PROBA-3 दुनिया का पहला प्रेसिशन फॉर्मेशन फ्लाइंग सैटेलाइट है, जिसमें एक नहीं, बल्कि दो सैटेलाइट्स को एक साथ लॉन्च किया जाएगा। इन दोनों सैटेलाइट्स का उद्देश्य एक साथ मिलकर विशेष मिशन को अंजाम देना हैं।
इसरो: ISRO आज शाम यूरोपीय स्पेस एजेंसी के PROBA-3 सोलर मिशन को लॉन्च करने जा रहा है। इस मिशन को पहले बुधवार शाम को PSLV-C59 से लॉन्च किया जाना था, लेकिन PROBA-3 स्पेसक्राफ्ट में कुछ खामी के कारण लॉन्चिंग को टाल दिया गया था। अब यह मिशन आज शाम 4.15 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाएगा।
PROBA-3 (प्रोजेक्ट फॉर ऑनबोर्ड ऑटोनॉमी) में दो सैटेलाइट्स शामिल हैं, जो एक साथ जुड़े होंगे और सूर्य के बाहरी वातावरण (कोरोना) का अध्ययन करने के लिए छोटी-छोटी जानकारी पृथ्वी पर भेजेंगे। इन दोनों सैटेलाइट्स को बहुत सटीक तरीके से नियंत्रित किया जाएगा ताकि वे एक-दूसरे से ठीक से जुड़ी रहें और एक साथ काम कर सकें।
क्यों महत्वपूर्ण हैं प्रोबा-3 मिशन?
PROBA-3 यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) के PROBA सीरीज का तीसरा सोलर मिशन है। दिलचस्प बात यह है कि इस PROBA सीरीज के पहले मिशन को भी ISRO ने 2001 में लॉन्च किया था। PROBA-3 मिशन में स्पेन, बेल्जियम, पोलैंड, इटली और स्विट्जरलैंड की टीमों ने मिलकर काम किया है। इस मिशन की कुल लागत लगभग 20 करोड़ यूरो (लगभग 1,778 करोड़ रुपये) हैं।
इस मिशन का उद्देश्य सूर्य के इनर और आउटर कोरोना के बीच बने गैप (अंतर) का अध्ययन करना है। PROBA-3 को दो सैटेलाइट्स के जरिए एक साथ लॉन्च किया जाएगा। दोनों सैटेलाइट्स 150 मीटर की दूरी पर एक-दूसरे से अलग रहेंगे और सूर्य के कोरोना का अध्ययन करेंगे, जिससे सूर्य के बाहरी वातावरण के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त होंगी।
प्रोबा-3 मिशन की खासियत
PROBA-3 दुनिया का पहला प्रेसिशन फॉर्मेशन फ्लाइंग सैटेलाइट मिशन है, जिसमें दो सैटेलाइट्स लॉन्च किए जाएंगे। इनमें से पहला कोरोनाग्राफ स्पेसक्राफ्ट है और दूसरा ऑक्लटर स्पेसक्राफ्ट। इन दोनों सैटेलाइट्स का वजन लगभग 550 किलोग्राम है। लॉन्चिंग के बाद ये दोनों सैटेलाइट्स एक-दूसरे से अलग हो जाएंगे। इसके बाद, इन्हें एक साथ सोलर कोरोनाग्राफ बनाने के लिए विशेष रूप से पोजिशन किया जाएगा, ताकि सूर्य के कोरोना (सूर्य के बाहरी वातावरण) का विस्तृत अध्ययन किया जा सके।