गुरुवायुर एकादशी हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखने वाली एकादशी तिथि है, जिसे भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से केरल के प्रसिद्ध गुरुवायुर मंदिर में भव्य तरीके से मनाया जाता हैं।
यह एकादशी मलयालम पंचांग के अनुसार वृश्चिक मास (नवंबर-दिसंबर) के शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को आती है। इस दिन को भगवान विष्णु की भक्ति, उपवास और विशेष अनुष्ठान के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता हैं।
गुरुवायुर एकादशी, हिंदू धर्म में मनाई जाने वाली एक विशेष तिथि है, जो भगवान विष्णु और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है। यह पर्व केरल के प्रसिद्ध गुरुवायुर मंदिर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन श्रद्धालु उपवास रखते हैं और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। आइए जानते हैं इस वर्ष गुरुवायुर एकादशी 2024 की तिथि, पूजा विधि और इसके महत्व के बारे में विस्तार से।
गुरुवायुर एकादशी 2024 की तिथि और पारण का समय
• गुरुवायुर एकादशी की तिथि
• आरंभ 11 दिसंबर 2024 को सुबह 3:42 बजे
• समाप्त 12 दिसंबर 2024 को रात 1:09 बजे
पारण का समय
• शुरुआत 12 दिसंबर 2024 को सुबह 7:05 बजे
• समाप्त 12 दिसंबर 2024 को सुबह 9:09 बजे
गुरुवायुर एकादशी पूजा विधि
गुरुवायुर एकादशी के दिन भगवान विष्णु और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। सही विधि से पूजा करने से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती हैं।
पूजा की तैयारी
• प्रात जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें।
• भगवान श्रीकृष्ण और भगवान विष्णु की मूर्ति को गंगाजल या पंचामृत से स्नान कराएं।
• मूर्ति को चंदन, रोली, और पुष्प अर्पित करें।
• दीपक जलाकर पूजा स्थल को पवित्र करें।
पूजा प्रक्रिया
• भगवान श्रीकृष्ण को तुलसी दल अर्पित करें।
• विष्णु सहस्रनाम या विष्णु चालीसा का पाठ करें।
• भगवान को ताजा फल, मिठाई, और नैवेद्य अर्पित करें।
• अंत में भगवान की आरती करें और प्रसाद सभी में बांटें।
विशेष अनुष्ठान
केरल के गुरुवायुर मंदिर में इस दिन हाथियों का भव्य जुलूस निकाला जाता है। रात में दीपदान (एकादशी विलक्कू) किया जाता है, जो इस पर्व का मुख्य आकर्षण हैं।
गुरुवायुर एकादशी का महत्व
गुरुवायुर एकादशी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बेहद गहरा है। इसे भगवान विष्णु की कृपा पाने का सबसे उत्तम दिन माना जाता है। इस दिन पूजा-अर्चना करने से जीवन के कष्ट समाप्त होते हैं और पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती हैं।
गुरुवायुर मंदिर में उत्सव
गुरुवायुर मंदिर में यह दिन विशेष रूप से मनाया जाता है। मंदिर को भव्य तरीके से सजाया जाता है, और भक्तों को भगवान के "निर्माल्य दर्शन" का सौभाग्य प्राप्त होता हैं।
उपवास का महत्व
• एकादशी पर उपवास रखने से आत्मिक शुद्धि होती है। यह दिन भक्तों के लिए अपने मन और शरीर को संयमित करने का अवसर प्रदान करता हैं।
• गुरुवायुर एकादशी से जुड़े धार्मिक पहलू
• भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
• इस दिन की गई पूजा से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है।
• यह दिन पितरों को श्रद्धांजलि देने और उनकी आत्मा की शांति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता हैं।
गुरुवायुर एकादशी 2024, धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है। यदि आप इस वर्ष इस पवित्र एकादशी पर भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा करेंगे, तो निश्चित ही आपको उनके आशीर्वाद की प्राप्ति होगी।