चैत्र नवरात्रि 2025 की शुरुआत 30 मार्च से हो रही है और यह 6 अप्रैल तक चलेगी। इन नौ दिनों में भक्त मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हैं और व्रत रखते हैं। व्रत के दौरान सात्विक भोजन करने की परंपरा है, जिसमें लहसुन-प्याज का सेवन पूरी तरह वर्जित माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे आध्यात्मिक और पौराणिक दोनों ही कारण हैं? आइए जानते हैं कि नवरात्रि में लहसुन-प्याज क्यों नहीं खाया जाता।
तामसिक भोजन से बचने की परंपरा
हिंदू धर्म में लहसुन और प्याज को तामसिक भोजन की श्रेणी में रखा गया है। तामसिक भोजन से क्रोध, वासना, अहंकार और भटकाव की प्रवृत्ति बढ़ती है, जो साधना और भक्ति मार्ग में बाधक मानी जाती है। नवरात्रि के दौरान व्यक्ति को संयम और शुद्ध आचरण का पालन करना चाहिए, इसलिए इन खाद्य पदार्थों का त्याग किया जाता है।
पौराणिक कथा से जुड़ा है लहसुन-प्याज
एक मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत निकला था, तब असुर स्वरभानु ने छल से अमृत ग्रहण कर लिया था। भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। माना जाता है कि जहां-जहां उसके रक्त की बूंदें गिरीं, वहीं से लहसुन और प्याज उत्पन्न हुए। इस कारण इन्हें राक्षसी भोजन भी कहा जाता है, और धार्मिक अनुष्ठानों में इनका सेवन निषेध माना जाता है।
व्रत के दौरान क्या खा सकते हैं?
नवरात्रि व्रत के दौरान भक्त सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं, जिसमें फल, दूध, मखाना, कुट्टू का आटा, सिंघाड़े का आटा और समा चावल का सेवन किया जाता है। इसके अलावा सेंधा नमक का ही उपयोग किया जाता है।
चैत्र नवरात्रि 2025: घटस्थापना मुहूर्त
इस साल चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ 30 मार्च से हो रहा है। घटस्थापना का शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहेगा:
प्रथम मुहूर्त: सुबह 06:13 से 10:22 तक
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:01 से 12:50 तक
नवरात्रि के दौरान लहसुन और प्याज का सेवन इसलिए वर्जित है क्योंकि ये तामसिक प्रवृत्ति को बढ़ावा देते हैं और साधना में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, व्रत के समय सात्विक भोजन से आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति होती है। ऐसे में भक्त इन नौ दिनों में पूरी श्रद्धा के साथ मां दुर्गा की आराधना करते हैं और नियमों का पालन करते हैं।