Lalita Jayanti 2025: कब और क्यों मनाई जाती हैं ललिता जयंती? जानिए देवी के इस स्वरूप की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

🎧 Listen in Audio
0:00

साल 2025 में ललिता जयंती 12 फरवरी, बुधवार को मनाई जाएगी। इस दिन माघ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि होगी, जो 11 फरवरी 2025 की शाम 6:58 बजे से शुरू होकर 12 फरवरी 2025 की शाम 7:25 बजे तक रहेगी।  ललिता जयंती के दिन माता ललिता की पूजा-अर्चना करने से भक्तों को सुख, ज्ञान और धन की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से माता ललिता प्रसन्न होती हैं और भक्तों को जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। 

ललिता जयंती का शुभ मुहूर्त 
 
माघ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 11 फरवरी 2025 को शाम 6:55 बजे होगा और इसका समापन 12 फरवरी 2025 को शाम 7:22 बजे होगा।इस प्रकार ललिता जयंती, जिसे षोडशी जयंती के नाम से भी जाना जाता है, 12 फरवरी 2025, बुधवार को मनाई जाएगी। इस दिन माता ललिता की विशेष पूजा-अर्चना करने से भक्तों को आध्यात्मिक शक्ति, सुख, समृद्धि और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।

मां ललिता की पूजा विधि (ललिता जयंती)

* सूर्योदय से पहले उठें: ललिता जयंती के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठना शुभ माना जाता है।
* स्नान और वस्त्र धारण: स्नान के बाद शुद्ध और सफेद रंग के वस्त्र पहनें। सफेद रंग माता ललिता को प्रिय है।
* पूजा स्थल की सफाई: पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल का छिड़काव कर स्थान को शुद्ध करें।
* मां ललिता की स्थापना: एक चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाकर मां ललिता की तस्वीर स्थापित करें। यदि तस्वीर उपलब्ध न हो, तो श्रीयंत्र की स्थापना करें।
* पूजन सामग्री अर्पित करें: कुमकुम, अक्षत (चावल), फल और फूल, दूध से बनी खीर माता को अर्पित करें और दीप प्रज्वलित करें।
* कथा का पाठ: माता ललिता की कथा का श्रद्धा से पाठ करें। यह कथा उनके अवतरण और महिमा का वर्णन करती है।
* आरती करें: माता ललिता की आरती करें और उन्हें धन्यवाद अर्पित करें।
* प्रसाद वितरण: अंत में सभी में प्रसाद बांटें, विशेषकर छोटी कन्याओं को प्रसाद देना शुभ माना जाता है।

मां ललिता स्वरूप का महत्व

मां ललिता का स्वरूप देवी के शक्ति रूपों में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। देवी पुराण में माता ललिता का विस्तृत वर्णन मिलता है। उन्हें त्रिपुरा सुंदरी और षोडशी के नामों से भी जाना जाता है। वे दस महाविद्याओं में तीसरी महाविद्या हैं। देवी ललिता सृष्टि, स्थिति, और संहार की अधिष्ठात्री मानी जाती हैं। उनके चार प्रमुख हाथ होते हैं, जिनमें वे धनुष, बाण, पाश और अंकुश धारण करती हैं।

मां ललिता की पूजा का महत्व

* मोक्ष की प्राप्ति: माता ललिता की पूजा से भक्त को जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति (मोक्ष) प्राप्त हो सकती है।
* सभी प्रकार की सिद्धियां: धार्मिक मान्यता के अनुसार, उनकी आराधना करने से व्यक्ति को अष्ट सिद्धियों और नव निधियों की प्राप्ति हो सकती है।
* आध्यात्मिक उन्नति: माता ललिता की पूजा करने से व्यक्ति की आत्मिक शुद्धि होती है और उसकी आध्यात्मिक यात्रा में प्रगति होती है।
* सुख और समृद्धि: उनकी कृपा से घर-परिवार में सुख, शांति और धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
* ज्ञान और शक्ति: देवी ललिता ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी हैं। उनकी आराधना से बुद्धि प्रखर होती है और व्यक्ति को मानसिक शांति प्राप्त होती हैं।

Leave a comment