काली स्तुति
शव पर सवार, शमशान वासिनी भयंकरा,
विकराल दन्तावली, त्रिनेत्रा,
हाथ में लिये खडग और कटा सिर,
दिगम्बरा, अट्टहास करती माँ काली,
जय माँ काली॥
मुक्तकेशी, लपलपाती जिह्वा वाली,
दे रही अभय वरदान हमेशा,
चार बाहों वाली,
जय माँ काली॥
आओ करें हम ध्यान उनका,
सृजन करनेवाली,
सब कुछ देनेवाली,
माँ काली,
जय माँ काली॥
यह काली स्तुति माँ काली की शक्ति और उनके भयंकर रूप का वर्णन करती है। माँ काली जीवन और मृत्यु दोनों की अधिष्ठात्री हैं, जो अपने भक्तों को भय से मुक्त करती हैं और उन्हें अभय का वरदान देती हैं। उनकी असीम शक्ति और करुणा का ध्यान इस स्तुति में व्यक्त किया गया है।