आज से भारत में पितृपक्ष श्राद्ध शुरु हुआ है

आज से भारत में  पितृपक्ष श्राद्ध शुरु हुआ है
Last Updated: 18 सितंबर 2024

श्राद्ध 2024: पितृ पक्ष की शुरुआत और महत्त्व

आज से भारत में पितृ पक्ष, जिसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है, की शुरुआत हो गई है। यह अवधि हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है, जिसमें लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और उन्हें सम्मान देने के लिए पूजा-पाठ और श्राद्ध कर्म करते हैं। श्राद्ध का समय हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होता है और आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक चलता है। इस वर्ष, श्राद्ध 18 सितंबर 2024 से शुरू होकर 2 अक्टूबर 2024 तक चलेगा।

श्राद्ध का महत्त्व

श्राद्ध पक्ष का हिंदू धर्म में अत्यधिक धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। यह पितरों (पूर्वजों) की आत्मा की तृप्ति के लिए समर्पित होता है। मान्यता है कि इस समय पूर्वज धरती पर आते हैं और अपने परिवार के लोगों द्वारा किए गए श्रद्धापूर्वक कर्मों को स्वीकार करते हैं। इस दौरान लोग अपने पितरों को तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मणों को भोजन कराने के माध्यम से सम्मान देते हैं।

श्राद्ध कर्म और विधि

श्राद्ध के दौरान पिंडदान, तर्पण, और हवन आदि जैसे विशेष कर्मकांड किए जाते हैं। पिंडदान का अर्थ होता है आटे के गोल पिंड बनाकर उन्हें जल में प्रवाहित करना। साथ ही, तर्पण के माध्यम से पितरों को जल अर्पित किया जाता है। श्राद्ध कर्म के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराने की परंपरा होती है, और दान का भी विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि इससे पितरों को संतोष मिलता है और वे अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं।

पितृ पक्ष की पौराणिक मान्यता

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत के समय जब अर्जुन ने अपने पितामह भीष्म पितामह से पितृ धर्म के बारे में सवाल पूछा था, तब उन्होंने अर्जुन को श्राद्ध कर्म की विधि और महत्व बताया। यह भी कहा जाता है कि भगवान श्रीराम ने भी अपने पितरों के लिए श्राद्ध किया था। इस कारण से श्राद्ध को हिंदू धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है।

 

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