Rama Ekadashi 2024: रमा एकादशी के दिन तुलसी आरती के बाद करें ये उपाय, श्री हरि होंगे प्रसन्न

Rama Ekadashi 2024: रमा एकादशी के दिन तुलसी आरती के बाद करें ये उपाय, श्री हरि होंगे प्रसन्न
Last Updated: 28 अक्टूबर 2024

रमा एकादशी, जिसे विशेष रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए मनाया जाता है, हर साल बड़ी श्रद्धा के साथ किया जाता है। इस दिन भक्तजन उपवास रखते हैं और सच्चे मन से पूजा-अर्चना करते हैं।

इस व्रत का मुख्य उद्देश्य समृद्धि और खुशहाली की प्राप्ति है। मान्यता है कि इस दिन विशेष रूप से तुलसी की पूजा करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं और उन्हें भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

व्रति महिलाएं इस दिन विशेष रूप से अपने परिवार की भलाई के लिए प्रार्थना करती हैं। पूजा में तुलसी की आरती के बाद कुछ विशेष उपाय करने से और भी अधिक लाभ प्राप्त होता है। इस दिन के आयोजन में श्रद्धा और भक्ति का भरपूर समावेश होना चाहिए, ताकि भक्त जन ईश्वर की कृपा प्राप्त कर सकें।

इस वर्ष, रमा एकादशी पर भगवान विष्णु की कृपा से सभी भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन हो।

रमा एकादशी का व्रत भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का संचार होता है। मान्यता है कि इस दिन उपवास करने से समस्त पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

28 अक्टूबर को मनाए जाने वाले इस व्रत में विशेष रूप से तुलसी की पूजा का महत्व है। भक्त तुलसी के पौधे के पास जाकर उसकी आरती करते हैं और उसके साथ भगवान विष्णु का स्मरण करते हैं। इस दिन विशेष रूप से व्रति महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, रमा एकादशी पर उपवास करने से धन संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से भी विशेष फल की प्राप्ति होती है। भक्तों को इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और फिर पूजा-अर्चना करनी चाहिए।

इस व्रत को मनाने का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह हमें आत्म-नियंत्रण और संयम सिखाता है, जिससे जीवन में संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है। इस पवित्र अवसर पर किए गए उपाय और प्रार्थनाएं निश्चित रूप से भगवान विष्णु की कृपा को आकर्षित करती हैं।

तुलसी माता की आरती

तुलसी माता की आरती केवल भक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह श्रद्धा और समर्पण का भी प्रदर्शन करती है। इस आरती के माध्यम से भक्त माता तुलसी की कृपा प्राप्त करने की कामना करते हैं।

तुलसी माता की आरती एक श्रद्धापूर्ण भक्ति गीत है जो तुलसी माता की महिमा को गाता है। यहां एक प्रसिद्ध आरती प्रस्तुत है:

तुलसी माता की आरती

जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता।

सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता।।

मैय्या जय तुलसी माता।

सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर।

रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता।।

मैय्या जय तुलसी माता।

हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित।

पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता।।

मैय्या जय तुलसी माता।

बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या।

विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता।।

मैय्या जय तुलसी माता।

जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता।

सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता।।

इस आरती के द्वारा भक्त तुलसी माता से कृपा और आशीर्वाद की कामना करते हैं।

आरती का संक्षिप्त वर्णन

आरती में तुलसी माता की महिमा का वर्णन किया गया है। इसमें कहा गया है कि माता सभी जीवों की सुख-समृद्धि की दाता हैं और उनके आशीर्वाद से भक्त सभी कठिनाइयों को पार कर सकते हैं। आरती के विभिन्न पदों में माता की महिमा, उनके गुण, और उनकी शक्ति का उल्लेख किया गया है, जो भक्तों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने की क्षमता रखती है।

आरती के बाद के उपाय

दीप जलाना: माता तुलसी के समक्ष घी का दीपक जलाना, जो भक्तों के जीवन में प्रकाश और सुख लाने का प्रतीक है।

प्रसाद चढ़ाना: तुलसी के पौधे को पानी देने और उसके नीचे प्रसाद चढ़ाने से माता की कृपा प्राप्त होती है।

ध्यान और जप: आरती के बाद '' नमो भगवते वासुदेवाय नमः'' का जाप करने से मानसिक शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।

तुलसी पूजन का महत्व

तुलसी माता की पूजा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इसे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने वाली माना जाता है। तुलसी का पौधा कई धार्मिक और औषधीय गुणों से भरपूर होता है, जो केवल भक्तों के आध्यात्मिक जीवन को समृद्ध करता है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है।

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