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28 May: World Otter Day  – नन्हे जलजीवों की सुरक्षा के लिए समर्पित एक खास दिन

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हर साल 28 मई को विश्व ओटर दिवस (World Otter Day) के रूप में मनाया जाता है। यह दिन खास तौर पर एक बेहद प्यारे और चंचल जलजीव – ओटर यानी ऊदबिलाव – को समर्पित होता है। इस दिन का उद्देश्य ओटर की प्रजातियों, उनके प्राकृतिक आवास और उन्हें होने वाले खतरों के प्रति जागरूकता फैलाना होता है। साथ ही, यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि ओटर जैसे जीव भी हमारे पर्यावरण के लिए कितने ज़रूरी हैं।

ओटर क्या हैं और ये क्यों ज़रूरी हैं?

ओटर, जिन्हें हिंदी में ऊदबिलाव कहा जाता है, छोटे से लेकर मध्यम आकार के मांसाहारी स्तनधारी होते हैं जो मुख्य रूप से पानी में रहते हैं। ये बहुत ही चंचल, समझदार और सामाजिक जीव होते हैं। भारत सहित दुनिया भर में ओटर की कुल 13 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से कई अब संकट में हैं।

ओटर 'कीस्टोन स्पीशीज़' कहलाते हैं, यानी इनका अस्तित्व पूरे पारिस्थितिकी तंत्र की सेहत को दर्शाता है। अगर ओटर सुरक्षित हैं, तो इसका मतलब है कि उनके आसपास का पूरा पर्यावरण भी सुरक्षित और संतुलित है। इसीलिए, इनकी सुरक्षा हमारे पूरे जल तंत्र की सुरक्षा से जुड़ी हुई है।

वर्ल्ड ओटर डे का इतिहास

वर्ल्ड ओटर डे की शुरुआत साल 2009 में 'Otterly Mad Week' नामक एक हफ्ते की जागरूकता मुहिम से हुई थी। इसका मकसद लोगों को ओटर के जीवन, उनके व्यवहार और पर्यावरण में उनके योगदान के बारे में जानकारी देना था।

फिर 2014 में इस मुहिम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैलाया गया और इसका नाम पड़ा International Otter Awareness Day। इस दिन लोगों को ओटर की 13 प्रजातियों और उन पर मंडरा रहे खतरों जैसे कि शिकार, जल प्रदूषण और आवास नष्ट होने के बारे में बताया जाता था।

अंततः साल 2016 में इस जागरूकता अभियान को और विस्तार देते हुए इसे नाम दिया गया – World Otter Day। इसे International Otter Survival Fund (IOSF) द्वारा शुरू किया गया था, जो आज भी ओटर संरक्षण में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

वर्ल्ड ओटर डे क्यों मनाया जाता है?

वर्ल्ड ओटर डे हर साल इसलिए मनाया जाता है ताकि लोगों को ओटर जैसे खास जलजीवों के संरक्षण के लिए जागरूक किया जा सके। इन मासूम जीवों को शिकार, जल प्रदूषण और उनके रहने की जगहों के खत्म होने जैसी कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस दिन का मकसद है कि लोग ओटर की अहमियत को समझें और उनके रहने के सुरक्षित माहौल को बचाने की दिशा में कदम उठाएं।

ओटर नदियों और झीलों की सेहत के लिए बेहद ज़रूरी हैं। ये जल जीवन में संतुलन बनाए रखते हैं और जैव विविधता को मजबूत करते हैं। अगर ओटर नहीं रहेंगे, तो इसका असर पूरे पर्यावरण पर पड़ेगा। वर्ल्ड ओटर डे हमें यह याद दिलाता है कि इन नन्हे मगर ज़रूरी जीवों को बचाना सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि हमारी धरती की भलाई के लिए भी ज़रूरी है।

वर्ल्ड ओटर डे कैसे मनाएं?

