चैत्र नवरात्रि का पर्व आध्यात्मिक ऊर्जा और भक्ति से परिपूर्ण होता है। इस दौरान देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कलश स्थापना का सही मुहूर्त और विधि आपके जीवन में सुख-समृद्धि ला सकती है? आइए, जानते हैं इस शुभ कार्य के नियम और महत्व।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
• तिथि – 30 मार्च 2025 (प्रतिपदा तिथि)
• शुभ मुहूर्त – प्रातः 06:13 मिनट से 10:22 मिनट तक
• अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12:01 मिनट से 12:50 मिनट तक
कलश स्थापना की विधि एवं नियम
• स्थान की शुद्धि: कलश स्थापना हेतु चयनित स्थान को स्वच्छ कर पवित्र जल का छिड़काव करें।
• अष्टदल निर्माण: भूमि पर अष्टदल बनाकर उस पर कलश स्थापित करें।
• कलश का चयन: सोना, चांदी, तांबा अथवा मिट्टी से निर्मित कलश को शुभ माना जाता है।
• दिशा का निर्धारण: कलश को उत्तर अथवा उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करना श्रेष्ठ रहता है।
कलश की सजावट
• कलश पर स्वास्तिक चिह्न अंकित करें।
• मौली (रक्षा सूत्र) लपेटें।
• आम के पत्तों से सजाकर शीर्ष पर नारियल रखें।
• अन्य पूजन सामग्री: कलश में जल के साथ लौंग, हल्दी, अक्षत, सिक्का, इलायची, पान एवं पुष्प डालें।
• ध्यान एवं आराधना: दीप प्रज्वलित कर मां दुर्गा की पूजा विधिपूर्वक आरंभ करें।
नवदुर्गा के नौ दिव्य स्वरूप एवं उनके मंत्र
• शैलपुत्री – ह्रीं शिवायै नमः
• ब्रह्मचारिणी – ह्रीं श्री अम्बिकायै नमः
• चंद्रघंटा – ऐं श्रीं शक्तयै नमः
• कूष्मांडा – ऐं ह्रीं देव्यै नमः
• स्कंदमाता – ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नमः
• कात्यायनी – क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नमः
• कालरात्रि – क्लीं ऐं श्री कालिकायै नमः
• महागौरी – श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नमः
• सिद्धिदात्री – ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नमः
कलश स्थापना का महत्व
मान्यता है कि विधिपूर्वक स्थापित किया गया कलश घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि हमारे जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का प्रतीक है। यदि आप इस नवरात्रि देवी दुर्गा की कृपा पाना चाहते हैं, तो कलश स्थापना के इन नियमों का पालन अवश्य करें। सही दिशा, सही सामग्री और विधि-विधान से की गई पूजा निश्चित रूप से आपकी मनोकामनाएं पूर्ण करेगी।