Pausha Putrada Ekadashi: पौष पुत्रदा एकादशी सनातन धर्म में अत्यधिक पवित्र और महत्वपूर्ण व्रत है। यह एकादशी संतान सुख की कामना के लिए विशेष रूप से की जाती है। इसे पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से न केवल संतान सुख प्राप्त होता है, बल्कि जीवन के सभी पाप भी समाप्त हो जाते हैं।
सनातन धर्म में एकादशी का व्रत अत्यंत पवित्र माना गया है। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि एकादशी व्रत करने से सुख, शांति, और सफलता प्राप्त होती है। यह पापों से मुक्ति का मार्ग है। खासकर पौष पुत्रदा एकादशी संतान सुख की कामना के लिए सर्वोत्तम मानी जाती हैं।
पुत्रदा एकादशी का विशेष महत्व
• पुत्रदा एकादशी वर्ष में दो बार आती हैं।
• पौष मास के शुक्ल पक्ष में
• सावन मास के शुक्ल पक्ष में
2025 में पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत 10 जनवरी को रखा जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। धर्मशास्त्रों के अनुसार, इस व्रत को करने से वाजपेय यज्ञ के बराबर पुण्यफल प्राप्त होता हैं।
पुत्रदा एकादशी का शुभ योग और तिथि
• पंचांग के अनुसार, पौष पुत्रदा एकादशी 2025 का शुभ समय इस प्रकार हैं।
• एकादशी तिथि प्रारंभ: 9 जनवरी, दोपहर 12:22 बजे
• एकादशी तिथि समाप्त: 10 जनवरी, रात्रि 10:19 बजे
• व्रत पारण का समय: 11 जनवरी को प्रातः 7:15 बजे से 8:21 बजे तक
इस एकादशी पर ब्रह्म योग का संयोग है, जो इसे और भी शुभ बनाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस योग में व्रत और दान करने से विशेष फल प्राप्त होता हैं।
पुत्रदा एकादशी व्रत विधि
• सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं।
• भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं।
• चंदन, फूल, तुलसी दल, सुपारी, और मौसमी फल अर्पित करें।
• दक्षिणावर्ती शंख में दूध भरकर भगवान श्रीकृष्ण का अभिषेक करें।
• व्रत का संकल्प लें और दिनभर अन्न का त्याग करें।
• फलाहार और दूध ग्रहण कर सकते हैं।
• रात में भजन-कीर्तन करें और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
• व्रत का पारण 11 जनवरी की सुबह निर्धारित समय पर करें।
पौराणिक कथा
पुत्रदा एकादशी से जुड़ी कथा के अनुसार, एक राजा सुकेतुमान और उनकी रानी नि:संतान होने के कारण अत्यंत दुखी थे। वन में जाकर ऋषियों की सलाह पर उन्होंने पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत किया। भगवान विष्णु की कृपा से उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।
• यह कथा यह दर्शाती है कि संतान सुख की प्राप्ति के लिए यह व्रत अत्यंत फलदायी हैं।
• संतान सुख और मोक्ष प्राप्ति का पर्व
• पौष पुत्रदा एकादशी पर व्रत करने से
• संतान सुख की प्राप्ति होती हैं।
• भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा से जीवन में शांति और समृद्धि आती हैं।
• जन्म और मरण के चक्र से मुक्ति मिलती हैं।
ध्यान देने योग्य बातें
• व्रत के दौरान मन और वाणी को शुद्ध रखें।
• पूजा में तुलसी के पत्तों का उपयोग अनिवार्य है।
• व्रत पारण का समय पंचांग अनुसार ध्यानपूर्वक पालन करें।
पौष पुत्रदा एकादशी 2025 न केवल संतान सुख की प्राप्ति के लिए बल्कि मोक्ष और जीवन में समृद्धि लाने के लिए भी एक अद्वितीय अवसर है। भगवान विष्णु की पूजा और व्रत के माध्यम से श्रद्धालु अपने जीवन को पवित्र और कष्टों से मुक्त कर सकते हैं।