बांग्लादेश में हिंदू पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी ने हिंदू समुदाय में आक्रोश पैदा कर दिया है। पुजारी की गिरफ्तारी के बाद, सैकड़ों हिंदू सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इन प्रदर्शनों के दौरान पुलिस द्वारा कई प्रदर्शनकारियों पर बर्बरता किए जाने की भी खबरें सामने आई हैं। इस विवाद के बीच, अंतरराष्ट्रीय कृष्ण चेतना सोसायटी (इस्कॉन) का बयान चर्चा का विषय बन गया है।
पहले पल्ला झाड़ा, अब जताई सहानुभूति
शुरुआत में इस्कॉन बांग्लादेश ने हिंदू पुजारी चिन्मय कृष्ण दास से खुद को अलग कर लिया था। संगठन ने स्पष्ट किया कि चिन्मय दास धार्मिक संस्था का प्रतिनिधित्व नहीं करते और उन्हें अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत सभी पदों से हटा दिया गया है। लेकिन ताजा बयान में इस्कॉन ने अपना रुख बदलते हुए कहा है कि वह उनके अधिकारों और स्वतंत्रता के समर्थन में खड़ा रहेगा।
चिन्मय कृष्ण दास पर देशद्रोह का आरोप
पुजारी चिन्मय कृष्ण दास पर बांग्लादेश सरकार ने देशद्रोह का आरोप लगाया है। उनके खिलाफ यह कार्रवाई धार्मिक और सामाजिक स्तर पर बढ़ती अस्थिरता के बीच की गई। इस मामले में इस्कॉन ने पहले कहा था कि चिन्मय दास संगठन के आधिकारिक सदस्य नहीं हैं, जिससे संगठन ने खुद को उनसे अलग दिखाने की कोशिश की।
इस्कॉन का नया बयान: क्या है बदलाव?
इस्कॉन के महासचिव चारु चंद्र दास ब्रह्मचारी ने कहा कि अनुशासन तोड़ने के कारण चिन्मय दास को सभी पदों से हटा दिया गया था। इसके बावजूद, नए बयान में इस्कॉन ने उनके साथ एकजुटता व्यक्त की है। बयान में कहा गया, "हम शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक माध्यमों से अपने अधिकारों के लिए खड़े होने वाले हर व्यक्ति का समर्थन करते हैं। इस्कॉन हिंदू पूजा स्थलों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।"
हिंदू समुदाय पर बढ़ते हमले
बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमले कोई नई बात नहीं हैं। हाल के वर्षों में मंदिरों पर हमले, पुजारियों की हत्या और धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचाने की घटनाएं बढ़ी हैं। चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी ने इस चिंता को और बढ़ा दिया है।
समाज में बढ़ती अस्थिरता
इस पूरे मामले ने बांग्लादेश में धार्मिक असहिष्णुता और प्रशासनिक रवैये पर सवाल खड़े कर दिए हैं। हिंदू समुदाय इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला मान रहा है, जबकि सरकार इसे कानून व्यवस्था का मामला बता रही है।
क्या कहता है अंतरराष्ट्रीय समाज?
इस्कॉन का यह बयान ऐसे समय में आया है जब बांग्लादेश की स्थिति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बन गई है। मानवाधिकार संगठन और अन्य अंतरराष्ट्रीय समुदाय बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए कदम उठाने की अपील कर रहे हैं।
आगे की राह
इस्कॉन ने स्पष्ट किया कि वह शांतिपूर्ण विरोध और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों के समर्थन में खड़ा रहेगा। यह बयान हिंदू समुदाय के बीच एक आश्वासन की तरह देखा जा रहा है। वहीं, बांग्लादेश सरकार की कार्रवाई पर नजर डालें तो हालात अभी भी तनावपूर्ण बने हुए हैं।
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी ने न केवल बांग्लादेश के हिंदू समुदाय में आक्रोश पैदा किया है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बांग्लादेश की छवि को सवालों के घेरे में ला दिया है। इस्कॉन का यह बदला हुआ रुख हिंदू समुदाय के मनोबल को बढ़ा सकता है, लेकिन इससे धार्मिक स्वतंत्रता की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है।