Puja Niyam: बिना स्नान के पूजा करना सही या गलत? जानें इससे जुड़ी अहम बातें

Puja Niyam: बिना स्नान के पूजा करना सही या गलत? जानें इससे जुड़ी अहम बातें
Last Updated: 07 दिसंबर 2024

कई लोग बिना स्नान किए पूजा करते हैं, लेकिन क्या यह सही है? ज्योतिषी चिराग बेजान दारूवाला से जानिए, क्या बिना नहाए पूजा करना उचित है या नहीं।

Puja Niyam

भगवान की पूजा और मंदिर में प्रवेश से पहले स्नान करना शास्त्रों में एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया मानी गई है। इसे शारीरिक और मानसिक शुद्धता का प्रतीक माना जाता है, जो पूजा के समर्पण और श्रद्धा को दर्शाता है। हालांकि, कुछ विशेष परिस्थितियों में, जैसे कि बीमारी, यात्रा या अन्य कारणों से यदि स्नान करना संभव न हो, तो भी पूजा की जा सकती है।

शास्त्रों में कहा गया है कि पूजा का असल महत्व व्यक्ति के संकल्प और भावना में है, न कि शारीरिक शुद्धता में। यदि किसी व्यक्ति को स्नान करने का समय या स्थिति नहीं मिल पाती, तो उसे मानसिक शुद्धता और श्रद्धा के साथ पूजा करनी चाहिए। मानसिक पूजा या मंत्र जाप के लिए स्नान करने की आवश्यकता नहीं है। आप कहीं भी बिना स्नान किए मानसिक पूजा और भगवान का ध्यान कर सकते हैं।

हालांकि, यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि यदि आप मंदिर में मूर्तियों को छूने जा रहे हैं या घर में पूजा कर रहे हैं, तो शारीरिक शुद्धता का ध्यान रखना आवश्यक है। इस प्रकार, शास्त्रों के अनुसार, स्नान के बिना भी पूजा की जा सकती है, बशर्ते मन में श्रद्धा और पवित्रता हो।

पूजा से पहले स्नान का महत्व

शास्त्रों के अनुसार, पूजा से पहले स्नान करना शारीरिक और मानसिक शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। स्नान के द्वारा व्यक्ति न केवल अपने शरीर को बाहरी और आंतरिक अशुद्धियों से मुक्त करता है, बल्कि पूजा के समय शुद्धता की प्राप्ति भी सुनिश्चित करता है। धार्मिक दृष्टिकोण से, पूजा से पहले स्नान करना अनिवार्य है, क्योंकि बिना स्नान किए पूजा का पूरा लाभ नहीं मिलता। अशुद्ध शरीर से की गई पूजा पूरी तरह से स्वीकार नहीं होती है।

स्नान की प्रक्रिया व्यक्ति को मानसिक शांति और शुद्धता की ओर ले जाती है, जिससे वह ध्यान और भक्ति में गहरे जुड़ता है। इससे पूजा में समर्पण और भक्ति का स्तर बढ़ता है, और भगवान की कृपा प्राप्त होती है। शास्त्रों में इसे शुद्ध और सफल पूजा का आधार माना गया है, जो पूजा के फल को अधिक प्रभावी बनाता है।

इसलिए, पूजा से पहले स्नान केवल शारीरिक स्वच्छता का ध्यान रखने का तरीका नहीं है, बल्कि यह पूजा के दौरान मानसिक शुद्धता और भक्ति को भी बढ़ावा देता है, जिससे व्यक्ति की पूजा का फल और अधिक साकारात्मक होता है।

क्या बिना स्नान के पूजा करना सही है? जानें शास्त्रों का मत

शास्त्रों में पूजा से पहले स्नान को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि यह शारीरिक और मानसिक शुद्धता का प्रतीक है। हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि पूजा का समय क्या है। यदि किसी कारणवश सुबह के समय पूजा नहीं हो पाती और रात में पूजा की जाए, तो स्नान करना संभव नहीं होता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति हाथ-पैर धोकर और मानसिक शुद्धता के साथ पूजा कर सकता है।

कभी-कभी अचानक पूजा का अवसर मिल जाता है, और व्यक्ति को स्नान का समय नहीं मिल पाता। शास्त्रों में इस स्थिति को अपवाद के रूप में स्वीकार किया गया है। ऐसे में व्यक्ति को शुद्ध भावना और समर्पण के साथ पूजा करने की अनुमति दी जाती है।

पूजा के दौरान शुद्ध तन और मन का संकल्प और भक्ति अत्यधिक महत्वपूर्ण माने जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार, भगवान केवल बाहरी शुद्धता से ही प्रसन्न नहीं होते, बल्कि आस्था और भक्ति से भी उनका मन प्रसन्न होता है। यदि व्यक्ति का मन सच्ची भावना से शुद्ध है और वह पूरी श्रद्धा और लगन से पूजा करता है, तो भगवान उसकी पूजा को स्वीकार करते हैं और उसे पूजा का पूरा फल प्राप्त होता है।

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