Chherchhera Festival: चेर्चेरा उत्सव छत्तीसगढ का एक पारंपरिक और सांस्कृतिक उत्सव है, जिसे खासतौर पर राज्य के ग्रामीण इलाकों में मनाया जाता है। यह उत्सव मुख्य रूप से कृषि कार्यों से जुड़ा होता है और फसल कटाई के बाद मनाया जाता है। इस दौरान लोग अपनी खुशियों को साझा करते हैं और सामाजिक और धार्मिक गतिविधियों का हिस्सा बनते हैं।
चेर्चेरा उत्सव का महत्व
• चेर्चेरा उत्सव छत्तीसगढ की सांस्कृतिक धरोहर और पारंपरिक रीति-रिवाजों का हिस्सा है। इस दिन गांवों में धार्मिक अनुष्ठान, सांस्कृतिक कार्यक्रम, नृत्य, गीत और अन्य प्रकार की परंपराएँ आयोजित की जाती हैं। यह उत्सव खासतौर पर कृषि कार्यों से जुड़ा होता है और फसल कटाई के बाद मनाया जाता है।
• चेर्चेरा उत्सव का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। यह विशेष रूप से मकर संक्रांति के आसपास मनाया जाता है और किसानों के लिए यह दिन फसल की कटाई और अच्छी फसल के लिए धन्यवाद देने का होता है। यह एक प्रकार से कृषि जीवन और ग्रामीण समाज की समृद्धि का प्रतीक हैं।
चेर्चेरा उत्सव 2025 की तारीख
चेर्चेरा उत्सव 2025 में 14 जनवरी को मनाया जाएगा, जो मकर संक्रांति के आसपास पड़ता है। यह उत्सव मुख्य रूप से धार्मिक अनुष्ठानों, पारंपरिक खेलों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से भरा होता हैं।
उत्सव के दौरान होने वाली गतिविधियाँ
• चेर्चेरा उत्सव के दौरान गांवों में बड़ी धूमधाम होती है। लोग रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर सामूहिक रूप से नृत्य करते हैं। साथ ही, यहां पारंपरिक संगीत, नाटक और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियाँ होती हैं। इस दिन विशेष रूप से महिलाओं द्वारा गीत गाए जाते हैं और पुरुष समुदाय पारंपरिक खेलों में भाग लेते हैं।
• नृत्य और संगीत: उत्सव के दौरान ग्रामीण लोग पारंपरिक गीत गाते हैं और नृत्य करते हैं। खासतौर पर महिलाएं समूह में लोकगीतों का गायन करती हैं और पुरुष खेलकूद और नृत्य में भाग लेते हैं।
• पारंपरिक भोजन: इस दिन विशेष पकवान बनाए जाते हैं। राजस्थान के पारंपरिक भोजन जैसे दाल बाटी चूरमा, घेवर, और गुड़ से बने व्यंजन बहुत लोकप्रिय होते हैं।
• धार्मिक अनुष्ठान: यह दिन धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण होता है। लोग देवी-देवताओं की पूजा करते हैं और गांव के मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना होती है।
• सांस्कृतिक कार्यक्रम: गांवों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिसमें नाटक, लोकगीत, और पारंपरिक खेल होते हैं।
पारंपरिक भोजन और व्यंजन
चेर्चेरा उत्सव के दौरान स्थानीय भोजन और व्यंजन भी तैयार किए जाते हैं, जिनमें विशेष प्रकार के पकवान, मीठे व्यंजन और ताजे फल शामिल होते हैं। ये व्यंजन उत्सव का हिस्सा होते हैं और इनके जरिए स्थानीय संस्कृति को प्रकट किया जाता हैं।
चेर्चेरा उत्सव छत्तीसगढ की संस्कृति और परंपराओं का जीवंत उदाहरण है। यह उत्सव न केवल कृषि जीवन से जुड़ा हुआ है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक एकता को भी बढ़ावा देता है। इस दिन लोग अपने पुराने रीति-रिवाजों को याद करते हैं और खुशी के इस मौके को एक साथ मनाते हैं।