Kalpathi Ratholsavam 2024: पलक्कड़ का भव्य कल्पथी रथ महोत्सव

Kalpathi Ratholsavam 2024: पलक्कड़ का भव्य कल्पथी रथ महोत्सव
Last Updated: 1 दिन पहले

कल्पथी रथोत्सवम (Kalpathi Ratholsavam) 2024 में एक बार फिर केरल के पलक्कड़ जिले के कलपथी गाँव में मनाया जाता। यह वार्षिक उत्सव, जो भगवान शिव और पार्वती की रथ यात्रा के रूप में आयोजित होता है, केरल की सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक परंपराओं का एक अद्वितीय उदाहरण है। इस महोत्सव में भव्य रथों की यात्रा, भक्तों की भक्ति और पारंपरिक अनुष्ठान देखने को मिलते हैं।

केरल के पलक्कड़ जिले के कलपथी गांव में हर साल आयोजित होने वाला कल्पथी रथोत्सवम एक अद्वितीय और ऐतिहासिक धार्मिक उत्सव है, जो इस क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर और आध्यात्मिक परंपराओं का प्रतीक है। विशाल रथों के साथ देवताओं की भव्य शोभायात्रा, श्रद्धालुओं की भक्ति और उल्लास, और इस आयोजन की ऐतिहासिक महत्ता इसे केरल के सबसे महत्वपूर्ण और भव्य त्योहारों में से एक बनाती है।

कल्पथी रथोत्सवम की तिथियाँ 2024

कल्पथी रथोत्सवम आमतौर पर नवंबर में मनाया जाता है और यह लगभग दस दिनों तक चलता है। 2024 में, इस महोत्सव के मुख्य आयोजन 13 नवंबर से 15 नवंबर तक होंगे। इस दौरान मंदिर से रथ यात्रा शुरू होती है, जिसे कल्पथी रथकलसवम कहा जाता है।

कल्पथी रथोत्सवम कहाँ मनाया जाता है

यह भव्य उत्सव केरल के पलक्कड़ जिले के कलपथी गांव में मनाया जाता है, जो श्री विशालाक्षी समेथा श्री विश्वनाथ स्वामी मंदिर में आयोजित होता है। यह मंदिर नीला नदी के किनारे स्थित है, जिससे इसका धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है। मंदिर के पवित्र परिसर में भगवान शिव और उनकी पत्नी पार्वती के साथ उनके बच्चों गणेश और मुरुगन की भव्य रथ यात्रा की जाती है।

कल्पथी रथोत्सव का इतिहास

कल्पथी रथोत्सव का इतिहास लगभग 700 वर्षों पुराना है। इसके पीछे एक दिलचस्प किंवदंती है, जो इस उत्सव के महत्व को और भी गहरे तरीके से समझाती है। एक समय की बात है, जब लक्ष्मीअम्मल नामक एक ब्राह्मण विधवा काशी (अब वाराणसी) यात्रा पर गईं और भगवान शिव का प्रतीकात्मक लिंगम अपने साथ लेकर आईं। उन्होंने इसे नीला नदी के किनारे स्थापित किया और स्थानीय राजा से मंदिर बनाने की अनुमति प्राप्त की। राजा ने शिवलिंग की स्थापना के लिए एक सुंदर मंदिर का निर्माण कराया, जो आज भी श्रद्धालुओं के लिए एक पवित्र स्थल बना हुआ है।

रथ यात्रा का आयोजन और महत्वपूर्ण गतिविधियाँ

इस महोत्सव के दौरान रथ यात्रा के मुख्य आकर्षण होते हैं

प्रारंभिक पूजा और अनुष्ठान: पहले 6-8 दिनों तक मंदिर में वैदिक अनुष्ठान, भजन और धार्मिक कर्मकांड होते हैं। ये अनुष्ठान मंदिर को धार्मिक आस्था और ऊर्जा से भर देते हैं।

रथ यात्रा: इस उत्सव के अंतिम दो दिनों में, भगवान शिव, पार्वती और उनके बच्चों गणेश और मुरुगन को रथों में बिठाकर यात्रा की जाती है। ये रथ भक्तों द्वारा खींचे जाते हैं, और यह यात्रा एक जगह पर मिलकर समाप्त होती है।

सामुदायिक सहभागिता: यह त्योहार जाति और धर्म के भेदभाव को समाप्त कर देता है, क्योंकि सभी भक्त चाहे किसी भी जाति के हों, वे देवताओं के रथ को खींचने में भाग लेते हैं।

कल्पथी रथोत्सवम यात्रा की योजना

आवागमन

वायुमार्ग: कोयम्बटूर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (लगभग 70 किमी) और कालीकट अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (लगभग 100 किमी) निकटतम हवाई अड्डे हैं।

रेल मार्ग: पलक्कड़ जंक्शन (लगभग 3 किमी) निकटतम रेलवे स्टेशन है।

सड़क मार्ग: पलक्कड़ स्टेडियम बस स्टैंड से आयोजन स्थल तक लगभग 3 किमी का सफर है।

आवास: त्योहार के दौरान स्थानीय आवास जल्दी भर सकते हैं, इसलिए पहले से बुकिंग करना बेहतर होगा। स्थानीय शाकाहारी व्यंजन का आनंद लेने का भी अच्छा अवसर मिलेगा।

पहनावा: मंदिर के अनुष्ठानों में भाग लेते समय शालीन और पारंपरिक कपड़े पहनने की सलाह दी जाती है। साथ ही, मंदिर में प्रवेश करते समय जूते उतारने की आदत रखें।

फोटोग्राफी: फोटोग्राफी की अनुमति सामान्यत: होती है, लेकिन हमेशा धार्मिक भावना का सम्मान करते हुए अनुष्ठानों में बाधा डालने से बचें।

भीड़: इस उत्सव में भारी भीड़ होती है, इसलिए अपने सामान का ध्यान रखें और हमेशा सतर्क रहें।

कल्पथी रथोत्सवम का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व

कल्पथी रथोत्सवम केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह केरल की सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतीक है। यहां भक्तों की भक्ति, विश्वास और समाज में सामूहिकता को देखा जा सकता है। रथ यात्रा का आयोजन एक अनोखी परंपरा है, जो आज भी श्रद्धा और आस्था के साथ बड़े धूमधाम से मनाई जाती है।

कल्पथी रथोत्सवम में भाग लेना केवल धार्मिक अनुभव होता है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक यात्रा भी है, जो आपको केरल के धार्मिक और सामाजिक जीवन से जुड़ने का अवसर प्रदान करती है। इस भव्य रथ महोत्सव में सम्मिलित होकर आप केवल एक अद्वितीय धार्मिक अनुभव का हिस्सा बनेंगे, बल्कि केरल की सांस्कृतिक परंपराओं से भी रूबरू होंगे। अगर आप इस साल 2024 में कल्पथी रथोत्सवम का अनुभव करने का सोच रहे हैं, तो यह समय और अनुभव आपके जीवन में सदैव याद रहेगा।

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