भगवान श्रीराम की सूर्य पूजा, रावण से युद्ध से पहले क्यों की थी सूर्य देव की उपासना? जानें इसका गहरा महत्व

भगवान श्रीराम की सूर्य पूजा, रावण से युद्ध से पहले क्यों की थी सूर्य देव की उपासना? जानें इसका गहरा महत्व
Last Updated: 11 नवंबर 2024

सनातन धर्म में सुबह के समय सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करने की परंपरा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति ने सच्चे मन से सूर्य देव की पूजा-अर्चना की, तो उसका जीवन सुखमय बनता है। इसके साथ ही, आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से जातक को सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह स्तोत्र भगवान श्रीराम ने रावण से युद्ध करने से पहले सूर्य देव की पूजा करने हेतु पढ़ा था।

सूर्य देव की पूजा का महत्व: सफलता और सिद्धि का मार्ग

सनातन शास्त्रों में सूर्य देव की पूजा का अत्यधिक महत्व बताया गया है। रविवार का दिन विशेष रूप से सूर्य देव को समर्पित है। इस दिन भक्तजन सूर्य देव की विधिपूर्वक उपासना करते हैं और श्रद्धा के अनुसार अन्न, धन और वस्त्र का दान करते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इन कार्यों को करने से जातक को अपनी इच्छित करियर में सफलता मिलती है और सभी कार्यों में उन्हें सिद्धि प्राप्त होती है। वेदों, पुराणों और महाकाव्यों में सूर्य देव की उपासना का विस्तृत वर्णन मिलता है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम और जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण ने भी सूर्य उपासना के महत्व को समझाया है। आइए, इस लेख में हम सूर्य देव की पूजा के महत्व के बारे में और अधिक जानें।

भगवान श्रीराम ने सूर्य देव की पूजा की

रावण एक शक्तिशाली राक्षस राजा था, जिसने माता सीता का अपहरण किया था। इस कारण भगवान श्रीराम ने रावण के साथ युद्ध करने का निर्णय लिया। युद्ध में जाने से पहले, श्रीराम जी ने आदित्य हृदय स्तोत्र के माध्यम से सूर्य देव की विशेष पूजा-अर्चना की। युद्ध के समय श्रीराम सोच रहे थे कि वे रावण पर विजय कैसे प्राप्त कर सकते हैं। इसी परिप्रेक्ष्य में महर्षि अगस्त्य ने प्रभु राम को आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने की सलाह दी। साथ ही, उन्होंने सूर्य देव की पूजा से मिलने वाले शुभ फलों के बारे में भी बताया। महर्षि अगस्त्य ने कहा कि आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति सभी प्रकार के दुख और संकटों से मुक्त हो जाता है।

श्रीकृष्ण ने पुत्र सांब को बताया सूर्य देव की पूजा का महत्व

भविष्य पुराण में भगवान श्रीकृष्ण और उनके पुत्र सांब के बीच एक महत्वपूर्ण संवाद देखने को मिलता है। श्रीकृष्ण ने अपने पुत्र सांब को सूर्य देव की पूजा के महत्व के बारे में विस्तार से समझाया। उन्होंने बताया कि सूर्य देव एक ऐसे देवता हैं, जिन्हें हम प्रतिदिन सीधे देख सकते हैं। यदि कोई व्यक्ति विधिपूर्वक सूर्य देव की पूजा करता है, तो उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। इस प्रकार, श्रीकृष्ण ने अपने पुत्र को सूर्य देव की आराधना के लाभों के प्रति जागरूक किया।

यदादित्यगतं तेजो जगद्भासयते ऽखिलम्

यच्चन्द्रमसि यच्चानौ तत्तेजो विद्धि मामकम्।।

भगवान श्रीकृष्ण ने भगवत गीता में यह बताया है कि जो प्रकाश सूर्य देव से निकलता है, वही इस संसार को रोशन करता है। अग्नि में जो ऊष्मा और तेज है, वह भी मेरी ही ऊर्जा है। सूर्य देव इस जगत के संरक्षक हैं।

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