चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में गोल्ड लोन में 50% से अधिक वृद्धि हुई है, जबकि पर्सनल लोन में क्रेडिट ग्रोथ 10% से कम रही। विश्लेषक इसे वित्तीय संकट का संकेत मानते हैं।
Gold Loans: चालू वित्त वर्ष में गोल्ड लोन में भारी बढ़ोतरी चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में बैंकों द्वारा सोने के आभूषणों के बदले दिए गए लोन में 50.4% की वृद्धि हुई है। यह वृद्धि तब हुई है जब पर्सनल लोन के अन्य सेगमेंट्स में क्रेडिट ग्रोथ 10% से भी कम रही है। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, 18 अक्टूबर 2024 तक आउटस्टेंडिंग गोल्ड लोन 1,54,282 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था, जबकि मार्च 2024 में यह आंकड़ा 1,02,562 करोड़ रुपये था। इस सालाना वृद्धि ने विशेषज्ञों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या यह वित्तीय संकट का संकेत हो सकता है।
सुरक्षित ऋणों की ओर रुख करने का प्रभाव
बैंकरों का मानना है कि गोल्ड लोन में वृद्धि के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें NBFC से बैंक लोन की दिशा में बदलाव और असुरक्षित ऋणों के मुकाबले सुरक्षित ऋणों को प्राथमिकता देना शामिल है। एनबीएफसी को बैंक लोन 0.7% घटकर 1.5 लाख करोड़ रुपये रह गया है। इसके अलावा, गोल्ड लोन की बढ़ती कीमतों ने उधारकर्ताओं को पुराने ऋणों को चुकाने और नए ऋण प्राप्त करने का मौका दिया है।
गोल्ड लोन पर मंथली पेमेंट प्लान की शुरुआत
अब गोल्ड लोन पर मंथली पेमेंट की सुविधा जल्द शुरू होने जा रही है। इससे उधारकर्ताओं को हर महीने भुगतान करना पड़ेगा, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है।
आरबीआई द्वारा समीक्षा और अनियमित प्रथाओं की पहचान
कुछ विश्लेषक मानते हैं कि गोल्ड लोन की बढ़ती मांग वित्तीय संकट का संकेत है। इस बढ़ती मांग को लेकर आरबीआई ने बैंकों और वित्त कंपनियों को गोल्ड लोन नीतियों की समीक्षा करने का निर्देश दिया था। समीक्षा के दौरान, एवरग्रीनिंग जैसी अनियमित प्रथाओं का पता चला, जहां खराब ऋणों को छुपाने के प्रयास किए गए थे।
अन्य पर्सनल लोन सेगमेंट की धीमी वृद्धि
पर्सनल लोन के अन्य सेगमेंट्स में वृद्धि सुस्त रही है। जहां होम लोन में साल-दर-साल 5.6% की वृद्धि दर्ज की गई है, वहीं क्रेडिट कार्ड बकाए में 9.2% की बढ़ोतरी हुई है। इसके बावजूद, असुरक्षित ऋणों और अन्य व्यक्तिगत ऋणों की वृद्धि केवल 3.3% रही।