Rama Ekadashi 2024: कब मनाई जाएगी, जानें सही तिथि और शुभ मुहूर्त

Rama Ekadashi 2024: कब मनाई जाएगी, जानें सही तिथि और शुभ मुहूर्त
Last Updated: 1 दिन पहले

ज्योतिषियों के अनुसार, रमा एकादशी का पर्व कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि के बाद मनाया जाता है। इस वर्ष, रमा एकादशी के दिन विशेष रूप से दुर्लभ इंद्र योग और शिववास योग का निर्माण हो रहा है। ये दोनों योग भक्तों के लिए विशेष फलदायी माने जाते हैं। इन auspicious योगों में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक की सभी इच्छाएं पूरी होने की संभावना होती है। इस दिन विशेष अनुष्ठान और व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार होता है। रमा एकादशी के इस पावन अवसर पर श्रद्धालुओं को अपने मन की पवित्रता और भक्ति के साथ पूजा करनी चाहिए।

कार्तिक महीना भगवान विष्णु को विशेष प्रिय है।

इस महीने में प्रकाश पर्व, दिवाली, का उत्सव मनाया जाता है।

कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है।

कार्तिक महीने का धार्मिक महत्व सनातन धर्म में विशेष स्थान रखता है, क्योंकि यह भगवान विष्णु के प्रति श्रद्धा और भक्ति का समय होता है। इस माह में रमा एकादशी और देवउठनी एकादशी का पर्व मनाने की परंपरा है। प्रतिदिन भगवान विष्णु के साथ तुलसी माता की पूजा की जाती है, जो इस समय की एक महत्वपूर्ण परंपरा है। कार्तिक मास के दौरान, भगवान विष्णु योग निद्रा से जागृत होते हैं, और इस दिन के उपलक्ष्य में देवउठनी एकादशी का आयोजन किया जाता है। रमा एकादशी, जो कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि के बाद आती है, विशेष रूप से भक्तों द्वारा मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और श्रद्धालु एकादशी का व्रत रखते हैं, जिससे उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।

रमा एकादशी के दिन, भक्त विशेष अनुष्ठान करते हैं और प्रार्थना करते हैं, जिससे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार हो सके। आइए, हम इस वर्ष रमा एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त और विशेष योग की जानकारी प्राप्त करें ताकि हम इस पावन अवसर का सही से लाभ उठा सकें।

रमा एकादशी का शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार है

एकादशी तिथि: 27 अक्टूबर को सुबह 5:23 बजे से शुरू होगी।

समाप्ति: 28 अक्टूबर को सुबह 7:50 बजे।

साधक 29 अक्टूबर को सुबह 6:31 से 8:44 बजे के बीच पारण कर सकते हैं। अपनी स्थानीय पंचांग की मदद से समय की पुष्टि कर सकते हैं।

रमा एकादशी का महत्व

भगवान विष्णु की कृपा: इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्तों को उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं।

उपवास का फल: रमा एकादशी पर उपवास रखने से मन और आत्मा को शुद्ध करने का अवसर मिलता है। यह उपवास व्यक्ति को संयम और आत्म-नियंत्रण सिखाता है, जिससे जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।

मोक्ष की प्राप्ति: एकादशी का उपवास और पूजा मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करती है। भक्तजन मानते हैं कि इस दिन भगवान की कृपा से वे पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त हो सकते हैं।

सामाजिक और पारिवारिक एकता: इस दिन भजन-कीर्तन और सामूहिक पूजा का आयोजन किया जाता है, जिससे परिवार और समाज में एकता और भाईचारे की भावना बढ़ती है।

धार्मिक अनुष्ठान: रमा एकादशी पर विशेष पूजा विधियाँ और अनुष्ठान किए जाते हैं, जिससे भक्तों का ध्यान भगवान की ओर केंद्रित होता है और आध्यात्मिक विकास में मदद मिलती है।

पारिवारिक सुख: इस दिन की गई पूजा और उपवास से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है। इसे मनाने से रिश्तों में मधुरता और सामंजस्य बढ़ता है।

रमा एकादशी पूजा विधि

1. तैयारी

उठना: ब्रह्म बेला (सुबह 4:48 से 5:39 बजे) में उठें।

नित्यकर्म: नित्यकर्म (स्नान, व्रत आदि) से निवृत्त होकर शुद्ध हों।

2. स्नान और वस्त्र

स्नान: पवित्र जल से स्नान करें और ध्यान लगाएं।

वस्त्र: पीले रंग के वस्त्र पहनें, क्योंकि पीला रंग भगवान विष्णु को प्रिय है।

3. आचमन: ताजे पानी से आचमन करें। इसके लिए एक ताम्र या चांदी की कटोरी का उपयोग करें।

4. सूर्य देव को अर्घ्य: एक बर्तन में पानी लेकर उसे सूर्य देव को अर्पित करें। यह क्रिया सुबह के समय करनी चाहिए।

5. पूजा सामग्री

पंचोपचार: पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री तैयार करें:

पीले फूल

फल (जैसे केले या अन्य)

दीपक,धूप,नैवेद्य (भोग)

6. पूजा विधि

मंडल सजाना: एक स्वच्छ स्थान पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

दीपक जलाना: दीपक और धूप जलाएं।

फूल और फल अर्पित करना: भगवान विष्णु को फूल और फल अर्पित करें।

विष्णु चालीसा का पाठ: विष्णु चालीसा का पाठ करें।

आरती: अंत में भगवान की आरती करें।

7. प्रसाद: पूजा के बाद नैवेद्य का भोग लगाएं और फिर प्रसाद के रूप में बाँटें।

8. उपवास का पालन: रमा एकादशी पर उपवास रखें। इस दिन अन्न का सेवन करें और केवल फल, दूध या अन्य हल्का भोजन कर सकते हैं।

ध्यान रखने योग्य बातें: पूजा को श्रद्धा और भक्ति के साथ करना चाहिए।

संध्या समय में भजन-कीर्तन का आयोजन करें, जिससे वातावरण में भक्ति की भावना बनी रहे।

रमा एकादशी पंचांग

तिथि: एकादशी (कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की)

आरंभ: 27 अक्टूबर, सुबह 5:23 बजे

समाप्ति: 28 अक्टूबर, सुबह 7:50 बजे

अन्य महत्वपूर्ण समय:

सूर्योदय: 28 अक्टूबर, सुबह 6:30 बजे

सूर्यास्त: 28 अक्टूबर, शाम 5:39 बजे

चंद्रोदय: 29 अक्टूबर, रात 3:36 बजे

चंद्रास्त: 29 अक्टूबर, दोपहर 3:32 बजे

विशेष मुहूर्त:

ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:48 से 5:39 बजे

विजय मुहूर्त: दोपहर 1:56 से 2:41 बजे

गोधूलि मुहूर्त: शाम 5:39 से 6:05 बजे

निशिता मुहूर्त: रात 11:39 से 12:31 बजे

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