Saphala Ekadashi 2024: जानिए कब है सफला एकादशी, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Saphala Ekadashi 2024: जानिए कब है सफला एकादशी, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Last Updated: 11 घंटा पहले

सफला एकादशी व्रत का पालन श्रद्धा और निष्ठा से करने पर जीवन में सफलता, सुख और समृद्धि का वास होता है। यह व्रत हिंदू धर्म में खास महत्व रखता है, क्योंकि मान्यता है कि इस दिन किए गए सभी कार्य सफलतापूर्वक संपन्न होते हैं, और इसलिए इसे 'सफला' एकादशी कहा जाता है।

साल 2024 में सफला एकादशी 26 दिसंबर, गुरुवार को मनाई जाएगी। यह व्रत पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को होता है। इस दिन व्रत करने से घर में सुख-शांति का वास होने की धार्मिक मान्यता है।

सफला एकादशी का महत्व

सफला एकादशी के पावन दिन पर भगवान अच्युत जी की पूजा की जाती है, साथ ही भगवान श्रीहरि का भी विशेष पूजन होता है। इस दिन भक्तों द्वारा पूजा, हवन और भंडारे जैसे धार्मिक आयोजन किए जाते हैं। मान्यता है कि सफला एकादशी की रात जागरण करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह पर्व भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इसके द्वारा जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।

सफला एकादशी शुभ मुहूर्त

·       सफला एकादशी की शुरुआत: 25 दिसंबर, रात 10:30 बजे

·       सफला एकादशी का समापन: 27 दिसंबर, रात 12 बजे के बाद

·       शुभ मुहूर्त: 26 दिसंबर, सुबह 7:12 बजे से लेकर 9:15 बजे तक

·       महत्व: इस समय पूजा और व्रत का विशेष महत्व है, भक्तों के लिए यह समय फलदायी माना जाता है।

सफला एकादशी व्रत और पूजा विधि

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सफला एकादशी के व्रत से पहले जातक को दशमी के दिन केवल सात्विक आहार ग्रहण करना चाहिए। इसके बाद संध्या समय दांतों की सफाई कर शुद्धता बनाए रखें और रात्रि को हल्का भोजन करें। सोने से पहले भगवान श्री नारायण का स्मरण करना चाहिए, जिससे व्रत में सफलता मिलती है।

एकादशी के दिन व्रत एवं पूजा

सफला एकादशी के दिन व्रत का पालन श्रद्धा और विधिपूर्वक करना बेहद महत्वपूर्ण है। इस दिन को सफलतापूर्वक मनाने के लिए निम्नलिखित उपायों को अपनाएं

·       स्नान और शुद्धता: व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। इससे शरीर और मन दोनों की शुद्धता बनी रहती है।

·       व्रत संकल्प: व्रत का संकल्प लेने के बाद, भगवान विष्णु की पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे पुष्प, नारियल, तुलसी दल, धूप, दीप, चंदन, फल और मिष्ठान्न एकत्रित करें।

·       पूजा विधि: पूजा स्थल पर घी का दीपक जलाकर भगवान विष्णु का गंगाजल से अभिषेक करें। तुलसी दल अर्पित करना भूलें, क्योंकि यह भगवान विष्णु के लिए अत्यंत प्रिय है।

·       भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का ध्यान: पूजा के दौरान भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का चिंतन करते हुए उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास करें।

·       रात्रि जागरण: रात्रि को भगवान के नाम से दीपदान करें और एकादशी कथा का पाठ करें। आरती और भजन गाते हुए रात्रि जागरण करें, जो आपके समृद्धि के रास्ते को खोलेगा।

इस प्रकार, सफला एकादशी के दिन की जाने वाली पूजा केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जीवन में सुख-समृद्धि और भगवान का आशीर्वाद भी प्राप्त कराती है।

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