शनि त्रयोदशी व्रत का हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व है। यह दिन भगवान शिव और शनि देव की पूजा के लिए विशेष रूप से समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त सच्चे मन और भक्ति के साथ इस व्रत का पालन करते हैं, वे अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त करते हैं।
शनि त्रयोदशी व्रत, जिसे शनि प्रदोष भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है। जब प्रदोष व्रत शनिवार को पड़ता है, तो इसे "शनि त्रयोदशी" के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भगवान शिव, देवी पार्वती और शनि देव की आराधना के लिए समर्पित है। इस पावन व्रत का पालन करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, सुख-समृद्धि और जीवन में सफलता प्राप्त होती हैं।
कब है शनि त्रयोदशी?
शनि त्रयोदशी व्रत इस वर्ष 28 दिसंबर 2024, शनिवार को मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 27 दिसंबर, शुक्रवार को रात 2:28 बजे होगा और इसका समापन 28 दिसंबर, शनिवार को रात 3:32 बजे होगा।
शनि त्रयोदशी व्रत का महत्व
* शनि दोष से मुक्ति: यह व्रत शनि की महादशा और साढ़ेसाती के प्रभाव को कम करने के लिए विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है।
* कर्म और न्याय का दिन: शनि देव को कर्मफल दाता कहा जाता है। इस दिन की पूजा से बुरे कर्मों का प्रायश्चित होता है और अच्छे कर्मों का फल मिलता है।
* शिव और शनि की कृपा: शनि त्रयोदशी पर भगवान शिव की पूजा भी की जाती है, जिससे शनि देव का प्रकोप शांत होता हैं।
शनि त्रयोदशी पूजा विधि
* स्नान और स्वच्छता: सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
* पूजा सामग्री तैयार करें: भगवान शिव और शनि देव की पूजा के लिए जल, दूध, दही, शहद, बिल्व पत्र, काले तिल, सरसों का तेल, नीले फूल, और दीपक रखें।
* भगवान शिव की पूजा करें: शिवलिंग पर जल और बिल्व पत्र अर्पित करें।
* शनि देव की पूजा करें: शनि देव को सरसों का तेल और काले तिल चढ़ाएं।
* मंत्र जाप: "ॐ नमः शिवाय", "ॐ शं शनैश्चराय नमः"
* उपवास: पूरे दिन व्रत रखें और सूर्यास्त के बाद पूजा-अर्चना करें।