श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी
श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा।
श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा॥
समसार सागर से पार उतारो,
हे नाथ नारायण वासुदेवा।
श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा॥
तुम हो एक शरण हमारि,
हे नाथ नारायण वासुदेवा।
श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा॥
अघट को घट करने वाले,
हे नाथ नारायण वासुदेवा।
श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा॥
यह भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति है, जो भक्तों की विनम्र प्रार्थना और श्रद्धा को प्रकट करता है। यह भजन उनकी महिमा और भक्तों के प्रति उनकी कृपा को सुंदर रूप में गाता है।