हर साल 1 मार्च को दुनिया भर में 'बेबी स्लीप डे' मनाया जाता है। यह दिन शिशुओं और उनके परिवारों के लिए नींद के महत्व को रेखांकित करने के उद्देश्य से समर्पित है। बाल चिकित्सा नींद परिषद (Pediatric Sleep Council) की यह पहल वैश्विक स्तर पर बढ़ती जागरूकता का प्रतीक बन चुकी है। इसमें अंतरराष्ट्रीय बाल चिकित्सा नींद विशेषज्ञों की एक टीम शामिल है, जिसका मुख्य उद्देश्य स्वस्थ नींद के लाभों को बढ़ावा देना और संभावित नींद संबंधी समस्याओं को समय रहते रोकना है।
बेबी स्लीप डे का इतिहासहर बच्चे को स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीने का हक है और इसका एक मुख्य आधार है नींद का समय! नींद हर किसी के लिए बहुत फायदेमंद होती है, खासकर बढ़ते बच्चे के लिए। दुर्भाग्य से, अनिद्रा, बेचैन पैर सिंड्रोम, स्लीप एपनिया जैसी नींद संबंधी समस्याएं मौजूद हैं। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार, नींद की समस्या 25 से 50% बच्चों और 40% किशोरों को प्रभावित करती है।
हमारे बच्चे निश्चित रूप से एक स्वस्थ, सुरक्षित भविष्य के हकदार हैं, इसलिए बेबी स्लीप डे की शुरुआत की गई। यह दिन स्वस्थ नींद के लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाता है और परिवारों को उनके द्वारा मांगे जाने वाले उत्तर, सहायता और जानकारी प्रदान करता है। यह अंततः नींद की चिंताओं को रोकता है। हर महीने 500,000 से अधिक माता-पिता अपने बच्चों की नींद की कठिनाइयों के समाधान खोजने के लिए बेबी स्लीप साइट पर जाते हैं।
कार्यक्रमों के कैलेंडर में, बेबी स्लीप डे राष्ट्रीय नींद जागरूकता सप्ताह (दिन के उजाले की बचत के समय से शुरू होता है) और विश्व नींद दिवस (वसंत वसंत विषुव से एक दिन पहले) से पहले आता है। वार्षिक बेबी स्लीप डे का पहला संस्करण 1 मार्च, 2017 को आयोजित किया गया था। हालांकि, नींद से संबंधित शोध का इतिहास सैकड़ों वर्षों पुराना है।
नींद से जुड़ी प्रमुख ऐतिहासिक घटनाएँ
• 1600 का दशक: 'इनसोम्निया' शब्द पहली बार लैटिन शब्द 'इनसोम्निस' से लिया गया, जिसका अर्थ है 'नींद न आना'।
• 1760: औद्योगिक क्रांति के दौरान नींद की कमी की समस्या बढ़ी, जिससे मानव नींद चक्र में परिवर्तन आया।
• 1818: जर्मन चिकित्सक जोहान हेनरोथ ने अनिद्रा को पहला मनोदैहिक विकार के रूप में वर्णित किया।
• 1845: ब्रिटिश डॉक्टर जॉन डेवी ने शरीर के तापमान और नींद के पैटर्न के बीच संबंध का अध्ययन किया।
• 1953: अमेरिकी शोधकर्ता नाथेनियल क्लेटमैन और उनके छात्र यूजीन एसरिन्स्की ने आरईएम (REM) नींद की खोज की, जिससे सपने देखने की प्रक्रिया को समझने में मदद मिली।
• 2016: बेबी स्लीप डे की स्थापना जोडी मिंडेल, बुला और रसेल वाल्टर्स द्वारा की गई, ताकि शिशु की नींद के महत्व को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा दिया जा सके।
नींद का महत्व
शिशुओं की अच्छी नींद न केवल उनके संपूर्ण विकास में सहायक होती है, बल्कि माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों की सेहत और मानसिक शांति के लिए भी अनिवार्य होती है। शोध बताते हैं कि उचित नींद से बच्चों की स्मरण शक्ति, व्यवहार और संज्ञानात्मक विकास में सुधार होता है।
वैश्विक जागरूकता अभियान
बेबी स्लीप डे के अवसर पर दुनियाभर में विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें माता-पिता को शिशु की नींद से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दी जाती हैं। विशेषज्ञों द्वारा स्वस्थ नींद के उपायों पर चर्चा की जाती है, जिससे माता-पिता को शिशु के लिए एक बेहतर और सुरक्षित नींद का वातावरण तैयार करने में मदद मिलती है।
बेबी स्लीप डे का वैश्विक विस्तार
इस विशेष दिवस को लेकर जागरूकता लगातार बढ़ रही है। 2021 में, 30 से अधिक देशों ने इस दिवस को मनाया, जो यह दर्शाता है कि यह विषय कितनी व्यापकता प्राप्त कर चुका है। विशेषज्ञों का मानना है कि शिशु की नींद संबंधी समस्याओं को समय रहते पहचानकर और सही उपाय अपनाकर भविष्य में कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचा जा सकता है।
बेहतर नींद के लिए सुझाव
• शिशु के लिए एक निश्चित सोने का समय तय करें।
• सोने से पहले शांतिपूर्ण वातावरण बनाएं।
• अधिक रोशनी और शोर-शराबे से बचाव करें।
• शिशु को दिन के समय पर्याप्त शारीरिक गतिविधि करने दें।
• कैफीन और चीनी युक्त आहार से बचें।
बेबी स्लीप डे न केवल शिशुओं की सेहत के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पूरे परिवार के स्वास्थ्य और खुशहाली को भी प्रभावित करता है। जागरूकता बढ़ाकर और सही उपाय अपनाकर हम शिशुओं की बेहतर नींद सुनिश्चित कर सकते हैं, जिससे उनका संपूर्ण विकास संभव हो सके।