शादी से पहले 30 दिन रोने की अनोखी परंपरा: तुजिया जनजाति का अनोखा रिवाज

शादी से पहले 30 दिन रोने की अनोखी परंपरा: तुजिया जनजाति का अनोखा रिवाज
Last Updated: 17 घंटा पहले

शादी का दिन किसी भी लड़की के जीवन का सबसे खूबसूरत दिन होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया में एक जगह ऐसी भी है, जहां दुल्हन को शादी से पहले रोने की प्रैक्टिस करनी पड़ती है? जी हां, चीन के तुजिया समुदाय में शादी से ठीक एक महीने पहले दुल्हन को रोज एक घंटे रोने का रिवाज है, जिसे "रोने की परंपरा" (Crying Bride Tradition) कहा जाता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और इस जनजाति में दुल्हन का रोना शादी को शुभ और सुखद मानते हैं। तो आइए, जानते हैं इस अनोखी परंपरा के बारे में विस्तार से।

क्यों जरूरी है दुल्हन का रोना?

तुजिया जनजाति के लोगों का मानना है कि दुल्हन के आंसू शादी की सफलता और समृद्धि के लिए बेहद अहम होते हैं। यह परंपरा 475 ईसा पूर्व से 221 ईसा पूर्व के बीच शुरू हुई थी, जब एक जाओ राज्य की राजकुमारी की शादी के दिन उसकी मां बिछड़ने के गम में फूट-फूट कर रोई थीं। इस घटना के बाद से यह परंपरा शुरू हुई, और अब यह सदियों पुरानी प्रथा बन चुकी है। तुजिया समुदाय में यह मान्यता है कि दुल्हन का रोना न केवल शादी के दिन की खुशियों को और भी खास बनाता है, बल्कि यह उसके नए जीवन की शुरुआत की ओर संकेत भी करता है।

30 दिन पहले शुरू होती है रोने की प्रैक्टिस

शादी से ठीक एक महीने पहले यह परंपरा शुरू होती है। दुल्हन को हर रोज एक घंटे के लिए रोने का अभ्यास करना होता है। इस दौरान, परिवार की महिलाएं और रिश्तेदार दुल्हन के साथ मिलकर पारंपरिक गाने गाती हैं, जो दुल्हन के पुराने घर से जुड़ी भावनाओं और नए जीवन की ओर बढ़ने की भावना को व्यक्त करते हैं। इस समय दुल्हन के साथ उसकी मां, दादी और अन्य रिश्तेदार भी उसे भावनात्मक रूप से सपोर्ट करते हैं और मिलकर रोते हैं।

रोने के पीछे की भावना और परिवार का साथ

शादी से पहले रोने की यह प्रक्रिया केवल दुल्हन के आंसू तक सीमित नहीं होती। पहले दिन, दुल्हन के परिवार के सदस्य, विशेषकर उसकी मां और दादी, उसके साथ रोते हैं। यह समय होता है जब दुल्हन अपनी भावनाओं को व्यक्त करती है और अपने पुराने घर से जुड़ी यादों को दिल से महसूस करती है। जैसे-जैसे दिन बीतते हैं, दुल्हन का रोना गहरा और भावनात्मक होता जाता है। इस समय उसे यह एहसास होता है कि वह कभी अकेली नहीं है, क्योंकि उसका परिवार हमेशा उसके साथ है।

नई शुरुआत के संकेत के रूप में रोना

30 दिन तक रोने की यह परंपरा दुल्हन को मानसिक और भावनात्मक रूप से तैयार करती है, ताकि वह अपने पुराने जीवन को छोड़कर नए जीवन की शुरुआत कर सके। यह एक प्रकार का संक्रमण होता है, जहां वह अपनी पहचान और रिश्तों के साथ खुद को एक नए रूप में ढालती है। इस अनोखी परंपरा से दुल्हन को यह एहसास होता है कि वह जिस नए परिवार से जुड़ने जा रही है, वह भी उतना ही प्यार और समर्थन देने वाला होगा।

तुजिया जनजाति की शादी में रोने का महत्व

यह परंपरा दुल्हन के आंसूओं को एक संजीवनी के रूप में मानती है। दुल्हन का रोना एक तरह से उसके भावनात्मक जुड़ाव को दर्शाता है और यह विश्वास दिलाता है कि नए जीवन में बदलाव के बावजूद उसका परिवार और उसकी जड़ें हमेशा उसके साथ रहेंगी। इस अनोखी परंपरा से यह संदेश जाता है कि हर नए कदम के साथ कुछ पुराना छोड़ना और कुछ नया अपनाना होता है।

इस प्रकार, तुजिया जनजाति की शादी में दुल्हन का रोना केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि एक भावनात्मक प्रक्रिया है, जो उसके जीवन के महत्वपूर्ण बदलाव को लेकर होती है। इस प्रक्रिया के दौरान, दुल्हन को यह एहसास होता है कि एक नए जीवन की शुरुआत के साथ वह अकेली नहीं है, और उसका परिवार हमेशा उसकी राह में सहायक होगा।

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