Mushroom Farming: Agriculture में बेहतरीन विकल्प, कमरे में लगाए मशरूम, कर रहें हैं करोड़ों की कमाई

Mushroom Farming: Agriculture में बेहतरीन विकल्प, कमरे में लगाए मशरूम, कर रहें हैं करोड़ों की कमाई
Last Updated: 3 घंटा पहले

ठंडे कमरों में एसी लगाकर, सर्दियों में बटन मशरूम की खेती शुरू की गई। गर्मियों में एसी का इस्तेमाल किया गया और सर्दियों में आधे साल तक बिना एसी के ही मशरूम की खेती की गई। एक कमरे में सालभर में 35 से 40 लाख रुपये का उत्पादन हो रहा है। इसके साथ ही, सर्दियों में मशरूम की खेती के लिए पांच छोटी झोपड़ियां भी बनाई गई हैं।

Bijnor: खेती में भी स्टार्टअप हो सकते हैं, और जिले के युवा इस बात को साबित कर रहे हैं। चांदपुर के सुनगढ़ गांव के निवासी अतुल सिंह ने खेती में आमदनी बढ़ाने के लिए एक स्टार्टअप की शुरुआत की। उन्होंने एक साधारण झोपड़ी में मशरूम की खेती शुरू की और इसे एक सफल फर्म में बदल दिया। उनका वार्षिक टर्नओवर दो करोड़ रुपये से अधिक है। अतुल सिंह ने यह सफलता बिना किसी सरकारी सहायता के हासिल की है।

कमरे में लगाए एयर कंडीशनर

अतुल सिंह ने पेट्रोलियम इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी शुरू की। जब कोरोना महामारी के दौरान वे अपने घर लौटे, तो उन्होंने देखा कि उनके परिवार के लोग गन्ने की खेती में पूरे साल मेहनत करते हैं, लेकिन उनकी बचत बहुत कम होती है।

इस विचार के बाद, अतुल सिंह ने एक झोपड़ी में बटन मशरूम की खेती शुरू करने का निर्णय लिया। कम जगह में ही उन्होंने मशरूम से अच्छी कमाई करना शुरू कर दिया। बिना किसी सरकारी सहायता के, उन्होंने 1200-1200 वर्ग फीट के चार पक्के कमरे बनवाए और उनमें एयर कंडीशनर लगवाए।

बटन मशरूम की खेती की शुरू

ठंडे कमरों में एयर कंडीशनर लगाकर ठंड के मौसम में बटन मशरूम की खेती शुरू की। गर्मियों में एसी का उपयोग करते हैं और सर्दियों में लगभग आधे साल तक बिना एसी के ही मशरूम की खेती करते हैं। एक कमरे में साल भर में 35 से 40 लाख रुपये का उत्पादन होता है।

इसके अतिरिक्त, सर्दियों में मशरूम की खेती के लिए उन्होंने पांच छोटी झोपड़ियाँ भी बनाई हैं। अतुल सिंह सप्ताह में तीन दिन गुड़गांव में अपनी नौकरी करते हैं और चार दिन अपने फार्म पर मशरूम की खेती की देखरेख करते हैं।

माल कम तो दाम ज्यादा

गर्मी के मौसम में मशरूम के थोक दाम 150 से 175 रुपये प्रति किलो तक पहुंच जाते हैं, जबकि सर्दियों में ये दाम 125 रुपये प्रति किलो तक गिर जाते हैं। सर्दियों में कम दामों की भरपाई के लिए किसान झोपड़ी में मशरूम की खेती करते हैं। इस तरीके से केवल उत्पादन में बढ़ोतरी होती है, बल्कि एसी के खर्चों से भी बचत होती है।

एक साल में छह बार बदलते हैं बैग

अतुल सिंह एक कमरे में 800 से लेकर 3000 बैग तक लगाते हैं और एक साल में छह बार बैग बदलते हैं। हर बैग में एक बार में ढाई से तीन किलो तक मशरूम होती है। उनके फर्म से ही सारा सामान बाजार में बेचा जाता है।

खेती में भी स्टार्टअप शुरू

अतुल सिंह जैसे युवा किसान खेती के क्षेत्र में नवाचार कर सफलता की नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं। ये युवा यह साबित कर रहे हैं कि खेती में भी स्टार्टअप की संभावनाएं हैं। ऐसे प्रतिभाशाली युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि वे अपनी अनोखी सोच और मेहनत के बल पर कृषि क्षेत्र में नई दिशा दे सकें।

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