श्री रामायण जी की आरती: भक्ति, श्रद्धा और प्रेम का अभिव्यक्ति

श्री रामायण जी की आरती: भक्ति, श्रद्धा और प्रेम का अभिव्यक्ति
Last Updated: 21 सितंबर 2024

आरती श्री रामायण जी की।

कीरति कलित ललित सिय पी की॥

गावत ब्रह्मादिक मुनि नारद।

वाल्मीकि विज्ञान बिसारद॥

शुक सनकादिक शेष अरु शारद।

बरनि पवनसुत कीरति नीकी॥

॥ आरती श्री रामायण जी की...॥

 

गावत वेद पुराण अष्टदस।

छः शास्त्र सब ग्रंथन को रस॥

मुनि जन धन संतान को सरबस।

सार अंश सम्मत सब ही की॥

॥ आरती श्री रामायण जी की...॥

 

गावत संतत शंभु भवानी।

अरु घटसंभव मुनि विज्ञानी॥

व्यास आदि कविवर बखानी।

कागभुशुंडी गरुड़ के ही की॥

॥ आरती श्री रामायण जी की...॥

 

कलिमल हरनि विषय रस फीकी।

सुभग सिंगार मुक्ति युवती की॥

दलनि रोग भव मूरि अमी की।

तात मातु सब विधि तुलसी की॥

॥ आरती श्री रामायण जी की...॥

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