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झारखंड में मानसून की धीमी रफ्तार: पश्चिमी हवाएं बनीं बाधा, जानिए कब होगी झमाझम बारिश?

झारखंड में मानसून की धीमी रफ्तार: पश्चिमी हवाएं बनीं बाधा, जानिए कब होगी झमाझम बारिश?

झारखंड में इस वर्ष मानसून की चाल सामान्य से थोड़ी धीमी नजर आ रही है। मौसम विभाग के ताज़ा अपडेट के अनुसार, राज्य में मानसून के आगमन की सामान्य तिथि 10 जून होती है, लेकिन इस बार 12 जून के बाद ही इसके सक्रिय होने की संभावना जताई जा रही है। 

Jharkhand Monsoon Update: झारखंड के लोगों के लिए राहत भरी खबर है, क्योंकि दक्षिण-पश्चिम मानसून के जून के मध्य तक राज्य में पहुंचने की संभावना जताई गई है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के एक अधिकारी ने रविवार को बताया कि 10 जून के बाद मानसून की गति में तेजी आ सकती है, जिससे झारखंड में बारिश की शुरुआत जल्द हो सकती है।

इस वर्ष मानसून ने अपने तय समय से एक सप्ताह पहले, यानी 24 मई को ही केरल में दस्तक दे दी थी। आमतौर पर, मानसून एक जून तक केरल पहुंचता है और फिर धीरे-धीरे पूरे देश में फैलता है, जो सामान्यतः 8 जुलाई तक सभी राज्यों को कवर कर लेता है।

केरल में जल्दी पहुंचा, झारखंड में देरी तय

गौरतलब है कि इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून ने अपनी सामान्य तिथि से लगभग एक सप्ताह पहले 24 मई को केरल में दस्तक दी थी। आमतौर पर मानसून एक जून तक केरल में पहुंचता है और 8 जुलाई तक पूरे देश को अपने दायरे में ले लेता है। लेकिन झारखंड जैसे राज्यों में मौसम की स्थानीय परिस्थितियां इसकी गति को प्रभावित करती हैं।

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD), रांची के उपनिदेशक अभिषेक आनंद ने बताया कि झारखंड में 12 जून से पहले मानसून के आने की संभावना बहुत कम है। यदि हवाओं की दिशा पूर्वी होने लगे और बंगाल की खाड़ी से नमी आनी शुरू हो जाए, तभी मानसून की गति तेज हो सकती है। उन्होंने बताया, फिलहाल राज्य में पश्चिमी हवाएं सक्रिय हैं। जब तक ये हवाएं पूर्वी नहीं होतीं और नमी नहीं लातीं, तब तक मानसून के आगे बढ़ने की संभावना कम है। 10 जून के बाद पूर्वी हवाओं के सक्रिय होने की उम्मीद है, जिससे मानसून की राह आसान हो सकती है।

अब तक कैसी रही बारिश?

IMD की रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में 1 जून से 7 जून 2025 तक की अवधि में बारिश लगभग सामान्य रही है। इस दौरान राज्य में औसतन 19.2 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है, जबकि सामान्य औसत 19.4 मिमी होता है। इससे स्पष्ट है कि राज्य में फिलहाल मौसम संतुलित है, लेकिन बारिश की तीव्रता उतनी नहीं है कि इसे मानसून का आगमन माना जाए।

मौजूदा हल्की बारिश की वजह से किसानों के लिए धान की नर्सरी तैयार करने की स्थिति फिलहाल अनुकूल बनी हुई है। खेतों में पर्याप्त नमी बनी हुई है जिससे शुरुआती खेती कार्य किए जा सकते हैं। लेकिन अगर मानसून में देरी ज्यादा होती है, तो धान की रोपाई पर असर पड़ सकता है।

पिछले वर्षों का हाल

पिछले साल झारखंड में सामान्य बारिश दर्ज की गई थी। 1 जून से 30 सितंबर 2024 तक 1011.6 मिमी बारिश हुई थी। हालांकि 2023 में भी वर्षा की असमानता देखने को मिली थी, जिसके चलते राज्य सरकार को 17 जिलों के 158 प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित करना पड़ा था। इससे पहले 2022 में भी स्थिति गंभीर रही थी, जब जून-जुलाई में कम वर्षा के चलते 260 में से 226 प्रखंड सूखाग्रस्त घोषित किए गए थे।

इस बार मई के आखिरी सप्ताह में बंगाल की खाड़ी में जो मौसमीय सिस्टम बना था, वह बांग्लादेश की ओर चला गया। अगर वह झारखंड की ओर बढ़ता, तो मानसून यहां पहले भी पहुंच सकता था। इस चूक ने मानसून के आगमन में देरी की स्थिति बना दी।

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