साल 2024 का समापन होते हुए भारतीय शिक्षा प्रणाली में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। इन बदलावों का असर विद्यार्थियों, शिक्षकों और विश्वविद्यालयों पर लंबे समय तक रहेगा। खासतौर पर, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा कई नए निर्णय और सुधारों की घोषणा की गई, जो शिक्षा के स्तर को और अधिक समृद्ध करेंगे। आइए जानते हैं 2024 में शिक्षा के क्षेत्र में हुए ये बड़े बदलाव जो आपके लिए जानना जरूरी हैं।
1. आयुर्वेद जीव विज्ञान को राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा में जोड़ा गया
उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने आयुर्वेद जीव विज्ञान को राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (NET) में एक नए विषय के रूप में शामिल किया है। यह कदम पारंपरिक भारतीय ज्ञान को सम्मान देने के लिए उठाया गया है, और आयुर्वेद को अब एक शैक्षिक क्षेत्र के रूप में उभारा गया है। इस बदलाव का उद्देश्य आयुर्वेद को उच्च शिक्षा में और अधिक समाहित करना और उसे राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता देना हैं।
2. UGC का त्वरित और विस्तारित डिग्री कार्यक्रम
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने स्नातक छात्रों के लिए एक नए विकल्प की घोषणा की है, जिससे वे अपनी डिग्री की अवधि को कम या ज्यादा कर सकते हैं। अब छात्रों को डिग्री के लिए मानक समय के मुकाबले अपनी सुविधा के अनुसार त्वरित डिग्री (ADP) या विस्तारित डिग्री (EDP) का चुनाव करने का अवसर मिलेगा।
त्वरित डिग्री कार्यक्रम (ADP) में छात्रों को ज्यादा क्रेडिट अर्जित करके कम समय में डिग्री प्राप्त करने का अवसर मिलेगा, जबकि विस्तारित डिग्री कार्यक्रम (EDP) में छात्रों को कम क्रेडिट के साथ अधिक समय लेने का विकल्प मिलेगा। इस बदलाव से छात्रों को अपनी व्यक्तिगत जरूरतों और कार्यशैली के अनुसार शिक्षा पूरी करने का लचीलापन मिलेगा।
3. UGC तीन साल के कोर्स को ढाई साल में पूरा करने की योजना
UGC चेयरमैन एम जगदीश कुमार के अनुसार, आयोग छात्रों के लिए और भी तेज़ी से डिग्री पूरी करने के विकल्प पर विचार कर रहा है। इसका मतलब है कि अब तीन साल का डिग्री कोर्स ढाई साल में और चार साल का कोर्स तीन साल में पूरा किया जा सकता है। इस बदलाव से विद्यार्थियों को शिक्षा की गति बढ़ाने और कम समय में अपने करियर की शुरुआत करने का अवसर मिलेगा।
4. प्रोफेसर की भर्ती प्रक्रिया में बदलाव
UGC ने उच्च शिक्षा में प्रोफेसरों की भर्ती प्रक्रिया में भी बदलाव की घोषणा की है। नए नियमों के तहत, अब उद्यमिता, स्टार्टअप्स और उद्योग भागीदारी जैसे क्षेत्रों में दक्षता रखने वाले स्नातकोत्तर डिग्री धारक सीधे उच्च शिक्षा संस्थानों में संकाय के रूप में नियुक्त हो सकेंगे।
इस बदलाव से उन लोगों को फायदा मिलेगा जो अपने क्षेत्र में एक्सपर्ट हैं और जिन्होंने उद्योगों में अनुभव प्राप्त किया है। इससे शिक्षा में व्यावसायिकता और प्रैक्टिकल नॉलेज का समावेश बढ़ेगा। पहले की नीति के अनुसार, प्रोफेसर बनने के लिए पीएचडी और विशेष शैक्षणिक योग्यता अनिवार्य थी, लेकिन अब यह क्षेत्रीय और व्यावसायिक विशेषज्ञता को भी महत्व दिया जाएगा।
5. आयुर्वेद और पारंपरिक ज्ञान को शैक्षिक प्रणाली में प्राथमिकता
इस साल की एक और बड़ी घोषणा में UGC ने आयुर्वेद को मुख्यधारा में लाने के लिए इसे NET में विषय के रूप में जोड़ा है। यह कदम न केवल पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और ज्ञान को शैक्षिक संस्थानों में समाहित करने का भी प्रयास हैं।
इस कदम से आयुर्वेद के क्षेत्र में शिक्षण और शोध के नए अवसर खुलेंगे और छात्रों को भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को वैश्विक स्तर पर समझने और अपनाने का मौका मिलेगा।
2024 में शिक्षा क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जो छात्रों और शैक्षिक संस्थानों के लिए नई दिशा प्रदान करेंगे। UGC के इन बदलावों के बाद भारतीय शिक्षा प्रणाली अधिक लचीली, समावेशी और वैश्विक दृष्टिकोण से मजबूत होगी। छात्रों को अब उनकी व्यक्तिगत जरूरतों के हिसाब से शिक्षा प्राप्त करने के ज्यादा विकल्प मिलेंगे, जिससे उन्हें अपने भविष्य के लिए बेहतर तैयारी करने का अवसर मिलेगा। इसके अलावा, पारंपरिक भारतीय ज्ञान और शैक्षिक संरचनाओं को लेकर भी नए दृष्टिकोण से सोचने की आवश्यकता है, जो आने वाले वर्षों में और भी महत्वपूर्ण साबित हो सकता हैं।