सनातन धर्म में मां सरस्वती को ज्ञान की देवी के रूप में पूजा जाता है, और उनकी आराधना करने से साधक शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल कर सकते हैं। शारदीय नवरात्र के दौरान मां सरस्वती की पूजा का विशेष महत्व है, जिसमें उन्हें समर्पित अनुष्ठान किए जाते हैं। आइए, जानें कि सरस्वती आवाहन 2024 कब होगा और इस दिन का क्या महत्व है।
माता सरस्वती को ज्ञान की देवी माना जाता है।
इनकी पूजा-अर्चना से ज्ञान की प्राप्ति होती है।
नवरात्र की अवधि में सरस्वती आवाहन किया जाता है।
नवरात्र (Navratri Puja 2024) के दौरान होने वाली सरस्वती पूजा के पहले दिन को सरस्वती आवाहन कहा जाता है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, इस दिन देवी सरस्वती का आह्वान किया जाता है। यह दिन देवी सरस्वती की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। आइए, जानते हैं नवरात्र पूजा के दौरान सरस्वती आवाहन की तिथि और इसका महत्व।
सरस्वती आवाहन का शुभ मुहूर्त (Saraswati Puja 2024: तिथि और समय)
पंचांग के अनुसार, मूल नक्षत्र का प्रारंभ 09 अक्टूबर को प्रातः 04 बजकर 08 मिनट पर होगा, जो 10 अक्टूबर को प्रातः 05 बजकर 15 मिनट पर समाप्त होगा। इस लिहाज से, सरस्वती आवाहन बुधवार, 09 अक्टूबर को किया जाएगा। इस दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार निर्धारित किया गया है:
मूल नक्षत्र आवाहन मुहूर्त - सुबह 10 बजकर 25 मिनट से लेकर संध्या 04 बजकर 42 मिनट तक रहेगा।
सरस्वती आवाहन का महत्व (Importance of Saraswati Avahan)
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, देवी सरस्वती को ज्ञान, विद्या, वाणी की देवी और वेदों की जननी माना जाता है। इन्हें साहित्य, कला और संगीत की देवी भी कहा जाता है। यदि व्यक्ति पूरी निष्ठा के साथ मां सरस्वती की आराधना करता है, तो इससे उसके ज्ञान और बुद्धि के स्तर में वृद्धि हो सकती है।
कई स्थानों पर नवरात्र के दौरान मां सरस्वती की पूजा 1, 3 या 4 दिनों के लिए की जाने की परंपरा है। इनमें से चार दिवसीय सरस्वती पूजा नक्षत्रों पर आधारित होती है। इस दौरान मूल नक्षत्र में सरस्वती आवाहन, पूर्वा आषाढ़ में सरस्वती पूजा, उत्तरा आषाढ़ में सरस्वती बलिदान, और श्रवण नक्षत्र में सरस्वती विसर्जन किया जाता है।
पूजन विधि (Saraswati Puja 2024)
सरस्वती आवाहन (Saraswati Avahan 2024) के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इसके बाद, पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल का छिड़काव करें। फिर एक चौकी बिछाकर उस पर मां सरस्वती की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। मां सरस्वती की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। शुभ मुहूर्त में मां सरस्वती की पूजा शुरू करें और उनके समक्ष धूप, दीप, अगरबत्ती और गुगुल जलाएं। पूजा के दौरान माता को फूल, फल आदि अर्पित करें और उन्हें सफेद रंग की मिठाई का भोग लगाएं। इस अवसर पर मां सरस्वती के मंत्रों का जाप करें और अंत में आरती करें। पूजा के बाद सभी लोगों में प्रसाद बांटें।
अंत में
सरस्वती आवाहन (Saraswati Avahan 2024) एक विशेष अवसर है जब भक्त देवी सरस्वती की कृपा प्राप्त करने के लिए उनकी आराधना करते हैं। इस दिन की पूजा विधि से न केवल ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि होती है, बल्कि यह व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भी लाती है। मां सरस्वती के प्रति हमारी श्रद्धा और भक्ति हमें शिक्षा और संस्कारों के मार्ग पर आगे बढ़ाती है।
इस पूजा के माध्यम से, हम न केवल देवी का आभार व्यक्त करते हैं, बल्कि अपने जीवन में ज्ञान और प्रकाश की कामना भी करते हैं। मां सरस्वती की कृपा से हमें सफलता, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति हो। आइए, हम सभी मिलकर इस शुभ दिन का पालन करें और मां सरस्वती से आशीर्वाद प्राप्त करें।