ओटर के बारे में जानें और जानकारी साझा करें: इस दिन आप ओटर के बारे में अधिक से अधिक जानकारी जुटा सकते हैं – जैसे वे क्या खाते हैं, कहां रहते हैं, कितनी प्रजातियां हैं और उन्हें क्या खतरे हैं। ये जानकारी बच्चों और परिवार के साथ भी शेयर करें। शिक्षा ही संरक्षण की पहली सीढ़ी है।

ओटर संरक्षण संगठनों का समर्थन करें: IOSF जैसे कई संगठन ओटर के संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं। आप उनकी वेबसाइट पर जाकर दान दे सकते हैं या वर्चुअल इवेंट्स में भाग ले सकते हैं। हर छोटा योगदान बड़ा असर डाल सकता है।

स्थानीय वेटलैंड या चिड़ियाघर की सैर करें: अगर आपके पास कोई वेटलैंड, राष्ट्रीय उद्यान या चिड़ियाघर है जहां ओटर हैं, तो वहां जाकर इन जीवों को देखने का अनुभव लें। ध्यान रखें, जानवरों को छेड़ें नहीं, केवल सुरक्षित दूरी से देखें।

सोशल मीडिया पर जागरूकता फैलाएं: ओटर से जुड़ी जानकारी, फोटो या वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करें। #WorldOtterDay या #OtterConservation जैसे हैशटैग का इस्तेमाल करें ताकि आपकी बात ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे।

रचनात्मक बनें: ओटर पर चित्र बनाएं, कविताएं लिखें या कोई छोटा वीडियो बनाएं। यह बच्चों और बड़ों दोनों के लिए मज़ेदार और सीखने वाला अनुभव हो सकता है।

स्थानीय कार्यक्रमों में भाग लें: कई शहरों और संस्थाएं इस दिन विशेष वर्कशॉप, सफाई अभियान या जागरूकता रैलियां आयोजित करती हैं। इनमें भाग लें और अन्य लोगों को भी जोड़ें।

ओटर को गोद लें: IOSF जैसे कई संगठन 'Adopt an Otter' प्रोग्राम चलाते हैं, जहां आप प्रतीकात्मक रूप से किसी ओटर को गोद ले सकते हैं। इसके बदले आपको उस ओटर से जुड़ी जानकारी, तस्वीरें और अपडेट मिलते हैं।

ओटर को बचाना क्यों ज़रूरी है?

ओटर को बचाना इसलिए ज़रूरी है क्योंकि ये हमारे जल जीवन यानी एक्वाटिक इकोसिस्टम का अहम हिस्सा होते हैं। ओटर नदियों और झीलों में मछलियों की संख्या को संतुलन में रखते हैं। अगर मछलियों की संख्या बहुत बढ़ जाए या घट जाए, तो इसका असर पूरे जल तंत्र पर पड़ता है। ओटर इस संतुलन को बनाए रखते हैं जिससे दूसरी जलीय प्रजातियों और पौधों को भी सुरक्षित माहौल मिलता है।

इसके अलावा, ओटर की मौजूदगी यह भी बताती है कि उस क्षेत्र का पानी कितना साफ और सुरक्षित है। अगर किसी नदी या झील में ओटर नहीं दिखते, तो यह जल प्रदूषण, शिकार या पर्यावरण में बदलाव का संकेत हो सकता है। ऐसे में अगर हम ओटर को नहीं बचाएंगे, तो सिर्फ एक जानवर नहीं, बल्कि पूरा जल जीवन खतरे में पड़ सकता है। इसलिए ओटर की रक्षा करना हमारे पर्यावरण और भविष्य के लिए बेहद ज़रूरी है।

ओटर हमारे जल पारिस्थितिकी तंत्र के छोटे लेकिन बेहद अहम प्रहरी हैं। इनकी सुरक्षा न सिर्फ पर्यावरण संतुलन बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी ज़रूरी है। वर्ल्ड ओटर डे हमें यह याद दिलाता है कि इन मासूम जलजीवों को बचाकर हम पूरी प्रकृति की रक्षा कर सकते हैं।

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