सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है जिसमें सरकार को एक भर्ती की मेरिट लिस्ट रद्द करने और तीन महीने में दोबारा तैयार करने का आदेश दिया गया था। यह रोक 25 सितंबर तक के लिए लगाई गई है। कोर्ट ने इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार और हाईकोर्ट में पक्षकारों को नोटिस जारी करते हुए अधिकतम सात पन्नों का लिखित जवाब मांगा है।
Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश में 69000 सहायक शिक्षक भर्ती मामले में आरक्षण को लेकर अधर में लटके मामले में अब सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने सरकार को भर्ती की मेरिट लिस्ट रद्द करने और तीन महीने में दोबारा तैयार करने का आदेश दिया था, जिस पर अब सुप्रीम कोर्ट ने 25 सितंबर तक रोक लगा दी है।
इस फैसले के बाद शिक्षक अभ्यर्थियों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि अब इस मामले का क्या होगा? उनकी नौकरी जाएगी या बचेगी? सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार और हाईकोर्ट में पक्षकारों को नोटिस भेजकर अधिकतम सात पन्नों का लिखित जवाब मांगा है। इस मामले में अब नए सिरे से सुनवाई शुरू होगी और सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर ही 69000 सहायक शिक्षक भर्ती का भविष्य तय होगा।
यूपी में शिक्षकों की नौकरी
पिछले चार सालों से 69000 सहायक शिक्षकों की नौकरी कर रहे हजारों शिक्षकों के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरक्षण नियमों में गड़बड़ी के चलते मौजूदा चयन सूची को रद्द कर दिया है और सरकार को तीन महीने में नई मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया है।
इस फैसले से सामान्य वर्ग के शिक्षकों पर सबसे ज्यादा असर पड़ने की आशंका है। नए नियमों के अनुसार आरक्षण का पालन करते हुए मेरिट लिस्ट बनाई जाएगी। इसका मतलब है कि सामान्य वर्ग के कई शिक्षक नई लिस्ट में अपनी जगह नहीं बना पा सकते हैं, जिससे उनकी नौकरी खतरे में पड़ सकती है।
आगे की आरक्षण नियमावली पर टिकी हैं नज़रें
सुप्रीम कोर्ट द्वारा मेरिट लिस्ट पर रोक लगाने के बाद सामान्य वर्ग के चयनित उम्मीदवारों को एक नई उम्मीद मिली है। उन्हें नई मेरिट लिस्ट से बाहर किए जाने का डर अब कम हुआ है। लेकिन, अभी इस मामले का फैसला नहीं आया है। यदि सुप्रीम कोर्ट भी हाईकोर्ट की तरह पुरानी मेरिट लिस्ट को गलत ठहराता है, तो चयनित शिक्षकों को मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है। दूसरी तरफ, यदि सुप्रीम कोर्ट यूपी सहायक शिक्षक भर्ती में आरक्षण नियमावली (परीक्षा के बाद आरक्षण) से संतुष्ट नहीं होता, तो चयनित उम्मीदवारों की नौकरी सुरक्षित रहेगी।
इलाहाबाद HC का शिक्षकों की नौकरी पर फैसला
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में सहायक शिक्षकों की नौकरी पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि मौजूदा शैक्षणिक सत्र में किसी भी कार्यरत सहायक शिक्षक की नौकरी नहीं जाएगी। कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर किसी कार्यरत सहायक शिक्षक को इस मामले से कोई नुकसान होता है, तो उन्हें मौजूदा शैक्षणिक सत्र का लाभ दिया जाएगा। इस फैसले का उद्देश्य छात्रों की पढ़ाई पर किसी भी तरह के नकारात्मक प्रभाव को रोकना है। इस मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली है।