Pongal 2025: सूर्य देव और नई फसल को समर्पित पोंगल का अनोखा त्योहार, जानिए इसकी परंपराएं और उत्सव का महत्व

Pongal 2025: सूर्य देव और नई फसल को समर्पित पोंगल का अनोखा त्योहार, जानिए इसकी परंपराएं और उत्सव का महत्व
Last Updated: 15 घंटा पहले

Pongal: पोंगल दक्षिण भारत, विशेष रूप से तमिलनाडु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण फसल उत्सव है। यह त्योहार सूर्य देव, इंद्र देव और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। पोंगल का अर्थ "उबालना" है, जो बहुतायत और समृद्धि का प्रतीक है। यह त्योहार जनवरी के मध्य में मनाया जाता है और नए फसल कटाई के मौसम की शुरुआत को चिह्नित करता हैं।

पोंगल का पर्व हर साल जनवरी में धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार दक्षिण भारत, विशेषकर तमिलनाडु का मुख्य फसल उत्सव है। पोंगल का अर्थ है 'उबालना', और यह समृद्धि एवं आभार व्यक्त करने का प्रतीक है। इस वर्ष पोंगल की शुरुआत 14 जनवरी 2025 से होगी और इसका समापन 17 जनवरी को होगा।

पोंगल का चार दिवसीय उत्सव

•    भोगी पोंगल के दिन लोग अपने घरों की सफाई करते हैं और पुरानी चीजों को त्यागकर नई चीजों का स्वागत करते हैं। यह नवीनीकरण और नई शुरुआत का प्रतीक है। घरों को रंगोली और सजावट से सजाया जाता हैं।
•    थाई पोंगल मुख्य दिन होता है। इस दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है। दूध, चावल और गुड़ से पोंगल नामक पारंपरिक मिठाई बनाई जाती है। इसे मिट्टी के बर्तन में पकाया जाता है और सूर्य देव को अर्पित किया जाता हैं।
•    इस दिन खेती के लिए उपयोगी मवेशियों को सम्मानित किया जाता है। बैलों और गायों को सजाया जाता है, उनकी पूजा की जाती है और उन्हें स्वादिष्ट भोजन दिया जाता हैं।
•    त्योहार के अंतिम दिन परिवार और मित्रों के साथ समय बिताने और उपहारों का आदान-प्रदान करने का दिन होता है। लोग सैर-सपाटे पर जाते हैं और पारिवारिक बंधन को मजबूत करते हैं।

पोंगल का इतिहास और महत्व

•    पोंगल का इतिहास हजारों साल पुराना है। इस त्योहार से भगवान शिव और नंदी बैल की कथा जुड़ी हुई है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान शिव ने नंदी को पृथ्वी पर भेजा ताकि वह किसानों की सहायता करे। इसी के बाद फसल कटाई का यह उत्सव मनाया जाने लगा।
•    पोंगल त्योहार सूर्य देव और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का प्रतीक है। इसे 'धन्यवाद का त्योहार' भी कहा जाता है। यह दक्षिण भारत का नया साल भी माना जाता है और कृषि की समृद्धि एवं परिवार की खुशी का संदेश देता हैं।

पोंगल कैसे मनाया जाता है?

•    पोंगल त्योहार का मुख्य आकर्षण इसका विशेष पकवान है। चावल, दूध और गुड़ से बने इस मीठे पकवान को मिट्टी के बर्तन में पकाया जाता है। यह पकवान भगवान सूर्य को अर्पित किया जाता हैं।
•    घरों के बाहर चावल के आटे से खूबसूरत रंगोली बनाई जाती है। लोग नए कपड़े पहनते हैं और त्योहार को उत्साह के साथ मनाते हैं।

बैलों की पूजा

मट्टू पोंगल के दिन बैलों और गायों को सजाया जाता है। तमिलनाडु में जल्लीकट्टू (बैल को काबू करने का खेल) भी इस दिन का खास हिस्सा हैं।

पोंगल का महत्व

पोंगल केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि तमिलनाडु की संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है। यह त्योहार प्रकृति और मनुष्य के बीच सामंजस्य को दर्शाता हैं।

पोंगल से जुड़े रोचक तथ्य

•    पोंगल का नाम पकवान से प्रेरित हैं।
•    इस पर्व के दौरान सूर्य देव और इंद्र देव की पूजा की जाती हैं।
•    पोंगल के दौरान घरों में पुरानी चीजों को हटाकर नई शुरुआत की जाती हैं।
•    पोंगल के दिन तमिलनाडु में बैल दौड़ (जल्लीकट्टू) का आयोजन होता हैं।

पोंगल पर 10 प्रमुख बातें

पोंगल तमिलनाडु का प्रमुख फसल उत्सव हैं।
यह त्योहार चार दिनों तक चलता हैं।
भोगी पोंगल पर घरों की सफाई की जाती हैं।
•    थाई पोंगल पर सूर्य देव को पकवान चढ़ाया जाता हैं।
•    मट्टू पोंगल पर मवेशियों की पूजा होती हैं।
•    यह त्योहार जनवरी के मध्य में मनाया जाता हैं।
•    पोंगल का पकवान चावल, गुड़ और दूध से बनाया जाता हैं।
•    रंगोली पोंगल उत्सव का एक खास हिस्सा हैं।
•    पोंगल तमिल नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक हैं।
•    यह प्रकृति और कृषि की समृद्धि का उत्सव हैं।
पोंगल का त्योहार दक्षिण भारत की परंपरा, संस्कृति और कृषि पर आधारित जीवनशैली का प्रतीक है। यह पर्व आभार, समृद्धि और सामूहिक खुशी को बढ़ावा देता है। तमिलनाडु के इस जीवंत त्योहार का हर दिन अनोखा और विशेष होता हैं।

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