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जन्माष्टमी 2025: मंदिर सजाने से पहले जानिए वो 7 पावन वस्तुएं जो लाना है अत्यंत शुभ

जन्माष्टमी 2025: मंदिर सजाने से पहले जानिए वो 7 पावन वस्तुएं जो लाना है अत्यंत शुभ

हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इस साल जन्माष्टमी का पर्व 16 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। यह दिन पूरे देश में उत्साह और श्रद्धा से मनाया जाता है। भक्त रातभर जागकर भगवान श्रीकृष्ण की झांकी सजाते हैं, भजन गाते हैं और मध्य रात्रि में उनका जन्मोत्सव मनाते हैं।

जन्माष्टमी का पर्व सिर्फ पूजा-अर्चना तक सीमित नहीं रहता, बल्कि इस दिन घर की सजावट से लेकर विशेष वस्तुएं लाकर भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने की परंपरा भी है। मान्यता है कि कुछ शुभ चीजें अगर जन्माष्टमी से पहले घर में लाई जाएं, तो कान्हा जी की कृपा बनी रहती है।

लड्डू गोपाल का स्वागत करें

श्रीकृष्ण का बाल रूप, जिसे लड्डू गोपाल कहा जाता है, जन्माष्टमी पर विशेष रूप से पूजित होता है। जन्म से पहले ही उनके स्वागत की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। अगर आपके घर में पहले से लड्डू गोपाल नहीं हैं, तो जन्माष्टमी से पहले आप उन्हें घर ला सकते हैं।

लड्डू गोपाल को घर में लाकर उनका शृंगार करना, भोग लगाना और सेवा करना शुभ माना जाता है। उनके छोटे से झूले, वस्त्र, मुकुट और बांसुरी से सजाकर आप उनके आगमन का उत्सव मना सकते हैं। घर में लड्डू गोपाल की उपस्थिति को शुभता और सुख-शांति का प्रतीक माना गया है।

बांसुरी और मोर पंख का खास महत्व

कृष्ण जी की वंशी यानी बांसुरी उनकी पहचान का अहम हिस्सा मानी जाती है। यह न सिर्फ उनके शृंगार का हिस्सा है, बल्कि इसे घर में रखने से भी सकारात्मक ऊर्जा का संचार माना जाता है। जन्माष्टमी से पहले घर में चांदी या लकड़ी की बांसुरी रखी जा सकती है।

इसी तरह मोर पंख भी भगवान कृष्ण को अत्यंत प्रिय है। मोर पंख को भगवान के मुकुट में सजाया जाता है और इसे घर में रखने से सुख और समृद्धि बनी रहती है। वास्तुशास्त्र के अनुसार मोर पंख से घर में नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और वातावरण में शुभता बढ़ती है।

गाय और बछड़े की मूर्ति लाने का है विशेष योग

श्रीकृष्ण का बचपन गोपाल या गोविंद रूप में बीता, जहां वे गायों के बीच पले-बढ़े। इसीलिए गाय और बछड़े की मूर्ति को घर में रखना बहुत शुभ माना गया है। यह प्रतीक है सौम्यता, पालन और दया का।

आप जन्माष्टमी से पहले पीतल या मिट्टी की बनी हुई गाय-बछड़े की सुंदर मूर्ति घर के पूजा स्थल पर रख सकते हैं। इससे वातावरण पवित्र रहता है और परिवार में वात्सल्य व अपनापन बना रहता है।

वैजयंती माला और श्रीमद्भगवद्गीता का महत्व

कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने वैजयंती माला को धारण किया था। यह माला शांति, विजय और तप का प्रतीक मानी जाती है। आप इसे पूजा स्थल पर लाकर लड्डू गोपाल को पहना सकते हैं या मंदिर में सजा सकते हैं।

इसके अलावा श्रीमद्भगवद्गीता श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया वह ज्ञान है, जो आज भी जीवन की राह दिखाता है। जन्माष्टमी से पहले घर में गीता लाकर उसका नियमित पाठ करना शुभ माना जाता है। यह घर के माहौल को सकारात्मक और आध्यात्मिक बनाता है।

तुलसी का पौधा घर में लाएं

तुलसी को श्रीहरि विष्णु और उनके सभी अवतारों की प्रिय मानी गई है। भगवान श्रीकृष्ण को भी तुलसी अर्पित की जाती है। पूजा-पाठ में तुलसी के पत्ते अनिवार्य होते हैं। ऐसे में जन्माष्टमी से पहले घर में तुलसी का पौधा लगाना अत्यंत शुभ होता है।

तुलसी का पौधा लाने के लिए गुरुवार या शुक्रवार को उपयुक्त दिन माना गया है। इसे पूर्व दिशा में रखें और प्रतिदिन जल अर्पित करें। यह पौधा सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि वातावरण को शुद्ध करने के लिए भी अत्यंत लाभकारी माना गया है।

मंदिर और झूले की सजावट भी रखें खास

जन्माष्टमी पर घर के मंदिर को खास तौर पर सजाने का रिवाज होता है। झूले में लड्डू गोपाल को विराजमान कर भजन-कीर्तन किए जाते हैं। रंग-बिरंगी लाइटों, फूलों और सजावटी कपड़ों से आप भगवान के स्वागत की पूरी तैयारी कर सकते हैं।

मंदिर में रंगोली, धूप-दीप और घंटियों की गूंज वातावरण को आध्यात्मिक बना देती है। भोग के लिए माखन-मिश्री, पंजीरी, पंचामृत और अन्य पकवान तैयार कर लड्डू गोपाल को अर्पण करें।

जन्माष्टमी से पहले की तैयारियां

  • लड्डू गोपाल की मूर्ति
  • लकड़ी या चांदी की बांसुरी
  • मोर पंख
  • गाय-बछड़े की मूर्ति
  • वैजयंती माला
  • श्रीमद्भगवद्गीता
  • तुलसी का पौधा
  • रंगोली, फूल, झूला और मंदिर सजावट की सामग्री

इन सभी तैयारियों के साथ अगर आप जन्माष्टमी का पर्व मनाएंगे, तो यह पर्व आपके जीवन में आनंद, शुभता और अध्यात्म का एक नया अनुभव लेकर आएगा।

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