BPSC में दूसरी बार में सफलता: कोचिंग और ट्यूशन की मदद के बिना अधिकारी बनने का सपना हुआ साकार, जानिए किस तरह पूरा किया सपना

BPSC में दूसरी बार में सफलता: कोचिंग और ट्यूशन की मदद के बिना अधिकारी बनने का सपना हुआ साकार, जानिए किस तरह पूरा किया सपना
Last Updated: 23 घंटा पहले

बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की कठिन परीक्षा को बिना कोचिंग के पास करना क्या सच में मुमकिन है? इस सवाल का जवाब दिया है बिहार के मेदिनीनगर की रिया वर्मा ने। रिया ने BPSC की 69वीं परीक्षा में जनरल कैटेगरी में 107वीं रैंक हासिल कर यह साबित कर दिया कि अगर इरादा मजबूत हो, तो कोई भी कठिनाई बड़ी नहीं होती। रिया ने अपनी मेहनत और सेल्फ स्टडी के बल पर यह सफलता पाई, जिससे उन्होंने न सिर्फ अपनी सफलता की मिसाल पेश की, बल्कि उन तमाम युवाओं को प्रेरित किया जो सोचते हैं कि कोचिंग के बिना सरकारी परीक्षा पास करना मुश्किल हैं।

रिया की शिक्षा और शुरुआती जीवन

रिया वर्मा की शिक्षा मेदिनीनगर में हुई। बचपन से ही वह पढ़ाई में तेज और गंभीर थीं। उन्होंने अपनी इंटरमीडिएट की पढ़ाई सीबीएसई बोर्ड से की और फिर स्नातक की डिग्री कॉमर्स स्ट्रीम से पूरी की। इसके बाद रिया ने बिहार प्रशासनिक सेवा की तैयारी के लिए पटना में कदम रखा। पहले प्रयास में वह चार अंक से BPSC प्रीलिम्स में सफल नहीं हो पाईं, लेकिन उन्होंने हार मानने का नाम नहीं लिया और दूसरे प्रयास में शानदार सफलता हासिल की।

सेल्फ स्टडी 

रिया ने बिना किसी कोचिंग के अपनी तैयारी की थी। उनकी सफलता का राज था सेल्फ स्टडी, जो उन्होंने बहुत ही रणनीतिक तरीके से की। उन्होंने एनसीईआरटी की किताबों को पढ़ने के साथ-साथ 2013 से 2023 तक के बीपीएससी एग्जाम के नोट्स तैयार किए। उनका मानना था कि प्री परीक्षा की तैयारी के लिए 6 से 12 तक की एनसीईआरटी किताबों को समझना बहुत जरूरी है। इसके बाद, उन्होंने मेंस की तैयारी के लिए अपनी राइटिंग स्किल्स पर ध्यान केंद्रित किया। वह रोजाना 6 से 8 घंटे राइटिंग की प्रैक्टिस करती थीं, जिससे उनकी लेखन क्षमता बेहतर हो गई।

मॉक इंटरव्यू का योगदान

रिया ने मॉक इंटरव्यू को बहुत महत्वपूर्ण बताया। उनका मानना है कि मॉक इंटरव्यू से उम्मीदवार को यह समझने में मदद मिलती है कि इंटरव्यू में क्या सवाल पूछे जा सकते हैं। साथ ही यह उम्मीदवार के आत्मविश्वास को बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि मॉक इंटरव्यू से उनका डर खत्म हुआ और वह इंटरव्यू में आत्मविश्वास के साथ शामिल हो सकीं।

सोशल मीडिया का प्रभाव

रिया ने बताया कि सोशल मीडिया ने उनकी तैयारी में काफी मदद की। यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध सफलता टिप्स और अध्ययन सामग्री से वह अपनी तैयारी को और बेहतर कर सकीं। सोशल मीडिया के माध्यम से रिया ने बहुत सी टिप्स और रणनीतियां सीखी जो उनकी तैयारी में सहायक साबित हुईं।

प्रेरणा का स्रोत – परिवार और मीडिया संपर्क

रिया के परिवार में कई सदस्य मीडिया क्षेत्र से जुड़े हुए हैं, जिनमें उनके चाचा और भाई शामिल हैं। उन्होंने अधिकारियों की कार्यशैली को नजदीक से देखा और यह उनके लिए प्रेरणा का स्त्रोत बना। रिया के मुताबिक, उन्होंने प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की जीवनशैली को देखा और उसी प्रेरणा से उनके मन में अधिकारी बनने का सपना पलने लगा। यह सपना अब साकार हो चुका है, और वह खुद अपनी सफलता की कहानी बन गई हैं।

रिया की अन्य रुचियां

रिया को कविता लेखन, वाचन, और चित्रकला का भी शौक है। इसके अलावा, उन्हें खेलों में भी रुचि है और बैडमिंटन उनका पसंदीदा खेल है। वह मानती हैं कि किसी भी लक्ष्य को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प की जरूरत होती है। उनका संदेश है कि मेहनत और आत्मविश्वास से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है।

रिया वर्मा की सफलता यह साबित करती है कि अगर मेहनत और समर्पण हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता। उनका संघर्ष और सफलता उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकती है, जो कठिनाइयों के बावजूद अपने सपनों को साकार करने की दिशा में मेहनत कर रहे हैं। रिया ने बिना कोचिंग के अपनी कड़ी मेहनत से साबित कर दिया कि सफलता केवल पाठ्यक्रम और कोचिंग पर निर्भर नहीं होती, बल्कि खुद पर विश्वास और समर्पण पर निर्भर करती है।

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