भारत कृषि प्रधान देश है और इसकी अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है। यहाँ की जलवायु, भूमि, और विविधता इसे चावल और गेहूँ जैसे महत्वपूर्ण फसलों के उत्पादन के लिए उपयुक्त बनाती है।
चावल उत्पादन:
चावल का महत्व: चावल न केवल भारत का मुख्य खाद्य पदार्थ है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपरा का भी अभिन्न हिस्सा है। विभिन्न उत्सवों और खास अवसरों पर चावल की विशेष डिशेज बनती हैं।
उत्पादन क्षेत्र: भारत में चावल की खेती मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, पंजाब, और तमिलनाडु में होती है। ये राज्य जलवायु और मिट्टी के मामले में चावल के उत्पादन के लिए अनुकूल हैं।
जलवायु की भूमिका: चावल की फसल उष्णकटिबंधीय जलवायु में अच्छी होती है। मानसून के दौरान वर्षा इसकी वृद्धि में सहायक होती है। रबी और खरीफ दोनों मौसम में चावल की खेती की जाती है।
गेहूँ उत्पादन:
गेहूँ का स्थान: गेहूँ भारत का दूसरा सबसे बड़ा खाद्य अनाज है और यह मुख्य रूप से उत्तर भारत में खाया जाता है, जहाँ रोटी और पराठे जैसे उत्पाद बनाए जाते हैं।
प्रमुख उत्पादक राज्य: पंजाब, हरियाणा, और उत्तर प्रदेश गेहूँ के सबसे बड़े उत्पादक राज्य हैं। इन राज्यों में उर्वर मिट्टी और अनुकूल जलवायु की वजह से गेहूँ की फसल बहुत अच्छी होती है।
खेती का समय: गेहूँ की बुवाई अक्टूबर-नवंबर में की जाती है और इसकी कटाई अप्रैल-मई में होती है। यह फसल सर्दियों के दौरान उगती है, जब तापमान सामान्यतः ठंडा होता है।
भारत का वैश्विक स्थान:
चावल और गेहूँ का निर्यात: भारत विश्व में चावल और गेहूँ के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है। 2021-22 में, भारत ने लगभग 20 मिलियन टन चावल का निर्यात किया।
संशोधन और तकनीकी विकास: भारत ने उच्च उपज देने वाली बीजों, बेहतर सिंचाई तकनीक, और उर्वरकों के उपयोग में सुधार किया है, जिससे कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) जैसे संस्थान निरंतर अनुसंधान कर रहे हैं।
कृषि की भूमिका:
रोजगार: कृषि क्षेत्र में लगभग 58% भारतीय आबादी रोजगार प्राप्त करती है। यह क्षेत्र ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है।
आर्थिक विकास: कृषि उत्पादन की वृद्धि से ग्रामीण क्षेत्रों में विकास होता है, जिससे गरीबों के जीवन स्तर में सुधार होता है।
स्थिरता: भारत सरकार ने विभिन्न योजनाओं और नीतियों के माध्यम से कृषि क्षेत्र को स्थिर बनाने के लिए प्रयास किए हैं, जैसे कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना।
सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व:
सांस्कृतिक धरोहर: चावल और गेहूँ न केवल खाद्य पदार्थ हैं, बल्कि भारतीय त्योहारों, रस्मों, और पारंपरिक व्यंजनों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उदाहरण के लिए, मकर संक्रांति पर तिल और चावल के लड्डू बनाना एक प्रथा है।
स्थानीय विविधता: भारत में चावल की कई स्थानीय किस्में हैं, जैसे कि बasmati, जो उसकी सुगंध और गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध है। गेहूँ की भी विभिन्न किस्में हैं, जिनमें धान की हरी चूड़ी, लुथरा, और पूसा बासमती शामिल हैं।
भारत की कृषि न केवल खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करती है, बल्कि यह आर्थिक विकास, सांस्कृतिक पहचान, और सामाजिक स्थिरता में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।