों का समर्थन राजनीतिक आधार पर स्पष्ट होता जा रहा है। इस बार का मुकाबला डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के बीच है। कॉर्पोरेट सेक्टर भी खुले तौर पर इन उम्मीदवारों का समर्थन कर रहा है, जो उनके आर्थिक और राजनीतिक हितों पर आधारित है। प्रमुख तकनीकी कंपनियां जैसे गूगल, फेसबुक, और माइक्रोसॉफ्ट डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ जुड़ी हुई हैं, क्योंकि इन कंपनियों की नीतियां आमतौर पर डेटा प्राइवेसी, जलवायु परिवर्तन, और श्रमिक अधिकारों के प्रति डेमोक्रेट्स की नीतियों के साथ मेल खाती हैं। ये कंपनियां कमला हैरिस का समर्थन करती दिख रही हैं।

किस उम्मीदवार के पक्ष में है टेक्‍नोलॉजी?

अमेरिका के 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में तकनीकी दिग्गज कंपनियां, विशेष रूप से उनके कर्मचारी, कमला हैरिस को बड़े पैमाने पर समर्थन दे रहे हैं।ओपनसीक्रेट्स (OpenSecrets) की रिपोर्ट के अनुसार, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल (अल्फाबेट), अमेजन, और सन माइक्रोसिस्टम्स जैसी बड़ी टेक कंपनियों के कर्मचारियों ने कमला हैरिस के चुनावी अभियान में लाखों डॉलर का योगदान दिया है। इन कंपनियों के कर्मचारियों द्वारा दिए गए चुनावी चंदे की तुलना में डोनाल्ड ट्रंप को मिलने वाला समर्थन कहीं कम है। यह बड़े पैमाने पर इन कंपनियों की डेटा प्राइवेसी, जलवायु परिवर्तन, और श्रमिक अधिकारों से जुड़ी नीतियों के कारण है, जो डेमोक्रेटिक विचारधारा के अधिक करीब मानी जाती हैं।

तकनीकी जगत की कंपनियां आम तौर पर डेमोक्रेट्स के प्रगतिशील नीतियों का समर्थन करती हैं, जो प्रवासी नीतियों, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्लाइमेट चेंज जैसे मुद्दों पर भी फोकस करती हैं। अमेरिका के 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में कुछ प्रमुख तकनीकी अरबपति डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन करते नजर आ रहे हैं। टेस्ला और स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क, फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग, और पेपल के सह-संस्थापक पीटर थिएल जैसे प्रमुख तकनीकी दिग्गजों का झुकाव ट्रंप की ओर हैं।

हालांकि, इन अरबपतियों द्वारा ट्रंप के चुनावी अभियान में दी गई वित्तीय सहायता के बारे में अभी तक कोई सार्वजनिक जानकारी सामने नहीं आई है। लेकिन उनकी बयानबाजी और नीतिगत विचारधाराओं से यह स्पष्ट होता है कि ये टेक अरबपति ट्रंप के विचारों और नीतियों के अधिक करीब हैं। एलन मस्क ने पहले भी ट्रंप प्रशासन के दौरान कुछ नीतियों का समर्थन किया था, खासकर प्रो-बिजनेस, टैक्स कटौती, और रेगुलेशन में ढील जैसे मुद्दों पर। इसी तरह, पीटर थिएल, जो पहले भी ट्रंप के समर्थन में थे, 2024 के चुनाव में भी उनकी नीतियों का समर्थन कर रहे हैं।

ट्रंप का समर्थन कर रहीं बैंकिंग और तेल कंपनियां

अमेरिका के 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप ने बैंकिंग और तेल कंपनियों का समर्थन पाने में सफलता हासिल की है, क्योंकि उन्होंने टैक्स और नियम-कानूनों में ढील देने का वादा किया है। इसके साथ ही, ट्रंप ने नेट-जीरो मिशन को "फर्जी" करार दिया और कोयला व तेल पर भरोसा जताया है, जिससे तेल कंपनियों को फायदा हो सकता है। इसके विपरीत, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए की गई नीतियों को सख्त मानते हुए ट्रंप ने ग्रीन एनर्जी और क्लाइमेट रेगुलेशन के खिलाफ रुख अपनाया है। यही कारण है कि तेल और पारंपरिक ऊर्जा कंपनियां ट्रंप के समर्थन में हैं।

मार्क जुकरबर्ग द्वारा कांग्रेस को भेजे गए पत्र का ट्रंप ने चुनावी हथियार के रूप में उपयोग किया, जिसमें जुकरबर्ग ने बाइडेन प्रशासन पर मेटा से कोविड के दौरान कुछ सामग्री हटाने के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया था। जुकरबर्ग के अनुसार, जब उनकी टीम ने ऐसा करने से मना किया, तो उन्हें प्रताड़ित किया गया। इस मुद्दे को उठाकर ट्रंप ने तकनीकी कंपनियों के खिलाफ अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश की, हालांकि जुकरबर्ग ने ट्रंप के प्रति कोई आधिकारिक समर्थन नहीं दिया है।

इसके विपरीत, तकनीकी दिग्गज जैसे माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, और अमेजन के कर्मचारी कमला हैरिस का समर्थन कर रहे हैं, जो उदारवादी और प्रगतिशील विचारधारा की हैं। ट्रंप की नीतियों को लेकर ग्रेटा थनबर्ग जैसे जलवायु कार्यकर्ताओं ने आलोचना की है, क्योंकि उन्होंने ट्रंप पर जलवायु संकट को गंभीरता से न लेने और पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर अत्यधिक निर्भरता को बढ़ावा देने का आरोप लगाया हैं।

 

 

 

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