हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि को विशेष महत्व दिया जाता है। इस दिन पितरों की पूजा करने का विशेष महत्व है। श्री लक्ष्मीनारायण एस्ट्रो सॉल्यूशन अजमेर की निदेशिका और ज्योतिषाचार्या नीतिका शर्मा के अनुसार, हर महीने एक अमावस्या आती है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि 2025 में कब-कब अमावस्या तिथि होगी और इसका धार्मिक महत्व क्या है।
Amavasya 2025
नए साल 2025 में कुल 12 अमावस्या तिथियां होंगी, जिनमें से दो बार शनि अमावस्या और एक बार सोमवती अमावस्या आएगी। हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है, जिसे पितरों के श्राद्ध और पीपल पूजा के लिए बेहद शुभ माना जाता है। धर्म ग्रंथों में चंद्रमा की 16वीं कला को 'अमा' कहा गया है, और यह कला अमावस्या के दिन खास प्रभावी होती है। इस दिन पितरों और पीपल के पेड़ की पूजा करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो सकते हैं। विशेष रूप से शनि अमावस्या और सोमवती अमावस्या का धार्मिक कार्यों में अत्यधिक महत्व होता है। इन तिथियों पर किए गए पूजा-अर्चना के लाभ अद्वितीय माने जाते हैं।
साल में इतनी बार अमावस्या
पंचांग के अनुसार, वर्ष 2025 में कुल दो बार शनि अमावस्या और एक बार सोमवती अमावस्या आएगी। हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है और यह कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन मनाई जाती है, जब आकाश में चांद दिखाई नहीं देता।
पंडित सुरेंद्र राजगुरु ने Local 18 से बातचीत में बताया कि अमावस्या की रात को काली रात माना जाता है और इस दिन पितरों की पूजा करने का विशेष महत्व है। साल भर में 12 अमावस्या आती हैं, और जब अमावस्या सोमवार, मंगलवार या शनिवार को आती है, तो इन तिथियों का महत्व और बढ़ जाता है। इस दौरान विशेष पूजा और धार्मिक कार्य करने से अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है।
कब-कब आएगी अमावस्या तिथि
पंडित सुरेंद्र राजगुरु ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि 2025 में अमावस्या तिथियां इस प्रकार होंगी
· माघ मास (कृष्ण पक्ष): 29 जनवरी
· फाल्गुन मास (कृष्ण पक्ष): 27 फरवरी
· चैत्र मास (कृष्ण पक्ष): 29 मार्च
· वैशाख मास (कृष्ण पक्ष): 27 अप्रैल
· ज्येष्ठ मास (कृष्ण पक्ष): 27 मई
· आषाढ़ मास (कृष्ण पक्ष): 25 जून
· श्रावण मास (कृष्ण पक्ष): 24 जुलाई
· भाद्रपद मास (कृष्ण पक्ष): 23 अगस्त
· आश्विन मास (कृष्ण पक्ष): 21 सितंबर
· कार्तिक मास (कृष्ण पक्ष): 21 अक्टूबर
· मार्गशीर्ष मास (कृष्ण पक्ष): 20 नवंबर
· पौष मास (कृष्ण पक्ष): 19 दिसंबर
पंडित राजगुरु के अनुसार, अमावस्या तिथियों पर विशेष पूजा और धार्मिक कार्यों का महत्व अधिक होता है, खासकर जब ये तिथियां सोमवार, मंगलवार या शनिवार को आती हैं। इन तिथियों पर पितृ पूजा और अन्य धार्मिक कार्यों का विशेष महत्व माना जाता है।