हिंदू धर्म में फाल्गुन पूर्णिमा का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन किए गए कुछ विशेष उपाय न केवल पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करते हैं, बल्कि पितृ दोष से मुक्ति का मार्ग भी खोलते हैं। मान्यता है कि इस शुभ अवसर पर स्नान, दान और तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं और घर-परिवार में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
फाल्गुन पूर्णिमा 2025: तिथि और समय
हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि 13 मार्च 2025 को सुबह 10:35 बजे शुरू होगी और 14 मार्च 2025 को दोपहर 12:23 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा 14 मार्च को मनाई जाएगी, जबकि व्रत 13 मार्च को रखा जाएगा।
पूर्वजों की कृपा पाने के लिए करें ये प्रभावी उपाय
1. दक्षिण दिशा में दीप जलाएं
संध्या समय घर की दक्षिण दिशा में चौमुखी दीपक जलाएं और पितृ स्तोत्र का पाठ करें। मान्यता है कि इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे अपने वंशजों पर कृपा बनाए रखते हैं।
2. भोजन और अन्नदान करें
इस दिन जरूरतमंदों को भोजन का दान करें। साथ ही, गाय, कुत्ते और कौवे को रोटी खिलाने से पितरों को तृप्ति मिलती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
3. पितरों का तर्पण करें
गंगा या अन्य पवित्र नदी में स्नान कर पितरों का तर्पण करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और वे संतुष्ट होकर परिवार को आशीर्वाद देते हैं।
4. चंद्रमा को अर्घ्य दें
पूर्णिमा की रात कच्चे दूध और सफेद फूल से चंद्र देव को अर्घ्य अर्पित करें। मान्यता है कि यह उपाय पितृ दोष से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है और पितर प्रसन्न होते हैं।
फाल्गुन पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
फाल्गुन पूर्णिमा को पितरों की आत्मा की शांति के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन किए गए स्नान, दान और तर्पण से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही, भगवान विष्णु की पूजा और हवन करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।