Gita Jayanti 2024: श्रीमद्भगवत गीता के गूढ़ संदेश को समर्पित हैं ये 'दो शब्द'

Gita Jayanti 2024: श्रीमद्भगवत गीता के गूढ़ संदेश को समर्पित हैं ये 'दो शब्द'
Last Updated: 20 घंटा पहले

गीता जयंती हर साल मार्गशीर्ष माह की मोक्षदा एकादशी पर मनाई जाती है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए गीता के उपदेश का महत्व अत्यधिक है। गीता के 700 श्लोकों में जीवन के हर पहलू को समझाया गया है, लेकिन इसका सार केवल दो शब्दों में छिपा है। यही दो शब्द श्रीमद्भगवत गीता का गूढ़ संदेश और इसके सर्वोत्तम मार्ग का रहस्य भी प्रस्तुत करते हैं।

Gita Jayanti 2024

आज मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि, जो 11 दिसंबर 2024 को पड़ रही है, विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इसी दिन कुरुक्षेत्र के मैदान में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद्भगवत गीता का उपदेश दिया था। गीता के 700 श्लोकों में जीवन के सत्य, धर्म, कर्म और भक्ति का गूढ़ ज्ञान छिपा हुआ है, जिसे आज भी लोग जीवन के मार्गदर्शन के रूप में अपनाते हैं। यह उपदेश भीष्म पर्व के अंतर्गत आता है और हिंदू धर्म में इसे अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।

लेखक डॉ. महेंद्र ठाकुर

भगवान श्री कृष्ण का उपदेश: श्रीमद्भगवत गीता का उपदेश भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र के युद्ध भूमि पर दिया था। गीता के 700 श्लोकों में जीवन के गूढ़ ज्ञान और धर्म का संदेश समाहित है।

गीता का सार: लेखक डॉ. महेंद्र ठाकुर के अनुसार, गीता का सार शुद्ध रूप से समर्पण और कर्म की अवधारणाओं में पिरोया है, जो जीवन को सही दिशा में समझने का मार्ग दिखाता है।

'धर्म मम' का अर्थ: गीता के पहले श्लोक का पहला शब्द 'धर्म' और अंतिम श्लोक का अंतिम शब्द 'मम' मिलाकर 'धर्म मम' या 'मम धर्म' बनता है, जिसका अर्थ है 'मेरा धर्म' या 'स्वधर्म'। गीता का संदेश है कि हर व्यक्ति को अपने कर्तव्य, यानी 'स्वधर्म', का पालन करना चाहिए।

स्वधर्म का पालन: गीता का मुख्य संदेश यही है कि अर्जुन ने अपने 'स्वधर्म' यानी अपने कर्तव्य से भटककर युद्ध से भागने की इच्छा जताई थी, लेकिन भगवान श्री कृष्ण ने उसे समझाया कि 'स्वधर्म' का पालन ही जीवन का सर्वोत्तम उद्देश्य है।

कर्म का अधिकार: गीता के अनुसार, मनुष्य को केवल 'कर्म' करने का अधिकार है, और यही उसका धर्म है। यह 'स्वधर्म' का पालन करना उसकी जिम्मेदारी है, जिससे उसे जीवन के शाश्वत सत्य का आशीर्वाद मिलता है।

जीवन में विजय: गीता के अंतिम श्लोक का संदेश है कि जहां भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन जैसे भक्त होते हैं, वहां श्री, विजय, विभूति और अचल नीति होती है। भगवान श्री कृष्ण के साथ मिलकर अपने 'स्वधर्म' का पालन करने से जीवन में विजय और शाश्वत सत्य की प्राप्ति होती है।

गीता का गूढ़ संदेश: श्रीमद्भगवत गीता का गूढ़ संदेश यह है कि मनुष्य को अपने सभी कर्मों को भगवान को समर्पित कर अपने 'स्वधर्म' का पालन करना चाहिए, क्योंकि यही मार्ग जीवन के परम लक्ष्य, 'मुक्ति', की ओर ले जाता है।

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