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सावन का अंतिम दिन और रक्षाबंधन एक साथ, जानिए शिव पूजन का शुभ समय

सावन का अंतिम दिन और रक्षाबंधन एक साथ, जानिए शिव पूजन का शुभ समय

9 अगस्त 2025 को रक्षाबंधन के साथ सावन माह का अंतिम दिन भी है। इस खास संयोग में शनि की साढ़ेसाती से पीड़ित मेष, कुंभ और मीन राशि वालों को शिव पूजा से लाभ मिल सकता है। रुद्राष्टक पाठ और शिवलिंग पर विशेष सामग्रियां अर्पित करने से ग्रह दोष शांत हो सकते हैं।

सावन 2025: सावन का महीना भगवान शिव की आराधना का सर्वश्रेष्ठ समय माना जाता है। इस वर्ष 9 अगस्त को जहां एक ओर रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा, वहीं सावन का अंतिम सोमवार भी इसी दिन पड़ रहा है। ऐसे में धार्मिक रूप से यह दिन बेहद खास बन गया है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, वर्तमान में मेष, कुंभ और मीन राशियों पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है। शनि के इस प्रभाव को कम करने के लिए सावन के अंतिम दिन विशेष शिव पूजन और रुद्राष्टक पाठ करने की सलाह दी जा रही है।

सावन में क्यों विशेष होती है शिव पूजा?

सावन को भगवान शिव का प्रिय माह माना जाता है। पुराणों में वर्णित है कि इस महीने शिव धरती पर विशेष रूप से वास करते हैं और भक्तों की प्रार्थनाओं को शीघ्रता से स्वीकार करते हैं। यही कारण है कि सावन में जलाभिषेक, मंत्रोच्चारण और रुद्राभिषेक का विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि शिव की कृपा से न केवल सुख-समृद्धि आती है, बल्कि ग्रहों की अशुभ स्थिति भी शांत हो जाती है।

शनि की साढ़ेसाती से कौन हैं प्रभावित?

वर्तमान ज्योतिषीय गणना के अनुसार मेष, कुंभ और मीन राशि वाले इस समय शनि की साढ़ेसाती से गुजर रहे हैं। यह वह काल होता है जब शनि सात वर्षों तक जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करते हैं नौकरी, स्वास्थ्य, पारिवारिक जीवन, आर्थिक स्थिति आदि। यह समय मानसिक और भौतिक दोनों रूपों से व्यक्ति के लिए चुनौतीपूर्ण होता है। ऐसे में शिव पूजा से शनि के प्रभाव को नियंत्रित करने की परंपरा है।

कैसे करें शिव पूजन सावन के अंतिम दिन?

सावन के अंतिम दिन शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, शहद, चीनी, चंदन, इत्र, भांग और केसर चढ़ाकर अभिषेक करें। इसके साथ ही "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें। शिव पुराण में वर्णित श्री रुद्राष्टक स्तोत्र का पाठ अवश्य करें। यह पाठ भगवान शिव को प्रसन्न करने का एक प्रभावशाली माध्यम माना गया है, जिससे शनि के कुप्रभाव भी कम हो सकते हैं।

शिव रुद्राष्टक का पाठ क्यों है फलदायी?

गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रुद्राष्टक स्तोत्र में शिव के विभिन्न दिव्य स्वरूपों का वर्णन है। यह स्तोत्र ना केवल शिव की महिमा को प्रकट करता है, बल्कि भावपूर्ण श्रद्धा से किया गया इसका पाठ मानसिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा देता है। ज्योतिष अनुसार, जो व्यक्ति साढ़ेसाती या शनि दोष से पीड़ित हो, उसे रुद्राष्टक का पाठ सावन के अंतिम दिन विशेष रूप से करना चाहिए।

शनि दोष में शिव पूजा कैसे देती है राहत?

शनि को कर्मफलदाता और न्यायप्रिय ग्रह माना गया है, लेकिन जब शनि अशुभ अवस्था में होता है, तो व्यक्ति को लगातार संघर्ष करना पड़ता है। शिव को सभी ग्रहों का नियंत्रक भी कहा गया है। शिव की आराधना से शनि देव प्रसन्न होते हैं और उनका प्रकोप कम हो सकता है। इसलिए विशेष अवसरों, जैसे सावन के अंतिम दिन, शिव पूजन शनि दोष से राहत दिलाने वाला उपाय माना जाता है।

रक्षाबंधन और सावन का संगम: एक दुर्लभ संयोग

इस वर्ष रक्षाबंधन और सावन का अंतिम दिन एक ही तिथि, 9 अगस्त को पड़ रहा है। इस शुभ संयोग में भाई-बहन के प्रेम का पर्व और शिव आराधना का पुण्यफल दोनों ही प्राप्त हो सकते हैं। ऐसे में यदि साढ़ेसाती से प्रभावित भाई या बहन शिव की पूजा और पाठ करें तो उनके जीवन में राहत के संकेत मिल सकते हैं।

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