सोमवार के दिन भगवान शिव की आरती 'ॐ जय शिव ओंकारा' का महत्व और इसके लाभ

सोमवार के दिन भगवान शिव की आरती 'ॐ जय शिव ओंकारा' का महत्व और इसके लाभ
Last Updated: 2 घंटा पहले

भगवान शिव की पूजा में गाय जाने वाली प्रमुख आरती "ओम जय शिव ओमकारा" भक्तों के दिलों में गहरी श्रद्धा और भक्ति का संचार करती है।

इस आरती का गायन न केवल भगवान शिव के ओमकार स्वरूप का बोध कराता है, बल्कि उनके व्यापक और दिव्य अस्तित्व का भी प्रत्यक्ष अहसास कराता है। खासकर सावन के सोमवार के दिन, जब भक्तों का शिवभक्ति के प्रति उत्साह चरम पर होता है, इस आरती का गायन विशेष महत्व रखता है।

ओम जय शिव ओंकारा आरती का अर्थ और महत्त्व

ओम जय शिव ओंकारा का अर्थ भगवान शिव की जयकारा है। ओम ब्रह्म का प्रतीक है, जो परम सत्य और सृष्टि के उत्पत्ति का सूचक है। जय का मतलब है विजय, और शिव ओंकारा से शिव के सर्वोच्च रूप का बोध होता है। इस आरती के माध्यम से भक्त शिवजी की शक्ति, उनके गुण, और उनके अनंत रूपों का आह्वान करते हैं।

ॐ जय शिव ओंकारा की पूर्ण आरती

ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे,

हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे,

त्रिगुण रूप निरखत त्रिभुवन जन मोहे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी,

त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघंबर अंगे,

सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

कर के मध्य कमण्डल चक्र त्रिशूलधारी,

जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका,

प्रणवाक्षर के मध्य ये तीनों एका॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा,

भांग धतूरे का भोजन, भस्मी में वासा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला,

शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी,

नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरती जो कोई नर गावे,

कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥

ओम जय शिव ओंकारा॥ स्वामी ओम जय शिव ओंकारा॥

आरती का महत्त्व

  • भगवान शिव के रूप का वर्णन: इस आरती में भगवान शिव के अनेकों रूपों का वर्णन किया गया है, जैसे उनके रूपों में एक, चार, पांच, दस हाथ होते हैं। इसके माध्यम से शिवजी के अद्वितीय रूप और उनकी असीम शक्तियों का आभास होता है।
  • आध्यात्मिक शांति का अनुभव: इस आरती का गायन करने से भक्तों को भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और वे मानसिक शांति का अनुभव करते हैं। यह आरती विशेष रूप से कठिन परिस्थितियों में साहस और बल प्रदान करती है।

 

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