मस्क की Starlink Service, जियो और एयरटेल के लिए नई चुनौती, जानें सर्विस की कीमतों में फर्क

मस्क की Starlink Service, जियो और एयरटेल के लिए नई चुनौती, जानें सर्विस की कीमतों में फर्क
Last Updated: 3 घंटा पहले

Elon Musk Starlink: एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक ने भारत में अपनी सेवा शुरू कर दी है, लेकिन इससे मुकेश अंबानी और सुनील भारती मित्तल की कंपनियों को फिलहाल कोई खास खतरा नहीं दिखाई दे रहा है। इसका मुख्य कारण यह है कि स्टारलिंक की इंटरनेट सेवा जियो और एयरटेल की तुलना में काफी महंगी है। ऐसे में, हालांकि विदेशी कंपनियों के प्रवेश से ब्रॉडबैंड क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है, लेकिन वर्तमान में कीमतों के अंतर के कारण कोई बड़ी चुनौती नहीं बन रही है।

नई दिल्ली: दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति, एलन मस्क की सैटेलाइट इंटरनेट सेवा देने वाली कंपनी स्टारलिंक भारत में अपनी एंट्री के लिए पूरी तरह से तैयार है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि स्टारलिंक का भारत में प्रवेश रिलायंस जियो और भारती एयरटेल जैसी प्रमुख कंपनियों के लिए तत्काल खतरा नहीं साबित होगा।

इकनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, विश्लेषकों का कहना है कि स्टारलिंक की सेवाओं की कीमत भारतीय ग्राहकों के लिए काफी महंगी हो सकती है। स्टारलिंक का ग्लोबल एवरेज मंथली टैरिफ भारत में उपलब्ध इन दोनों कंपनियों के फिक्स्ड ब्रॉडबैंड सेवाओं की कीमतों से चार गुना अधिक है। ऐसे में, फिलहाल जियो और एयरटेल को स्टारलिंक से कोई सीधा प्रतिस्पर्धा नहीं देखने को मिलेगा।

Starlink की सेवाओं की कीमत

एलन मस्क की स्टारलिंक की सैटेलाइट इंटरनेट सेवा भारतीय ग्राहकों के लिए काफी महंगी साबित हो सकती है। एक रिसर्च नोट के अनुसार, एक्सिस कैपिटल ने बताया कि रिलायंस जियो और भारती एयरटेल का एवरेज मंथली टैरिफ 10 से 13 डॉलर (लगभग 843 से 1096 रुपये) के बीच है। वहीं, स्टारलिंक का एवरेज मंथली टैरिफ 40 से 50 डॉलर (लगभग 3373 से 4217 रुपये) के आसपास है।

इस आंकड़े से साफ है कि स्टारलिंक की सेवाओं का खर्च जियो और एयरटेल के फिक्स्ड ब्रॉडबैंड के मुकाबले चार गुना अधिक है। इस अंतर के कारण फिलहाल भारतीय ग्राहकों के लिए स्टारलिंक की सेवा सस्ती नहीं होगी, जिससे स्थानीय ब्रॉडबैंड सेवा प्रदाताओं को फिलहाल कोई सीधा खतरा नहीं दिख रहा है।

Spectrum के लिए जारी है सैटेलाइट ब्रॉडबैंड कंपनियों के बीच मुकाबला

भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस को लेकर एक बड़ी जंग छिड़ी हुई है, जिसमें देश की प्रमुख कंपनियों के अलावा वैश्विक फर्म भी शामिल हैं। सरकार जहां इस क्षेत्र में स्पेक्ट्रम आवंटन प्रक्रिया पर जोर दे रही है, वहीं मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो और सुनील मित्तल की भारती एयरटेल नीलामी प्रक्रिया की ओर इशारा कर रहे हैं। हालांकि, सरकार ने स्पष्ट रूप से यह कहा है कि स्पेक्ट्रम का आवंटन किया जाएगा, न कि नीलामी की जाएगी।

इस मुकाबले में रिलायंस जियो और भारती एयरटेल के साथ-साथ, एलन मस्क की स्टारलिंक और जेफ बेजोस की अमेजन कुइपर जैसी वैश्विक सैटेलाइट कंपनियां भी भारत में अपनी ब्रॉडबैंड सेवाएं शुरू करने की तैयारी में हैं। इन कंपनियों के बीच तीव्र प्रतिस्पर्धा देखी जा रही है, और यह स्पष्ट हो रहा है कि आने वाले समय में भारतीय सैटेलाइट ब्रॉडबैंड बाजार में कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा।

क्या प्राइस वॉर का सामना करेंगे रिलायंस जियो और एयरटेल?

स्टारलिंक और अमेजन कुइपर जैसी वैश्विक सैटेलाइट कंपनियों के भारतीय बाजार में प्रवेश के साथ ब्रॉडबैंड सर्विसेज के क्षेत्र में प्राइस वॉर देखने को मिल सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, इन कंपनियों के भारत में आने से रिलायंस जियो और भारती एयरटेल को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है। इन विदेशी कंपनियों द्वारा अपनी सेवाओं की कीमतें कम रखने से भारतीय कंपनियों पर भी अपने दाम घटाने का दबाव बढ़ेगा। इसका सीधा फायदा ग्राहकों को मिलेगा, क्योंकि ब्रॉडबैंड सर्विस की कीमतें और भी किफायती हो सकती हैं।

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