पाकिस्तानी सेना के ऑपरेशन पर रोक! CM गंडापुर ने तालिबान मुद्दे पर सेना को घेरा

पाकिस्तानी सेना के ऑपरेशन पर रोक! CM गंडापुर ने तालिबान मुद्दे पर सेना को घेरा
अंतिम अपडेट: 21 घंटा पहले

पाकिस्तानी CM अली अमीन गंडापुर ने कहा कि खैबर पख्तूनख्वा में "गुड तालिबान" अब भी हैं, लेकिन बन्नू कैंटोनमेंट हमला "बैड तालिबान" ने किया। उन्होंने सेना के ऑपरेशन पर सवाल उठाए।

Pakistan News: पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर ने सेना और सरकार की नीतियों का खुलकर विरोध किया है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि अब वह अपने प्रांत में किसी भी प्रकार के मिलिट्री ऑपरेशन की इजाजत नहीं देंगे। गंडापुर ने कहा कि पाकिस्तानी सेना जितने आतंकियों को मारती है, उससे अधिक आतंकी अफगानिस्तान से पाकिस्तान में घुस आते हैं, जिससे समस्या जस की तस बनी रहती है।

सेना के ऑपरेशनों पर रोक

गंडापुर ने एक निजी टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि उनकी सरकार अब आर्मी को किसी भी सैन्य अभियान की इजाजत नहीं देगी। उनका मानना है कि पाकिस्तान वर्तमान में जिस सुरक्षा संकट का सामना कर रहा है, उसका समाधान सैन्य अभियान से नहीं बल्कि राजनीतिक और कूटनीतिक तरीकों से किया जाना चाहिए।

आतंकवाद की समस्या और बढ़ती चुनौतियां

गंडापुर ने दावा किया कि अनुमान के अनुसार 9,500 से 11,500 आतंकवादी पहले ही उनके इलाके में घुस चुके हैं, जबकि सीमा पार इससे दोगुने आतंकी मौजूद हो सकते हैं। उन्होंने सेना और सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि केवल सैन्य कार्रवाई से आतंकवाद खत्म हो सकता, तो यह समस्या अब तक सुलझ चुकी होती।

राष्ट्रीय सुरक्षा बैठक पर सवाल

गंडापुर ने दो दिन पहले हुई राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक को लेकर कहा कि यह चर्चा से अधिक तथ्यों का प्रस्तुतीकरण थी। उन्होंने इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) और सेना के बीच चल रहे टकराव की ओर भी इशारा किया। PTI और सेना के बीच रिश्ते 2022 में इमरान खान की सरकार गिरने के बाद से ही तनावपूर्ण हैं।

गुड तालिबान-बैड तालिबान का विवाद

गंडापुर ने यह भी बताया कि खैबर पख्तूनख्वा में अब भी “गुड तालिबान” मौजूद हैं, जबकि इस महीने की शुरुआत में बन्नू कैंटोनमेंट पर हमला “बैड तालिबान” द्वारा किया गया था। उन्होंने स्पष्ट किया कि पहले हाफिज गुल बहादर और नूर वली महसूद को “गुड तालिबान” माना जाता था, लेकिन अब वे “बैड तालिबान” बन चुके हैं। गंडापुर का मानना है कि पाकिस्तान को अपनी तालिबान नीति की समीक्षा करनी होगी।

प्रांतीय अधिकारों की रक्षा की मांग

गंडापुर और उनकी पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ सूबों की स्वायत्तता पर जोर देते हैं। वे मानते हैं कि खैबर पख्तूनख्वा की सुरक्षा और कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी प्रांतीय सरकार और पुलिस की होनी चाहिए, न कि सेना की। उनका तर्क है कि सेना का हस्तक्षेप प्रांतीय अधिकारों का हनन करता है। उन्होंने कहा कि जब वे मुख्यमंत्री बने, तो पुलिस ने शिकायत की थी कि सेना की मौजूदगी उनके काम में बाधा डाल रही थी।

स्थायी समाधान के लिए नई रणनीति की जरूरत

गंडापुर का मानना है कि बड़े पैमाने के सैन्य ऑपरेशन आतंकवाद का स्थायी समाधान नहीं हैं। वे इसके बजाय इंटेलिजेंस-बेस्ड ऑपरेशनों और स्थानीय पुलिस को मजबूत करने की वकालत करते हैं। उनका कहना है कि टारगेटेड ऑपरेशन पहले से चल रहे हैं और इन्हें जारी रखा जाएगा, लेकिन पूर्ण सैन्य अभियान की जरूरत नहीं है।

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