आम जनता को महंगाई से थोड़ी राहत मिलती दिख रही है। नवंबर महीने में भारत की खुदरा महंगाई दर घटकर 5.48 प्रतिशत पर आ गई, जबकि अक्टूबर में यह 6.21 प्रतिशत थी। इस गिरावट से लोगों को राहत महसूस हो रही है, खासकर खाद्य वस्तुओं के दाम में गिरावट के कारण। अब यह सवाल उठने लगा है कि क्या इस गिरावट के साथ भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अगले महीने अपनी मौद्रिक नीति में ब्याज दरों में कटौती कर सकता है?
खुदरा महंगाई में आई कमी
नवंबर में खुदरा महंगाई दर में आई कमी की एक बड़ी वजह खाद्य वस्तुओं की कीमतों में आई गिरावट है। नवंबर में खाद्य महंगाई की दर 9.04 प्रतिशत रही, जबकि अक्टूबर में यह 10.87 प्रतिशत थी। खाद्य वस्तुओं की कीमतों में नरमी से आम आदमी को राहत मिल सकती है, खासकर सब्जियों और खाद्य तेल की कीमतों में गिरावट के कारण। सब्जियों के दाम में नवंबर में 29.33 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी, लेकिन इसके बावजूद महंगाई में कमी देखने को मिली।
क्या आरबीआई ब्याज दरों में करेगा कटौती?
अगर आने वाले महीनों में महंगाई की दर पर इस तरह की नरमी बनी रहती है, तो मौद्रिक नीति कमेटी फरवरी में अपनी बैठक में ब्याज दरों में कटौती करने पर विचार कर सकती है। हालांकि, इस महीने की मौद्रिक नीति में आरबीआई ने महंगाई को ध्यान में रखते हुए ब्याज दरों में किसी प्रकार की कटौती से इंकार कर दिया था। आरबीआई का उद्देश्य महंगाई दर को चार प्रतिशत तक लाना है, जबकि इसकी अधिकतम सीमा छह प्रतिशत तय की गई है। आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि रबी फसल की अच्छी पैदावार से खाद्य वस्तुओं की कीमतें कम हो सकती हैं, जिससे महंगाई पर काबू पाया जा सकेगा।
महंगाई में कमी की मुख्य वजह
नवंबर में खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कमी आने के बावजूद कुछ चीजों के दाम में वृद्धि भी हुई थी। जैसे आलू, फूलगोभी, पत्ता गोभी और लहसुन की कीमतों में काफी इजाफा हुआ। आलू की कीमतों में 66.65 प्रतिशत, फूलगोभी में 47.70 प्रतिशत, पत्ता गोभी में 43.58 प्रतिशत और लहसुन की कीमत में 85.14 प्रतिशत का इजाफा हुआ। इसके बावजूद कुल मिलाकर खाद्य तेल और अन्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट आई है, जिससे महंगाई में कुछ कमी आई है।
राज्यों में महंगाई की स्थिति
देशभर में महंगाई दर में गिरावट देखने को मिली है, लेकिन राज्यों के हिसाब से यह दर अलग-अलग रही। दिल्ली में महंगाई दर सिर्फ 2.65 प्रतिशत रही, जो देश भर में सबसे कम है। वहीं, छत्तीसगढ़ में महंगाई दर 8.39 प्रतिशत रही, जो सबसे अधिक थी। बिहार में यह दर 7.55 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 6.56 प्रतिशत और हरियाणा में 5.32 प्रतिशत रही। पंजाब में महंगाई दर 4.68 प्रतिशत, जबकि झारखंड में 5.41 प्रतिशत रही।
आने वाले महीनों में राहत की उम्मीद
अगर आने वाले महीनों में महंगाई दर इसी तरह कम होती रही, तो भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति कमेटी ब्याज दरों में कटौती करने पर विचार कर सकती है। इसके साथ ही, यदि रबी फसल में अच्छी पैदावार होती है तो खाद्य वस्तुओं की कीमतों में और गिरावट आ सकती है, जिससे महंगाई की दर और कम हो सकती है। ऐसे में आम आदमी को महंगाई से राहत मिलने के साथ ही, ब्याज दरों में कटौती से लोन की किश्तों में भी कमी आ सकती है।
इस तरह, अगर आने वाले महीनों में महंगाई में और राहत मिलती है तो आर्थिक माहौल में सुधार की उम्मीदें जताई जा सकती हैं।