Happy Choti Diwali 2024: जानें कब मनाई जाएगी 30 या 31 अक्टूबर, महत्व और मान्यताएँ

Happy Choti Diwali 2024: जानें कब मनाई जाएगी 30 या 31 अक्टूबर, महत्व और मान्यताएँ
Last Updated: 30 अक्टूबर 2024

Happy Choti Diwali 2024: छोटी दिवाली, जिसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है, हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन का विशेष महत्व है, क्योंकि इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। 2024 में, छोटी दिवाली का पर्व 30 अक्टूबर (बुधवार) को मनाया जाएगा। इस दिन लोग अपने घरों और कारोबार की सफाई करते हैं और सजावट करते हैं। शाम के समय, बुराई के अंधेरे को दूर करने के लिए दीप जलाए जाते हैं। यमराज के नाम का दीपक जलाने की परंपरा भी है, जिससे व्यक्ति अकाल मृत्यु के भय से मुक्त होता है। इस दिन हनुमान जयंती भी मनाई जाती है, जिसके चलते हनुमान जी की विशेष पूजा की जाती है। लोग इस दिन दोस्तों और रिश्तेदारों के घर मिठाइयाँ बाँटते हैं और एक-दूसरे को शुभकामनाएँ देते हैं। छोटी दिवाली केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक मेलजोल का भी पर्व है, जो लोगों को एक साथ लाता है। इस प्रकार, यह पर्व हमारे जीवन में सकारात्मकता और खुशियों का संचार करता है।

Choti Diwali Date 2024

छोटी दिवाली, जिसे नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है, 30 अक्टूबर 2024 (बुधवार) को मनाई जाएगी। यह त्योहार दिवाली के प्रमुख उत्सव से एक दिन पहले आता है और इस दिन विशेष रूप से यमराज के नाम का दीप जलाने की प्रथा है।

छोटी दिवाली का पर्व कब मनाया जाएगा

छोटी दिवाली का पर्व, जिसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है, 30 अक्टूबर 2024 (बुधवार) को मनाया जाएगा। चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ 30 अक्टूबर को दोपहर 1:16 बजे से होगा और इसका समापन 31 अक्टूबर को दोपहर 3:53 बजे होगा। इस दिन विशेष पूजा और दीप जलाने की परंपरा होती है।

छोटी दिवाली की पूजा विधि

1. स्नान और शुद्धता: सुबह जल्दी उठें और स्नान करें।

तिल के तेल से शरीर की मालिश करें और फिर स्नान करें। इससे शारीरिक और मानसिक शुद्धता बनी रहती है।

2. पूजा स्थान की तैयारी: पूजा करने के लिए एक स्वच्छ स्थान तैयार करें।

वहां एक चौकी या पाटी रखें और उस पर सफेद या लाल कपड़ा बिछाएं।

3. यम दीप का प्रकाश: यमराज के नाम का दीपक (यम दीप) दक्षिण दिशा की ओर जलाएं।

दीपक में घी या तेल डालें और उसमें बत्ती लगाएं।

इस दीपक को जलाने से पहले यमराज से प्रार्थना करें कि वे नरक के द्वार बंद करें और सभी पर कृपा करें।

4. पूजा सामग्री:

पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे:

दीपक

फूल

धूप

नैवेद्य (मिठाई या फल)

एक नारियल

5. पूजा विधि: सबसे पहले यमराज की पूजा करें। उन्हें फूल अर्पित करें और उनके समक्ष दीप जलाएं।

फिर भगवान कृष्ण की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं और उनकी आरती करें।

नैवेद्य अर्पित करें और अपने परिवार के सदस्यों की भलाई की प्रार्थना करें।

6. हनुमान जी की पूजा: यदि आप हनुमान जयंती भी मनाते हैं, तो हनुमान जी की मूर्ति या चित्र के सामने फूल अर्पित करें और उन्हें लाल चंदन, गुड़ और चोला अर्पित करें।

7. प्रार्थना और आरती: पूजा के अंत में सभी देवी-देवताओं की आरती करें और प्रार्थना करें कि आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहे।

8. भोजन और मिठाई: पूजा के बाद परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर खास व्यंजन बनाएं और मिठाई बांटें।

छोटी दिवाली के दिन किन कार्यों को अवश्य करना चाहिए

छोटी दिवाली के दिन विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ होती हैं। इस दिन, लोग अपने घरों में साफ-सफाई करके उन्हें सजाते हैं और दिवाली के दीप जलाने की तैयारी करते हैं। यम दीप जलाने की प्रथा के साथ-साथ, परिवार के सदस्य एकत्रित होकर एक-दूसरे के साथ मिठाइयाँ बाँटते हैं और एक-दूसरे को शुभकामनाएँ देते हैं। इसके अलावा, इस दिन विशेष पूजा-अर्चना का भी महत्व है। लोग भगवान हनुमान की पूजा करते हैं, जो इस दिन की भी एक खास मान्यता है। कहा जाता है कि हनुमान जी की कृपा से व्यक्ति के जीवन में आने वाली सभी बाधाएँ समाप्त होती हैं। इस दिन, लोग अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए भी एक-दूसरे के घर जाकर बधाइयाँ देते हैं, जिससे सामाजिक मेलजोल बढ़ता है। छोटी दिवाली का पर्व सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि एक अवसर है जब लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर खुशियाँ बाँटते हैं और सकारात्मकता का संचार करते हैं। इस दिन की विशेषताओं को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि छोटी दिवाली का पर्व हमारे जीवन में एक नई उमंग और उत्साह लाता है।

छोटी दिवाली का महत्व

धार्मिक महत्व: इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था, जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।

यमराज की पूजा: छोटी दिवाली पर यमराज के नाम का दीप जलाने की परंपरा है, जिसे "यम दीप" कहा जाता है। यह माना जाता है कि इससे अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है और यमराज से यह प्रार्थना की जाती है कि वे नरक के द्वार बंद कर दें।

आयु और सौंदर्य की प्राप्ति: इस दिन को सौंदर्य और आयु बल की प्राप्ति का पर्व माना जाता है। तिल के तेल से स्नान करने की परंपरा से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है।

सामाजिक मेलजोल: छोटी दिवाली पर लोग एक-दूसरे के घर जाकर मिठाई बाँटते हैं और शुभकामनाएँ देते हैं, जिससे सामाजिक संबंध मजबूत होते हैं।

दीप जलाना: इस दिन दीप जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और अंधकार को दूर करने का प्रतीक होता है।

नई शुरुआत: छोटी दिवाली पर की जाने वाली गतिविधियाँ, जैसे सफाई, सजावट और पूजा, एक नई शुरुआत का संकेत देती हैं, जो दिवाली के महापर्व की तैयारी का हिस्सा है।

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