दरौंदा विधानसभा सीट पर फिलहाल भाजपा का कब्जा है। जातीय समीकरण में राजपूत, यादव और अन्य जातियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। जनसुराज पार्टी की एंट्री से मुकाबला रोचक होने वाला है।
Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियां जोरों पर हैं और सभी दलों की निगाहें सटीक रणनीति और मजबूत उम्मीदवारों के चयन पर टिकी हैं। ऐसे में सिवान जिले की दरौंदा विधानसभा सीट पर भी राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। वर्तमान में यह सीट भारतीय जनता पार्टी (BJP) के पास है और कर्मजीत सिंह उर्फ व्यास सिंह इसके विधायक हैं।
दरौंदा विधानसभा क्षेत्र सिवान लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है और यह सामान्य श्रेणी की सीट है। इस सीट की खास बात यह है कि यहां राजपूत समुदाय का प्रभावी दबदबा है। आगामी चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भाजपा इस सीट पर अपनी पकड़ बरकरार रख पाएगी या कोई नया चेहरा जीत हासिल करेगा।
प्रशांत किशोर की एंट्री से चुनाव और रोचक
2025 के विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज ने सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। ऐसे में इस नवगठित राजनीतिक दल की एंट्री से दरौंदा समेत अन्य सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय या चतुष्कोणीय होने की संभावना है। जनसुराज का स्थानीय जनसंपर्क और जमीनी मुद्दों पर फोकस पारंपरिक दलों को टक्कर दे सकता है।
2020 के विधानसभा चुनाव: भाजपा की जीत
वर्ष 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा के कर्मजीत सिंह ने दरौंदा सीट से जीत दर्ज की थी। उन्हें कुल 71,934 वोट प्राप्त हुए थे। उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी अमरनाथ यादव, जो सीपीआईएमएल (CPI-ML) से थे, उन्हें 60,614 वोट मिले थे। लगभग 11,000 वोटों के अंतर से भाजपा को इस सीट पर जीत हासिल हुई थी। यह अंतर यह दर्शाता है कि मुकाबला काफी कड़ा था और किसी भी छोटे फैक्टर से नतीजा बदल सकता था।
2015 के विधानसभा चुनाव: जदयू की जीत

वर्ष 2015 में दरौंदा सीट पर जदयू की कविता सिंह ने जीत दर्ज की थी। उन्हें 66,255 वोट मिले थे। वहीं, भाजपा के जितेंद्र स्वामी दूसरे स्थान पर रहे थे जिन्हें 53,033 वोट प्राप्त हुए थे। उस चुनाव में भाजपा और जदयू अलग-अलग चुनाव लड़ रहे थे, जबकि 2020 में दोनों मिलकर एनडीए के तहत चुनाव लड़े।
जातीय समीकरण: राजपूतों का प्रभाव प्रमुख
दरौंदा विधानसभा सीट पर जातीय समीकरण चुनाव के नतीजों में अहम भूमिका निभाते हैं। 2020 के आंकड़ों के अनुसार, यहां कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 3,19,225 है। इनमें से सिंह (राजपूत) समुदाय के वोटरों की संख्या करीब 42,776 है जो कुल वोटर्स का लगभग 13.4 प्रतिशत है। इनके अलावा यादव, कुर्मी, भूमिहार, दलित और मुस्लिम समुदाय के वोटरों की संख्या भी इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण है।
विकास कार्य और स्थानीय मुद्दे
चुनाव में जीत के लिए केवल जातीय समीकरण पर्याप्त नहीं होते। मतदाता अब उम्मीदवारों से क्षेत्रीय विकास, सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार जैसे मुद्दों पर ठोस कार्यवाही की उम्मीद करते हैं। दरौंदा विधानसभा में अब तक इन मुद्दों को लेकर कुछ काम हुए हैं, लेकिन जनता की अपेक्षाएं अभी पूरी नहीं हुई हैं। ऐसे में जो उम्मीदवार इन विषयों पर फोकस करेगा, उसे मतदाताओं का समर्थन मिल सकता है।
 
                                                                        
                                                                             
                                                











