पीएम मोदी और संघ का रिश्ता दशकों पुराना है। 1972 में संघ से जुड़े, प्रचारक बने और संगठन में सक्रिय भूमिका निभाई। RSS के जरिए बीजेपी में एंट्री मिली, गुजरात में पार्टी को मजबूत किया। 2001 में मुख्यमंत्री बने और संघ के समर्थन से राष्ट्रीय राजनीति में अहम भूमिका निभाई।
PM Modi Nagpur Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंदू नववर्ष और चैत्र नवरात्रि के पहले दिन नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) मुख्यालय का दौरा किया। बतौर प्रधानमंत्री यह उनका पहला दौरा था। इस दौरान उन्होंने संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार और दूसरे सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर के स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की। साथ ही माधव नेत्रालय की नई बिल्डिंग की आधारशिला रखी और संघ के कार्यों की सराहना की।
पीएम मोदी ने संघ को बताया ‘राष्ट्रीय चेतना का वट वृक्ष’
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि “राष्ट्रीय चेतना के लिए जो बीज 100 साल पहले संघ के रूप में बोया गया था, वह आज एक महान वट वृक्ष बनकर भारतीय संस्कृति और राष्ट्रवाद को ऊर्जावान बना रहा है।” उन्होंने स्वयंसेवकों के समर्पण की तारीफ करते हुए कहा कि सेवा ही उनके जीवन का आधार है। उन्होंने ‘देव से देश’ और ‘राम से राष्ट्र’ के मंत्र को संघ की विचारधारा की आत्मा बताया।
दशकों पुराना है पीएम मोदी का संघ से रिश्ता
प्रधानमंत्री मोदी का संघ से जुड़ाव दशकों पुराना है। 1972 में उन्होंने RSS में प्रवेश किया था और प्रचारक बने। संघ की विचारधारा के साथ आगे बढ़ते हुए वह भारतीय जनता पार्टी (BJP) में सक्रिय हुए। गुजरात में संगठन की जिम्मेदारी संभाली और फिर 2001 में राज्य के मुख्यमंत्री बने। उस दौरान भी उन्हें संघ का पूरा समर्थन प्राप्त था।
नागपुर दौरे के सियासी मायने
पीएम मोदी के संघ मुख्यालय जाने के कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। क्या यह बीजेपी और संघ के बीच समन्वय बढ़ाने की रणनीति है? क्या 2029 के चुनावों को लेकर कोई खाका तैयार हो रहा है? क्या हिंदुत्व की राजनीति को और धार देने का प्रयास है? यह सवाल राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बने हुए हैं।
बीजेपी को संघ का समर्थन
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस दौरे पर कहा कि “पीएम मोदी के साथ सिर्फ बीजेपी ही नहीं, बल्कि संघ भी हमेशा चट्टान की तरह खड़ा रहा है। 2014, 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों में संघ की रणनीति ने बड़ी भूमिका निभाई।”
वहीं, विपक्ष ने इस दौरे को लेकर सवाल उठाए। समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि “RSS ही पीएम मोदी का माई-बाप है, इसलिए वहां जाना उनकी मजबूरी है।” उद्धव ठाकरे गुट के नेता संजय राउत ने आरोप लगाया कि “संघ अपनी पसंद के व्यक्ति को बीजेपी का नया अध्यक्ष बनवाना चाहता है।”
AAP ने संघ पर खड़े किए सवाल
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने RSS के इतिहास पर सवाल उठाते हुए कहा कि “100 वर्षों में संघ का कोई भी प्रमुख दलित, पिछड़ा या आदिवासी क्यों नहीं बना? कोई महिला प्रमुख क्यों नहीं बनी?” उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और RSS प्रमुख से इस पर जवाब देने की मांग की।
नागपुर से दिल्ली तक गूंजा संदेश
पीएम मोदी ने नागपुर में संघ मुख्यालय के अलावा दीक्षा भूमि भी जाकर महात्मा बुद्ध की पूजा की। हालांकि, उनकी संघ यात्रा सबसे अधिक सुर्खियों में रही। क्या यह संघ और मोदी के बीच के नए समीकरण की ओर इशारा कर रहा है? क्या 2029 के लिए नई रणनीति तैयार हो रही है? इतिहास गवाह है कि जब संघ और मोदी एक साथ आते हैं, तो भारतीय राजनीति की दिशा बदल जाती है।